महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त एवं विधि विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त एवं विधि
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

“देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु से
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति
कामाशः शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि॥”

ॐ नमः शिवाय…भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न होने वाला देव कहा गया है.शिवरात्रि पर्व त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक वर्ष किया जाता है.वर्ष 2023 में यह व्रत शनिवार 18 फरवरी में किया जायेगा.महाशिवरात्रि व्रत की यह विशेषता है कि इस व्रत को बालक, स्त्री, पुरुष और वृद्ध सभी कर सकते है.!

इस व्रत के दिन भगवान शिवलिंग दर्शन के लिए हजारों की संख्या में शिव भक्त आते है.सभी शिवालयों में महाशिवरात्रि के दिन बेल, धतूरा और दूध का अभिषेक किया जाता है. शिवरात्रि मात्र एक व्रत नहीं है, और न ही यह कोई त्यौहार है. सही मायनों में देखा जायें, तो यह एक महोत्सव है. इस दिन देवों के देव भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था. उसकी खुशी में यह पर्व मनाया जाता है.!

शास्त्रों में इस तिथि के विषय में कहा गया है, कि जिनकी जटाओं में गंगा भी शरण लेती है, तीनों लोक ( आकाश, पाताल व मृ्त्यु) के वासियों को प्रकट करने वाले है. जिनके नेत्रों से तीन अग्नि निकल कर शरीर का पोषण करती है. ऎसे श्री भगवान शिव भगवान इस तिथि में विवाह रचा कर प्रसन्न है.!

-:”महाशिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी 2023″:-
फाल्गुन चतुर्दशी तिथि शनिवार, 18 फरवरी 2023 को रात्रि 20 बजकर 03 मिनट से
आरम्भ होगी तथा रविवार 19 फरवरी, 2023 को सायंकालीन 16 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.!

-:महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहरी पूजन शुभ मुहूर्त’:-
महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजन मुहूर्त: सायंकालीन 18:11 बजे से रात्रि 20:41 बजे तक.!
महाशिवरात्रि द्वितीय प्रहर पूजन मुहूर्त: रात्रि 21:41 बजे से मध्यरात्रि 23:51 बजे तक.!
महाशिवरात्रि तृतीय प्रहर पूजन मुहूर्त: मध्यरात्रि 24:41 (00:41) बजे से रात्रि 27:21 (03:21)बजे तक.!
महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहर पूजन मुहूर्त: 19 फरवरी, प्रातः 04:11 बजे से 06:51 बजे तक.!

-:’महाशिवरात्रि 2023 निशीथ काल पूजन महूर्त’:-
II.फरवरी शनिवार 18/19 रविवार मध्यरात्रि 24 बजकर 11 मिनट से 25 बजकर 21 मिनट तक.II

-:’महाशिवरात्रि 2023 व्रत पराणा मुहूर्त (समय)’:-
महाशिवरात्रि का पूर्ण व्रत रखने वाले उपासक 18 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत रखेंगे,तथा 19 फरवरी को प्रातः 07 बजकर 11 मिनट से मध्याह्न 12 बजकर 41 मिनट के मध्य कर लेना सर्वोत्तम रहेगा.II

-:’महाशिवरात्रि पर दिन के चौघड़िया मुहूर्त”:-
शुभ -:- 08.21 से 09.45 तक.!
चर -:- 12.31 से 13.51 तक.!
लाभ -:- 13.51 से 15.21 तक.!
अमृत -:- 15.21 से 16.51 तक.!

-:’महाशिवरात्रि पर रात्रि के चौघड़िया मुहूर्त’:-
लाभ -:- 18.11 से 19.51 तक.!
शुभ -:- 21.21 से 22.51 तक.!
अमृत -:- 22.51 से 24.31 तक.!
चर -:- 24.31 से 26.11 तक.!
लाभ -:- 29.19 से 30.51 तक.!

-:’महाशिवरात्रि पूजन विधि’:-
ॐ नमः शिवाय महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पूजन एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके हम अपने जीवन के कष्ट दुख एवं परेशानी को दूर कर सकते हैं,जो व्यक्ति पूजा नहीं कर सकते हैं वे अपने घर में लगभग 3 इंच से छोटा पारदेश्वर शिवलिंग स्थापित करके सामान्य पूजन करके रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप कर सकते हैं..!

महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में हमेशा करना चाहिए,महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन में कष्ट ,रोग इत्यादि परेशानी दूर होती है तथा जो भी क्रूर ग्रह जन्म कुंडली में परेशान करते हैं इन से होने वाली परेशानी भी दूर होती है..!

-: महामृत्युञ्जय मन्त्र – ॥ ॐ ह्रौं जुं सः त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् सः जुं ह्रौं ॐ ॥
पूजा स्थान में पूजन करने से संबंधित सामग्री अक्षत, अष्टगंध , जल , दूध , दही , शक्कर , घी , शहद , पुष्प , बिल्वपत्र , प्रसाद इत्यादि रख ले । सफेद वस्त्र धारण करें कंबल को मोड़ के लगभग दो-तीन इंच का बैठने के लिए आसन बनाएं एवं उस पर सफेद वस्त्र बिछा दे..!

-: पवित्रीकरण-बायें हाथ में जल लेकर उसे दाये हाथ से ढक कर मंत्र पढे एवं मंत्र पढ़ने के बाद इस जल को दाहिने हाथ से अपने सम्पूर्ण शरीर पर छिड़क ले
॥ ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥

-: आचमन-मन , वाणि एवं हृदय की शुद्धि के लिए आचमनी द्वारा जल लेकर तीन बार मंत्र के उच्चारण के साथ पिए
( ॐ केशवया नमः , ॐ नारायणाय नमः , ॐ माधवाय नमः )
ॐ हृषीकेशाय नमः ( इस मंत्र को बोलकर हाथ धो ले )

-: शिखा बंधन – शिखा पर दाहिना हाथ रखकर दैवी शक्ति की स्थापना करें
॥ चिद्रुपिणि महामाये दिव्य तेजः समन्विते , तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजो वृद्धिं कुरुष्व मे ॥

-:न्यास – संपूर्ण शरीर को साधना के लिये पुष्ट एवं सबल बनाने के लिए प्रत्येक मन्त्र के साथ संबन्धित अंग को दाहिने हाथ से स्पर्श करें
ॐ वाङ्ग में आस्येस्तु – मुख को
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु – नासिका के छिद्रों को
ॐ चक्षुर्में तेजोस्तु – दोनो नेत्रों को
ॐ कर्णयोमें श्रोत्रंमस्तु – दोनो कानो को
ॐ बह्वोर्मे बलमस्तु – दोनो बाजुओं को
ॐ ऊवोर्में ओजोस्तु – दोनों जंघाओ को
ॐ अरिष्टानि मे अङ्गानि सन्तु –- सम्पूर्ण शरीर को
-:आसन पूजन-अब अपने आसन के नीचे चन्दन से त्रिकोण बनाकर उसपर अक्षत , पुष्प समर्पित करें एवं मन्त्र बोलते हुए हाथ जोडकर प्रार्थना करें
॥ ॐ पृथ्वि त्वया धृतालोका देवि त्वं विष्णुना धृता , त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् ॥
-: दिग् बन्धन-बायें हाथ में जल या चावल लेकर दाहिने हाथ से चारों दिशाओ में छिड़कें
॥ ॐ अपसर्पन्तु ये भूता ये भूताःभूमि संस्थिताः , ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया , अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् , सर्वे षामविरोधेन पूजाकर्म समारम्भे ॥

-:गणेश स्मरण- सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः , लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः
धुम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः , द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा , संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते

-: श्री गुरु ध्यान – अस्थि चर्म युक्त देह को हिं गुरु नहीं कहते अपितु इस देह में जो ज्ञान समाहित है उसे गुरु कहते हैं , इस ज्ञान की प्राप्ति के लिये उन्होने जो तप और त्याग किया है , हम उन्हें नमन करते हैं , गुरु हीं हमें दैहिक , भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का ज्ञान देतें हैं इसलिये शास्त्रों में गुरु का महत्व सभी देवताओं से ऊँचा माना गया है , ईश्वर से भी पहले गुरु का ध्यान एवं पूजन करना शास्त्र सम्मत कही गई है।

अखण्ड मण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः
ध्यान मूलं गुरोर्मूर्तिः पूजा मूलं गुरोः पदं मन्त्र मूलं गुरोर्वाक्यं मोक्ष मूलं गुरोः कृपा
॥ श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः प्रार्थनां समर्पयामि , श्री गुरुं मम हृदये आवाहयामि मम हृदये कमलमध्ये स्थापयामि नमः ॥

-:भगवान शिव जी का ध्यान –
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्जवलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः ध्यानार्थे बिल्वपत्रं समर्पयामि
-:आवाहन –॥ आगच्छन्तु सुरश्रेष्ठा भवन्त्वत्र स्थिराः समे यावत् पूजां करिष्यामि तावत् तिष्ठन्तु सन्निधौ
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , आवाहनार्थे पुष्पं समर्पयामि ।
-:आसन –॥ अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम् कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , आसनार्थे बिवपत्राणि समर्पयामि ।
-:स्नान॥ -मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः पाद्यं , अर्ध्यं , आचमनीयं च स्नानं समर्पयामि , पुनः आचमनीयं जलं समर्पयामि । (पांच आचमनि जल प्लेटे मे चदायें )
-:दुग्धस्नान॥- काम्धेनुसमुभ्दूतं सर्वेषां जीवनं परम् पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानाय गृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , पयः स्नानं समर्पयामि , पयः स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:दधिस्नान॥- पयसस्तु समुभ्दूतं मधुराम्लं शशिप्रभम् दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं पतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , दधि स्नानं समर्पयामि , दधि स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:घृतस्नान-॥ नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम् घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं पतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , घृतस्नानं समर्पयामि , घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:मधुस्नान-॥ पुष्परेणुसमुत्पन्नं सुस्वादु मधुरं मधु तेजःपुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं पतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , मधुस्नानं समर्पयामि , मधुस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:शर्करास्नान॥- इक्षुसारसमुभ्दूतां शर्करां पुष्टिदां शुभाम् मलापहारिकां दिव्यां स्नानार्थं पतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , शर्करास्नानं समर्पयामि , शर्करास्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:पञ्चामृतस्नान॥- पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम् पञ्चामृतं मयाऽऽनीतं स्नानार्थं पतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि , पञ्चामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:गन्धोदकस्नान॥- मलयाचलसम्भूतचन्दनेन विमिश्रितम् इदं गन्धोकस्नानं कुङ्कुमाक्तं नु गृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , गन्धोदकस्नानं समर्पयामि , गन्धोदकस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि , शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-;शुद्धोदकस्नान॥- शुद्धं यत् सलिलं दिव्यं गङ्गाजलसमं स्मृतम् समर्पितं मया भक्त्या शुद्धस्नानाय गृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
-:-अभिषेक – शुद्ध जल एवं दुध से अभिषेक करे
यदि आप पढ़ सकते हैं तो ( रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें ( पांचवे अध्याय के 16 मंत्र )
या ॥ ॐ नमः शिवाय ॥ मंत्र बोलकर दूध एवं जल मिलकर उससे अभिषेक करें ।

ॐ उमामहेश्वराभ्यां नम: अभिषेकं समर्पयामि ।
-: शांति पाठ –
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गूं) शांति: पृथिवी शान्तिराप: शांतिरोषधय: शांति: । वनस्पतय: शांतिर्विश्वे देवा: शांतिर्ब्रह्मा शांति: सर्व (गूं) शांति: शांतिरेव शांति: सा मा शांतिरेधि ।
-;वस्त्र॥- सर्वभुषादिके सौम्ये लोके लज्जानिवारणे , मयोपपादिते तुभ्यं गृह्यतां वसिसे शुभे ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि , आचमनीयं जलं समर्पयामि ।

-:यज्ञोपवीत- ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् ।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ॥
यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवितेनोपनह्यामि ।
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् ।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥

भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , यज्ञोपवीतं समर्पयामि , यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:चन्दन॥- ॐ श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरं , विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , चन्दनं समर्पयामि ।
-:अक्षत॥- अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुमाक्ताः सुशोभिताः , मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , अक्षतान् समर्पयामि ।
-:पुष्प- माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि भक्तितः , मयाऽऽ ह्रतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यतां ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , पुष्पं समर्पयामि ।
-:बिल्वपत्र॥- त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , बिल्वपत्रं समर्पयामि
-:दुर्वा ॥ दूर्वाङ्कुरान सुहरितानमृतान् मङ्गलप्रदान् आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , दूर्वाङ्कुरान् समर्पयामि
-:धूप ॥ वनस्पति रसोद् भूतो गन्धाढयो सुमनोहरः , आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , धूपं आघ्रापयामि ।
-:दीप ॥ साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया , दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , दीपं दर्शयामि ।
-: नैवैद्य ॥ शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च , आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवैद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , नैवैद्यं निवेदयामि नानाऋतुफलानि च समर्पयामि , आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
-:ताम्बूल ॥ पूगीफलं महद्दिव्यम् नागवल्लीदलैर्युतम् एलालवङ्ग संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , ताम्बूलं समर्पयामि ।
-:दक्षिण ॥ हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , कृतायाः पूजायाः सद् गुण्यार्थे द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि ।
-: आरती ॥ कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम् , आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मां वरदो भव ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , आरार्तिकं समर्पयामि ।
-:मन्त्रपुष्पाञ्जलि ॥ नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद् भवानि च पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तो गृहान परमेश्वर ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , मन्त्रपुष्पाञ्जलिम् समर्पयामि ।
-:प्रदक्षिणा ॥ यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च , तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , प्रदक्षिणां समर्पयामि ।
-: नमस्कार ॥ नमः सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे साष्टाङ्गोऽयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः ॥
भगवते श्री साम्बसदाशिवाय नमः , नमस्कारान समर्पयामि ।
-:अब रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप अपनी सुविधानुसार करें ।
-: जप समर्पण – {दाहिने हाथ में जल लेकर मंत्र बोलें एवं जमीन पर छोड़ दें}
॥ ॐ गुह्यातिगुह्य गोप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं ,
सिद्धिर्भवतु मं देव त्वत् प्रसादान्महेश्वर ॥

-: क्षमा याचना – मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन ,यत्युजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् , पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम , तस्मात् कारुण्यभावेन रक्ष मां परमेश्वर
{ इन मन्त्रों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण कर अपनी विवस्ता एवं त्रुटियों के लिये क्षमा – याचना करें }
ना तो मैं आवाहन करना जानता हूँ , ना विसर्जन करना जानता हूँ और ना पूजा करना हीं जानता हूँ । हे परमात्मा क्षमा करें । हे परमात्मा मैंने जो मंत्रहीन , क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन किया है , वह सब आपकी दया से पूर्ण हो,ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु….!

-:’शिव व्रत प्रदोष काल में’:-
शास्त्रों में प्रदोषकाल (सूर्यास्त होने के बाद रात्रि होने के मध्य की अवधि) सरल शब्दों में सूर्योस्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट कि अवधि प्रदोष काल कहलाती हे. प्रदोष काल के समय में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में नृ्त्य करते है. प्रदोषकाल में ही शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है, कि प्रदोषकाल में शिव पूजा या शिवरात्रि में शिव जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है. सभी 12 ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव भी प्रदोष काल महाशिवरात्रि तिथि में ही हुआ था. इसी कारण से फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी “महाशिवरात्रि” के नाम से जानी जाती है.!

-:’महाशिवरात्रि व्रत महत्व’:-
महाशिवरात्रि व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्ति के योग्य बनाती है.इस व्रत को करने से व्यक्ति का कल्याण होता है.उपवासक के सभी दु:ख, पीडाओं का अंत होता है. साथ ही उसकी इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है.यह व्रत धन, सुख-सौभाग्य, समृ्द्धि की प्राप्ति होती है. इस व्रत को जो भी प्रेम भक्ति के साथ करता है, उसके सभी मनोरथ भगवान शिव की कृ्पा से पूर्ण होते है.!

भगवान शिव की पूजा शुद्ध चित से करनी चाहिए. भगवान श्री देव, देवों के देव है. उनका एक नाम नीलकण्ठ है, विश्वनाथ है. भगवान भोलेनाथ का व्रत करने से व्यक्ति कि धन के प्रति क्षुधा, पिपासा, लोभ, मोह आदि से मुक्ति मिलती है. बुद्धि निर्मल होती है.और जीवन सदकार्यो की ओर प्रेरित होता है.!

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष,अंकज्योतिष,हस्तरेखा,वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें...!
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख