प्रेम राग मे गा रहे.पंछी सारे गीत.।
ताल-नदी-वन-वाटिका.सब कान्हा के मीत.II
श्री राधा कृष्णम शरणम नमः…..फुलेरा दूज का त्योहार बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता हैं.ज्योतिषीय दृष्टिकोण से फुलेरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है.इस दिन का हर क्षण शुभ होता है.इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती.इस वर्ष फुलैरा दूज मंगलवार 21 फरवरी को पड़ रही है,यह पर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है.जिसे प्रेम और स्नेह के महापर्व के नाम से भी जाना जाता हैं.!
—:फुलेरा दूज का महत्व:—
– फुलेरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है.!
– फुलेरा दूज में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है.!
– वैवाहिक जीवन में प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है.!
– वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन श्रीराधाकृष्ण का पूजन किया जाता है.!
– जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो,उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए.!
– फुलेरा दूज वर्ष का अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं.!
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह एक अबूझ मुहूर्त हैं अतैव यदि आप कोई भी नवीन कार्य {ब्यवसाय} करना चाहते हैं तो फुलेरा दूज सर्वोत्तम में से एक उत्तम मुहूर्त होता हैं.माना जाता है कि इस तिथि में साक्षात श्रीकृष्ण का अंश समाहित है.जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से राधा-कृष्ण की उपासना करते हैं, श्रीकृष्ण उनके जीवन में प्रेम और खुशियां बरसाते हैं.!
कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं.राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं.56 भोग,भजन-कीर्तन करते हैं,क्योंकि फुलेरा दूज का दिन कृष्ण से प्रेम को जताने का दिन है,इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं,उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैं.!
ज्योतिष दृष्टिकोण से देखें तो इस दिन आप अपने जीवनसाथी के साथ मतभेद दूर करने के उपाय भी कर सकते हैं.यदि आपके और आपके जीवनसाथी के मध्य मतभेद रहते हैं तो आप निम्न उपायों से अपने जीवन प्रेम रस घोल सकते हैं..!
– पलंग के नीचे गंदगी इकट्ठा न होने दें.!
– सोने के लिए ढेर सारे तकियों का प्रयोग न करें.!
– सोने वाले पलंग के चारों पावों में गुलाबी धागा बांधें.!
-:’प्रेम और खुशियां बिखेरने वाला दिन’:-
इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंगबिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से राधे-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है.फुलेरा दूज के दिन से ही लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं.धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण होली की तैयारी करने लगते थे,और होली आने पर पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे.!
-:’फुलेरा दूज मनाने की रखें कुछ सावधानियां’:-
– पूजा के बाद सात्विक भोजन ही ग्रहण करें.I
– शाम का समय ही पूजन के लिए सबसे उत्तम हैं.!
– रंगीन और साफ कपड़े पहनकर आनंद से पूजा करें.!
– अगर प्रेम के लिए पूजा करनी है तो गुलाबी कपड़े पहनें.!
– अगर वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करनी है तो पीले कपड़े पहनें.!