नमो नारायण…”गुरू पुष्य योग रवि पुष्य योग एक बहुत ही विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योग माना जाता है.ज्योतिष में इस योग की बहुत महत्ता है. इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता एवं शुभता की संभावना में वृद्धि होती है. इसके साथ ही व्यक्ति को सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है.!
-:’कैसे बनता है गुरु पुष्य योग’:-
इस योग में गुरु का संयोग होने पर पुष्य नक्षत्र के साथ होने पर ही निर्माण होता है. जिस दिन बृहस्पतिवार हो और उस दिन पुष्य नक्षत्र भी हो तो इन दोनों का संयोग गुरूपुष्य संयोग बनता है.!
-:’क्या होता है रवि पुष्य योग’:-
इसी प्रकार जिस दिन रविवार हो और पुष्य नक्षत्र हो रवि पुष्य योग कहलाता है. इन योगों द्वारा व्यक्ति को उसके कार्यों में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है.!
-:’पुष्य नक्षत्र का महत्व’:-
पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है. वहीं पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में राजा की उपाधि दी गई है. इस नक्षत्र में प्रारंभ किए गए कार्यों का फल बहुत उत्तम प्राप्त होता है. पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है अत: इसके समय किए गए कार्यों में स्थायित्व का भाव मौजूद होता है. इस कारण से यदि आपको कुछ ऎसे काम करने हैं जिनमें आप जल्द से बदलाव की इच्छा न रखते हों ओर उसकी स्थिरता की चाह रखते हों तो यह नक्षत्र में करना बेहतर होता है.!
इसके साथ ही गुरू(बृहस्पति) को ग्रहों में मंत्री एवं गुरु का स्थान प्राप्त है. इसके साथ ही गुरू की दृष्टि को गंगाजल के समान पवित्र भी माना गया है. गुरु का सानिध्य पाकर कोई भी पवित्रता एवं शुभता को प्राप्त कर जाता है. वहीं सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. ऎसे में इन दोनों का एक साथ होना सोने पर सुहागा जैसी स्थिति को साकार करने वाला होता है.!
-:’2023 में बनने वाले गुरुपुष्य योग व रवि पुष्य योग की तिथियाँ’:-
– – – – :’गुरुपुष्य योग तिथियाँ’:- – – – –
प्रारंभ काल समाप्तिकाल
दिनाँक समय (घं. मि.) दिनाँक समय (घं. मि.)
30 मार्च 22:59 31 मार्च सूर्योदयकाल
27 अप्रैल 07:00 28 अप्रैल सूर्योदयकाल
25 मई सूर्योदयकाल 25 मई 17:54
29 दिसंबर 01:०५ 29 दिसंबर सूर्योदयकाल
– – – :’रवि पुष्य योग तिथियां’:- – –
प्रारंभ काल समाप्तिकाल
दिनाँक समय (घं. मि.) दिनाँक समय (घं. मि.)
05 फरवरी सूर्योदयकाल 05 फरवरी 12:13, तक
10 सितंबर 17:07 11 सितंबर सूर्योदयकाल
08 अक्टूबर सूर्योदयकाल 09 अक्टूबर 02:45
05 नवंबर सूर्योदयकाल 05 नवंबर 10:29
वैदिक ज्योतिष में कुछ ऎसे योगों के विषय में चर्चा मिलती है जो अत्यंत ही शुभ योगों की श्रेणी में आते हैं. ऎसे ही कुछ योगों में गुरु पुष्य योग और रवि पुष्य योग का नाम आता है. यह दोनों ही योग किसी भी काम को करने में शुभता प्रदान करने वाले होते हैं. इनका उपयोग करके व्यक्ति अपनी काम करने की क्षमत अको बेहतर कर सकता है ओर जो भी वह करना चाहिए उसमें उसे अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं.!
गुरु पुष्य योग का निर्माण गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र के होने पर होता है. गुरु अर्थात ज्ञान और अत्यंत शुभ ग्रह का स्वरुप एवं पुष्य नक्षत्र जो सौम्य शुभ और महानक्षत्र कहलाता है. जिस कारण इन दोनों का संगम होने पर एक अत्यंत समय अवधि का निर्माण होता है. इस समय में काम की शुभता स्वयं ही बढ़ जाती है.!
-:’रविपुष्य योग का निर्माण रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र के होने पर होता है’:-
रवि पुष्य योग में किए जाने वाले कार्य:-
ज्योतिष में रवि पुष्य योग के दोरान मुख्य रुप से पारंपरिक स्वरुप में कोई दवाई इत्यादि का निर्माण करना बहुत शुभ होता है. इस समय पर बनाई गई औषधी का प्रभाव रोग को जल्द से जल्द समाप्त करने वाला होता है और रोगी को तुरंत लाभ मिलता है. आयुर्वेद में तो यह समय दवाई को बनाने के लिए बहुत ही शुभ अच्छा माना गया है. इसके अलावा विशेष रोग में रोगी को अगर इस समय पर औषद्धि खिलाई जाए तो इसका भी सकारात्मक असर पड़ता है ओर रोग की शांति भी जल्द होती है. रवि पुष्य योग में मंत्र सिद्धि एवं यंत्र इत्यादि बनाने का काम भी उपयुक्त होता है और यह शुभता को बढ़ाता है.!
गुरु पुष्य योग में किए जाने वाले काम:-
गुरु पुष्य योग में शिक्षा ग्रहण करना अत्यंत शुभ होता है. इसके साथ ही किसी योग्य शिक्ष एवं गुरु द्वारा दीक्षा लेने के लिए इस समय का चयन किया जाना उपयुक्त कहा गया है. इस समय के दौरान तंत्र, मंत्र या किसी महत्वपूर्ण विषय के बारे में ज्ञान प्राप्ति करना शुभ होता है. इस समय पर प्राप्त किया गया व्यक्ति को सदैव स्मरण रहता है और उसका उसे लाभ भी प्राप्त होता है.!
इसके साथ ही इस समय के दौरन में कोई पूजा, यज्ञ, हव अनुष्ठान इत्यादि कार्य करने भी शुभ माने गए हैं. लम्बी दूरी की यात्रा करना, स्कूल में बच्चे के लिए एडमिशन करवाने का समय या फिर उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश प्राप्ति के लिए इस मुहूर्त समय का चयन अत्यंत लाभदायक होता है.!