मकर संक्रांति ‘2023’ विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

मकर संक्रांति '2023'विशेषाङ्क
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ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकर:।

ॐ घृणि सूर्याय नमः…सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है.14/15जनवरी 2023 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है. इस पर्व को दक्षिण भारत में तमिल वर्ष की शुरूआत इसी दिन से होती है. वहाँ यह पर्व ‘थई पोंगल’ के नाम से जाना जाता है. सिंधी लोग इस पर्व को ‘तिरमौरी’ कहते है. उत्तर भारत में यह पर्व ‘मकर सक्रान्ति के नाम से और गुजरात में ‘उत्तरायण’ नाम से जाना जाता है. मकर संक्रान्ति को पंजाब में लोहडी पर्व, उतराखंड में उतरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है.!
मकर संक्रान्ति के शुभ समय पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन ग्रहाधिपति सूर्य देव की पूजा – उपासना भी की जाती है.शास्त्रीय सिद्धांतानुसार सूर्य पूजा करते समय श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्पों का विशेष महत्व है इस दिन सूर्य की पूजा करने के साथ साथ भगवान् सूर्यनारायण को अर्ध्य भी अर्पण करना चाहिए.I

“मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त”
सूर्य नारायण शनिवार 14 जनवरी को रात्रिकालीन 20 बजकर 44 मिनट {20:44,PM} बजे धनु राशि निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.!
पुण्यकाल – रविवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर सुबह 07 बजकर 11 मिनट से लेकर सायंकालीन 17 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.!
अभिजीत मुहूर्त- रविवार 15 जनवरी मध्याहन 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक.!
विजया मुहूर्त – रविवार 15 जनवरीमध्याहन 14 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 14 बजकर 51 मिनट तक.!

“मकर संक्रांति के 5 विशेष सूर्य मंत्र”
1.ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

“मकर संक्रान्ति दान महत्व”
मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है. इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए. तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है. जितना सहजता से दान कर सकते है, उतना दान अवश्य करना चाहिए.!

“मकर संक्रान्ति पौराणिक तथ्य”
मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुडे़ हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था. इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है. सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है. महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था.!

कहा जाता है कि आज ही के दिन गंगा जी ने भगीरथ के पीछे- पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी. इसीलिये आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है. मकर संक्रान्ति के दिन से मौसम में बदलाव आना आरम्भ होता है. यही कारण है कि रातें छोटी व दिन बडे होने लगते है. सूर्य के उतरी गोलार्ध की ओर जाने बढने के कारण ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ होता है. सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढने लगती है. इसके फलस्वरुप प्राणियों में चेतना और कार्यशक्ति का विकास होता है.!

“सूर्य उत्तरायण पर्व”
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना “संक्रान्ति” कहलाता है अत: इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को “मकर संक्रान्ति” के नाम से जाना जाता है. मकर–संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है. इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्त्व है. इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है.!

भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रात: सूर्योदय से कुछ घंटे पहले का समय पुण्य काल माना जाता है. मकर संक्रांति के अलावा, कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, गंगा दशहरा, मौनी अमावस्या ये कुछ पर्व हैं जिनमें पुण्य काल में स्नान करना अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है. धर्मशास्त्रों के मुताबिक इन अवसरों पर जल में देवताओं एवं तीर्थों का वास होता है. अत: इन अवसरों में नदी अथवा सरोवर में स्नान करना चाहिए. मान्यता यह भी है कि सूर्योदय से पूर्व स्नान दुग्ध स्नान का फल देता है अत: इन अवसरों पर पूर्ण शुद्धि हेतु पुण्य काल में स्नान करने की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है.!

मकर संक्रान्ति के दिन खाई जाने वाली वस्तुओं में जी भर कर तिलों का प्रयोग किया जाता है. तिल से बने व्यंजनों की खुशबू मकर संक्रान्ति के दिन हर घर से आती महसूस की जा सकती है. इस दिन तिल का सेवन और साथ ही दान करना शुभ होता है. तिल का उबटन, तिल के तेल का प्रयोग, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल का पान, तिल- हवन, तिल की वस्तुओं का सेवन व दान करना व्यक्ति के पापों में कमी करता है.!

“मकर संक्रान्ति में गंगा स्नान का महात्मय”
गंगा को स्वर्ग की नदी माना जाता है. यह पृथ्वी पर भगीरथ के तप से आयी और सगर के पुत्रों का उद्धार करते हुए सागर में मिल गयी. जिस दिन गंगा सागर में मिली थी वह मकर संक्रान्ति का दिन था. इसलिए मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान का पुण्य कई गुणा बताया गया है. कोलकाता में गंगा सागर में स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं वहीं, इलाहाबाद में भी संगम तट पर अपार जन समुदाय स्नान-दान के लिए आते हैं. इलाहाबाद में मकर संक्रान्ति से एक महीने का कल्पवास भी प्ररम्भ होता है जिसकी परम्परा रामायण काल से चली आ रही है.!

माना जाता है कि अमृत मंथन के समय देव-दानव के बीच अमृत कलश के लिए संघर्ष हुआ था उसमें अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद में संगम तट पर, हरिद्वार में गंगा के तट पर, नाशिक में गोदावरी के तट पर, उज्जैन में शिप्रा के तट पर गिरी थी. जिससे नदियों का यह तट पुण्य स्थान माना जाता है. इन स्थानों पर भी मकर संक्रान्ति के दिन स्नान करके श्रद्धालु पुण्य अर्जित करते हैं.!

अगर आपके लिए यह संभव न हो कि आप गंगा स्नान के लिए इस दिन गंगा तट पर जा सकें तो घर में ही स्नान के लिए जो जल हो उसमें गंगा जल मिलाकर स्नान करते हुए “ॐ ह्रीं गंगाय्ये ॐ ह्रीं स्वाहा” मंत्र जप करें तो घर में ही गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.!

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