Vaidic Jyotish
October 15, 2024 2:22 PM

Ganesh Chaturthi 2024: श्री गणेश चतुर्थी

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

श्रीगणेशाय नमः….श्री गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है. श्री गणेश विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है. इस चतुर्थी उपवास को करने वाले जन को चन्द्र दर्शन से बचना चाहिए.!

श्री गणेश चतुर्थी व्रत कैसे करें…….?

श्री गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, व्रत करने वाले जन को इस तिथि के दिन प्रात: काल में ही स्नान व अन्य क्रियाओं से निवृ्त होना चाहिए. इसके पश्चात उपवास का संकल्प लिया जाता है. संकल लेने के लिये हाथ में जल व दूर्वा लेकर गणपति का ध्यान करते हुए, संकल्प में यह मंत्र बोलना चाहिए.!

“मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये”

इसके पश्चात सोने या तांबे या मिट्टी से बनी प्रतिमा चाहिए. इस प्रतिमा को कलश में जल भरकर, कलश के मुँह पर कोरा कपडा बांधकर, इसके ऊपर प्रतिमा स्थापित की जास्ती है. फिर प्रतिमा पर सिंदूर चढाकर षोडशोपचार से उनका पूजन किया जाता है.पूजा करने के बाद ‘गणेश चतुर्थी व्रत कथा’ का श्रवण {सुननी} चाहिए.!

-:’गणेश चतुर्थी व्रत कथा’:-

एक बार महादेव जी भोगावती नदी पर स्नान करने गए उनके चले जाने के बाद पार्वती माता ने अपने तन की मेल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाले,उसका नाम ‘गणेश’ रखा,पार्वती माता ने उससे कहा कि एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ और जब तक मैं नहा रही हूं किसी को अंदर मत आने देना.!
भोगावती पर से स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी आए तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया शिवजी ने बहुत समझाया पर गणेश जी नहीं माने,इसको शिव जी ने अपना अपमान समझकर उस पर क्रोध किया और त्रिशूल से उसका सिर धड़ से अलग कर के भीतर चले गए,जब माता पार्वती को पता चला कि शिव जी ने गणेश जी का सिर काट दिया है तो वे बहुत कुपित हुई.!
गणेश जी के मूर्छित होने से पार्वती माता अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने अन्न, जल का त्याग कर दिया, पार्वती जी की नाराजगी दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश जी के हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया,तब देवताओं ने गणेश जी को तमाम शक्तियां प्रदान की और प्रथम पूज्य बनाया.यह घटना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुई थी इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व ‘गणेश चतुर्थी’ के रूप में मनाई जाती है.कथा श्रवण {सुनाने } के बाद ‘श्रीगणेश’ जी की आरती अवश्य करनी चाहिए.!

-:’श्री गणेश जी की आरती’:-

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
लडुअन के भोग लागे, सन्त करें सेवा। जय ..
एकदन्त, दयावन्त, चार भुजाधारी।
मस्तक सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय ..
अन्धन को आंख देत, कोढि़न को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ जय ..
हार चढ़े, पुष्प चढ़े और चढ़े मेवा।
सब काम सिद्ध करें, श्री गणेश देवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
विघ्न विनाशक स्वामी, सुख सम्पत्ति देवा॥ जय ..
पार्वती के पुत्र कहावो, शंकर सुत स्वामी।
गजानन्द गणनायक, भक्तन के स्वामी॥ जय ..
ऋद्धि सिद्धि के मालिक मूषक सवारी।
कर जोड़े विनती करते आनन्द उर भारी॥ जय ..
प्रथम आपको पूजत शुभ मंगल दाता।
सिद्धि होय सब कारज, दारिद्र हट जाता॥ जय ..
सुंड सुंडला, इन्द इन्दाला, मस्तक पर चंदा।
कारज सिद्ध करावो, काटो सब फन्दा॥ जय ..
गणपत जी की आरती जो कोई नर गावै।
तब बैकुण्ठ परम पद निश्चय ही पावै॥ जय .

आरती के पश्चात दक्षिण अर्पित करके 21 लड्डुओं का भोग लगाया जाता है.इसमें से पांच लड्डू श्री गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बाँट दिये जाते है.!
विशेष- गणेश चतुर्थी के दिन, चन्द्र दर्शन वर्जित होता है, इस दिन चन्द्र दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठे कलंक लगने की आंशका रहती है. इसलिये यह उपवास को करने वाले व्यक्ति को अर्ध्य देते समय चन्द्र की ओर न देखते हुए, नजरे नीची कर अर्ध्य देना चाहिए.!

-:’श्रीगणेश चतुर्थी महत्व’:-

गणेश चतुर्थी के दिन व्रत पालन कर गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुनने अथवा पढ़ने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन मे कष्टों का निवारण होता है,गणेश चतुर्थी व्रत कथा व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली और जीवन में सुख समृद्धि लाने वाली बताई गई है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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