माघ मास विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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नमो नारायण… शनिवार 07 जनवरी से माघ मास प्रारंभ हो कर 05 फरवरी 2023 को पूर्ण होंगे. माघ मास सनातन धर्म ग्रन्थ पंचांग का 11वां माह है,जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जनवरी/फ़रवरी के महीने में आता है.पद्म पुराण में माघ मास के महत्व का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि माघ मास में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी पापों से मुक्ति प्रदान करके उस पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं.यदि आप प्रयाग आदि तीर्थ स्थल में माघ मास में स्नान करते हैं तो आपको अर्थ, धर्म, काम ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है.यहां के स्नान का महत्व इस बात से लगा सकते हैं कि जो व्यक्ति तीर्थ में स्नान कर लेता है,उसे अकाल मृत्यु की आशंका नहीं रहती है.वह इससे मुक्त हो जाता है.माघ मास में स्नान करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ कराने के बाराबर पुण्य फल प्राप्त होता है.प्रयागादि तीर्थ में माघ मास में तीन बार स्नान करते हैं तो आपको वह पुण्य फल प्राप्त होता है, जो 10 हजार अश्वमेध यज्ञ करने से भी नहीं मिलता है.!

प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.!

-:’माघ माह धार्मिक महत्व’:-
ब्रह्मा,विष्णु,महेश,आदित्य,मरुदगण तथा अन्य सभी देवी-देवता माघ में संगम स्नान करते है,मान्यता है कि प्रयाग में माघ मास में तीन बार स्नान करने का फल दस हज़ारअश्वमेघ यज्ञ से भी ज्यादा होता है,पूरे महीने माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है तथा उन्हें सुख-सौभाग्य,धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते है,यदि सकामभाव से माघ स्नान किया जाय तो उससे मनोवांछित फल की सिद्धि होती है और निष्काम भाव से स्नान आदि करने पर वह मोक्ष देने वाला होता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है,मान्यता है कि इन दिनों में प्रयागराज में अनेक तीर्थों का समागम होता है इसलिए जो प्रयाग या अन्य पवित्र नदियों में भी भक्तिभाव से स्नान करते है वह अनेकों पाप और कष्टों से मुक्त होकर स्वर्गलोक में स्थान पाते हैं.श्री रामचरित्र मानस के बालखण्ड में लिखा है -:
‘माघ मकर गति रवि जब होई.!
तीरथपतिहिं आव सब कोई !!

‘धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए अपने रिश्तेदारों को सदगति दिलाने हेतु मार्कण्डेय ऋषि के सुझाव पर कल्पवास किया था,गौतमऋषि द्वारा शापित इंद्रदेव को भी माघ स्नान के कारण श्राप से मुक्ति मिली थी.माघ मास में जो पवित्र नदियों में स्नान करता है उसे एक विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है ,जिससे उसका शरीर निरोगी और आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न हो जाता है.!

-:’माघ मास नियम’:-
पदम् पुराण में महर्षि दत्तात्रेय ने कल्पवास की पूर्ण व्यवस्था का वर्णन किया है,कल्पवासी को सत्य,अहिंसा,संयम,दया ब्रह्मचर्य,व्यसनों का त्याग,पिंडदान,यथाशक्ति दान,भूमि शयन जैसे नियमों का पालन करना चाहिए.व्रत के दौरान धर्म के दस अंगों का पालन किया जाना आवश्यक है.मनु स्मृति के अनुसार दस धर्म हैं-धैर्य,क्षमा,स्वार्थपरता का त्याग,चोरी न करना,शारीरिक पवित्रता, इन्द्रियनिग्रह, बुद्धिमता,विद्या,सत्यवचन और अहिंसा.शास्त्रों के अनुसार माघ स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व आकाश जब तारे निकले हुए हों तब माना गया है.इस मास में तिल,गुड़ और कंबल के दान का विशेष महत्त्व माना गया है.!

-:’माघ मास विशेष उपाय’:-
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि यदि आप माघ मास में प्रयाग के संगम पर पूरे महीने यानि माघ के प्रत्येक दिन स्नान करते हैं तो आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा.भगवान वासुदेव की कृपा से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य, धन, संतान की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष भी मिल जाता है. वह जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होकर भगवान श्रीहरि के चरणों में स्थान प्राप्त करता है.!
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ में संगम पर देवता मनुष्य का रूप धारण करके आते हैं.वह भी यहां गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करके पुण्य लाभ लेते हैं. इस वजह से भी माघ में यहां पर स्नान का महत्व है.!

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