माघ गुप्तनवरात्रि विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

माघ गुप्तनवरात्रि विशेषाङ्क
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या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जय माता दी …गुप्त नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का विधान होता है,यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है. इन दिनों भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान होता है.जैसे नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है उसी प्रकार इन गुप्त नवरात्रों में भी साधक माता की विभिन्न प्रकार से पूजा करके उनसे शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति का वरदान मांगता है.इस वर्ष माघ मास की गुप्त नवरात्रि का आरम्भ शुक्ल प्रतिपदा रविवार “22 जनवरी 2023” से हो कर सोमवार 30 जनवरी को पूर्ण होंगी.।

-:’गुप्त नवरात्र रहस्य’:-
मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है ऐसे में इन गुप्त नवरात्रों में मां के सभी रुपों की पूजा की जाती है. देवी की शक्ति पूजा व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्त करती है व विजय का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.गुप्‍त नवरात्र भी सामान्य नवरात्र की भांति दो बार आते हैं एक आषाढ़ माह में और दूसरे माघ माह में.!
इन नवरात्र के समय मन्त्र/तंत्र की शक्तियों में बृद्धि हेतु भक्त साधना करते है.तंत्र एवं साधना में व‍िश्‍वास रखने वाले इसे करते हैं.इन नवरात्रों में भी पूजन का स्वरूप सामान्य नवरात्रों की ही तरह होता है. जैसे चैत्र और शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा नियम से की जाती है उसी प्रकार इन गुप्त नवरात्रों में भी दस महाविद्याओं की साधना का बहुत महत्व होता है.!

-:’क्‍या होते हैं गुप्‍त नवरात्र‍ि’:-
गुप्‍त नवरात्र में माता की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्‍त रूप से की जाती है इसी कारण इन्हें गुप्त नवरात्र की संज्ञा दी जाती है. इस पूजन में अखंड जोत प्रज्वलित की जाती है. प्रात:कल एवं संध्या समय देवी पूजन-अर्चन करना होता है. गुप्‍त नवरात्र में तंत्र साधना करने वाले दस महाविद्याओं की साधना करते हैं. नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है. अष्‍टमी या नवमी के दिन कन्‍या पूजन कर व्रत पूर्ण होता है.!

-:’गुप्त नवरात्रि पूजा विधि’:-
गुप्त नवरात्रों में माता आद्य शक्ति के समक्ष शुभ समय पर घट स्थापना की जाती है जिसमें जौ उगने के लिये रखे जाते है. इस के एक और पानी से भरा कलश स्थापित किया जाता है. कलश पर कच्चा नारियल रखा जाता है. कलश स्थापना के बाद मां भगवती की अंखंड ज्योति जलाई जाती है. भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. उसके बाद श्री वरूण देव, श्री विष्णु देव की पूजा की जाती है. शिव, सूर्य, चन्द्रादि नवग्रह की पूजा भी की जाती है. उपरोक्त देवताओं कि पूजा करने के बाद मां भगवती की पूजा की जाती है. नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन उपवास रख कर दुर्गा सप्तशती और देवी का पाठ किया जाता है.!

-:’गुप्त नवरात्र और तंत्र साधना’:-
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं के पूजन को प्रमुखता दी जाती है. भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएँ हुई हैं. भगवान शिव की यह महाविद्याएँ सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती हैं. दस महाविद्या देवी दुर्गा के दस रूप कहे जाते हैं. प्रत्येक महाविद्या अद्वितीय रुप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकटों का हरण करने वाली होती हैं. इन दस महाविद्याओं को तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है.!

देवी काली माँ :- दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं. तंत्र साधना में तांत्रिक देवी काली के रूप की उपासना किया करते हैं.!

देवी तारा माँ :- दस महाविद्याओं में से माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है.माँ तारा परारूपा हैं एवं महासुन्दरी कला-स्वरूपा हैं तथा देवी तारा सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं.!

माँ ललिता :- माँ ललिता की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है. दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है.!

माँ भुवनेश्वरी :- माता भुवनेश्वरी सृष्टि के ऐश्वयर की स्वामिनी हैं. भुवनेश्वरी माता सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं. इनके मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है.!

त्रिपुर भैरवी माँ :- माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं.ऊपरी वाधा से निवृत्ति हेतु माँ की उपासना विशेष हितकारी होती हैं.!

माता छिन्नमस्तिका :- माँ छिन्नमस्तिका को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है. माँ भक्तों के सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली है.!

माँ धूमावती :- मां धूमावती के दर्शन पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. माँ धूमावती जी का रूप अत्यंत भयंकर हैं इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है.!

माँ बगलामुखी :- माँ बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री हैं. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.!

देवी मातंगी :- यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं. इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं.भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं.!

माता कमला :- मां कमला सुख संपदा की प्रतीक हैं.धन संपदा की आधिष्ठात्री देवी है,भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए इनकी अराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं.!

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