Jyeshtha Purnima/Vat Savitri Vrat 2023: नमो नारायण……. शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान किये जाने वाले बहुत से यम-नियम आदि का उल्लेख मिलता है,ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान दिये गए नियमों का पालन करना चाहिए और उन नियमों का पालन करने से जीवन में आती है शुभता और मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण.!
-:”Jyeshtha Purnima/Vat Savitri Vrat 2023 में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत”:-
इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व 03/04 जून 2023 को मनाया जाएगा. शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है. इसी दिन कलश भर कर शहद का दान करने का विधान भी है. इस दिन ये कार्य करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं और प्रेम भाव बना रहता है,शनिवार 03,जून 2023 को अपराह्न 11:17:01 से पूर्णिमा तिथि आरम्भ होकर रविवार 04,जून 2023 को पूर्वाह्न 09:12:05 पर समाप्त हो जाएगी.!
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा एवं पूजा की जाती है.इस दिन भगवान नारायण का पूजन होता है. इस पूजा में श्री विष्णु भगवान के स्त्य स्वरुप का पूजन होता है. इस कथा के दिन व्रत का भी विधान बताया गया है. सत्यनारायण कथा और पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.!
सत्यनारायण कथा ओर व्रत में सुबह या शाम के समय सत्यनारायण भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है. आटे का चूरमा बनाते हैं ओर तुलसी दल को अर्पित किया जाता है. सत्यनारायण भगवान को फल फूल इत्यादि वस्तुएं भोग स्वरुप भेंट की जाती है.!
-:”Jyeshtha Purnima/Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ पूर्णिमा वट सावित्री व्रत”:-
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत को किया जाता है और वट सावित्री पूजन होता है. यह दिन इन दो शुभ योगों के बनने से यह दिन अत्यंत ही शुभ फलदायी बन जाता है. इस दिन व्रत और पूजा करना सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति कराने वाला होता है. स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन से संबंधित पूजा एवं वट सावित्री व्रत की महिमा को बताया गया है.!
वट वृक्ष का पूजन – इस दिन वट वृक्ष का पूजन होता है. वट वृक्ष पूजन में वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. इस ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सुहागन स्त्रियों के अतिरिक्त कुंवारी कन्याएं भी इसका पूजन कर सकती हैं. इस दिन इस वट का पूजन करने से सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का सुख प्राप्त होता है और संतान के सुख की प्राप्ति होती है. आज के समय में भी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गांवों-शहरों में हर सभी लोग इस दिन को उत्साह के साथ मनाते हैं. जहां वट वृक्ष स्थापित होता है वहां स्त्रियां परंपरागत रुप से इस वृक्ष का पूजन करती हैं.!
वट वृक्ष की पूजा में वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. तीन, पांच या सात बार इसकी परिक्रमा करते हैं. इसके साथ ही परिक्रमा करते समय कच्चे सूत-धागे को पेड़ पर लपेटा जाता है. इसके साथ ही चंदन, अक्षत, रोली इत्यादि से तिलक किया जाता है. वट के पेड पर फूल, सुहाग की सामग्री, इत्यादि भी अर्पित की जाती है. साथ ही पूरी ओर अन्य प्रकार के पकवानों का भोग भी चढ़ाया जाता है. वृक्ष के समक्ष दीपक भी जलाया जाता है और इस वृक्ष पर जल अर्पित किया जाता है.!
-:”Jyeshtha Purnima/Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ पूर्णिमा और सत्यवान-सावित्री कथा”:-
सावित्री एक अत्यंत ही पतिव्रता स्त्री थी. सावित्री अपने पति धर्म के लिए यमराज से भी नहीं डरती है और अपने पति के प्राणों की रक्षा करती है. पौराणिक कथा अनुसार सावित्री का विवाह सत्यवान से हुआ था. सावित्री का विवाह सत्यवान से होता है. सत्यवान की अपल्प आयु के बारे में जब सावित्री को पता चलता है तो वह अत्यंत दुखी होती है. देवऋषि नारद द्वारा जब सत्यवान की मृत्यु के समय का सावित्री को पता चलता है तो वह उसी दिन से व्रत एवं भगवान से प्रार्थना आरंभ कर देती है. नारद बताई गई तिथि के दिन वह अपने पति सत्यवान के साथ लकडी काटने के लिये चल पड़ती है.!
सत्यवान जब लकडी काटने के लिये पेड़ पर चढ़ता है तो उसके सिर में पीडा होने लगती है और वह नीचे गिर जाता है. पति की मृत्यु का समय निकटा आता जान वह देखती है की यमराज उसके पति के समीप आ खड़े होते हैं और सत्यवान के प्राण लेकर आगे चल पड़ते हैं. सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे चल पड़ती है. यमराज उसे समझाते हैं लेकिन वह उन्हीं के साथ चलती चली जाती है. ऎसे में वह उसके पतिधर्म और निष्ठा भाव को देख उसे वर मांगने को कहते हैं.!
सावित्री अपने सास-ससुर नेत्रों की ज्योति मांगती है. यमराज उसे कहते हैं की तेरा मनोरथ पूर्ण होगा अब तुम घर चली जाओ . सावित्री मना कर देती है. धर्मराज यमराज उसे उसे पुन: वर मांगने को कहते हैं ऎसे में वह अपने सास ससुर के खोये हुए राज्य को फिर से देने को कहती है. यमराज उसका वरदान पूरा कर देते हैं और सावित्री को वापस चले जाने को कहते हैं.!
सावित्री कहती है की पति के पीछे चलना मेरा कर्तव्य है. यमराज कहते हैं पति के जीवन के बदले वह जो चाहेगी उसे मिल सकता है. सावित्री तब पुत्रवती होने का आशीर्वाद मांगती है और यमराज उसे आशीर्वाद दे देते हैं. ऎसे में सावित्री यमराज से कहती है की बिना पति के उसे पुत्र कैसे हो सकते हैं और तब यमराज उसके समक्ष हार जाते हैं ओर सत्यवान का जीन पुन: वापिस कर देते हैं इस प्रकार सावित्री और सत्यवान अपने घर जाकर सुख पूर्वक अपना जीवनयापन करते हैं.!
-:”Jyeshtha Purnima/Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ पूर्णिमा का महात्म्य”:-
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान किये जाने वाले कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य तुलसीदल से श्री विष्णु पूजन किया जाता है. इससे जीवन में तरक्की के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है. घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है स्थापित होती है. तुलसी पूजा के साथ ही मंदिर में तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना गया है.!
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान जप, तप, हवन के अलावा स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. इस दौरान भक्त शुद्ध चित से जप, तप, हवन, स्नान, दान आदि शुभकार्य करता है, उसका अक्षयफल प्राप्त होता है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. स्नान करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मिट्टी का घड़ा, पानी, पंखे इत्यादि दान करने का भी विधान है.!