Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

ध्यान मूलं गुरु मूर्ति ,पूजा मूलं गुरु पदम्..!
मन्त्र मूलं गुरु:वाक्यं ,मोक्ष मूलं गुरु कृपा.!!

Guru Purnima 2023: श्रीगुरु चरण कमलेभ्यो नमः…. शास्त्रों में “गु” का अर्थ बताया गया है :- अंधकार या मूल अज्ञान और “रु” का का अर्थ किया गया है :- उसका निरोधक,गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है,अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है.!

“अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः ”
गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी,बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है,गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है.!

आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है,वर्ष 2023 में 03 जुलाई को गुरुपूर्णिमा का उत्सव मनाया जायेगा,इस दिन का बहुत ही अधिक महत्व होता है, कहते हैं गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं,साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रह कर साधना करते हैं,सनातन हिंदू धर्म के अनुसार गुरु को देवता के सामान माना जाता है,गुरु में हमेशा ब्रह्मा, विष्णु और महेश मानकर पूजा की जाती है..!

वेद व्यास को पूरी मनुष्य जगत का गुरु माना जाता है,जिन्होंने वेद,उपनिषद और पुराणों को प्रणयन किया है,महर्षि वेदव्यास का जन्म भी आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 वर्ष पूर्व हुआ था,जिसके कारण ही हर साल गुरु पूर्णिमा के तौर में इसे मनाया जाता है,इस दिन उनके द्वारा रचित ग्रथों और इनकी तस्वीर की पूजा-अर्चना की जाती है.!

पुरुणों के अनुसार,भगवान शिव ही पहले गुरु माने जाते है,शनि और परशुराम के साथ उनके 5 और शिष्य थे,जो आगे चलकर सात महर्षि के नाम से जाने जाते है,जिन्होंने शिव के ज्ञान को आगे तक पहुचांया,शिव जी ही थे जिन्होंने धरती में सभ्यता और धर्म को लेकर प्रचार किया,जिसके कारण ही उन्हें आदिगुरु के नाम से पुकारा जाता है.!

-:गुरु वन्दना:-
गुरु को नमन
गुरु के चरणों में है वंदन,
गुरु को करूँ मैं प्रथम प्रणाम,
गुरु से ही शिक्षा मिलती है,
गुरु से मिले अपरिमित ज्ञान;
मात-पिता के श्री चरणों में,
शत-शत नमन हमारा है,
जीवन की पहली शिक्षा से,
संपूर्ण चरित्र संवारा है;
गुरु ही जीवन की धारा को,
नई दिशा दिखलाता है,
कठिन,कंटीले,वक्र मार्ग से,
सरल राह ले जाता है;
परमपिता परमेश्वर सद्गुरू के,
प्रति हो समर्पित ध्यान,
हर-क्षण, हर-पल प्रगति करें हम,
गुरु का बढ़े मान-सम्मान।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इसी के संदर्भ में यह समय अधिक प्रभावी भी लगता है.गुरू पूर्णिमा अर्थात गुरू के ज्ञान एवं उनके स्नेह का स्वरुप है. हिंदु परंपरा में गुरू को ईश्वर से भी आगे का स्थान प्राप्त है तभी तो कहा गया है कि हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर. इस दिन के शुभ अवसर पर गुरु पूजा का विधान है. गुरु के सानिध्य में पहुंचकर साधक को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त होती है.!

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी होता है. वेद व्यास जी प्रकांड विद्वान थे उन्होंने वेदों की भी रचना की थी इस कारण उन्हें वेद व्यास के नाम से पुकारा जाने लगा.!

-:’Guru Purnima 2023: ज्ञान का मार्ग है गुरू पूर्णिमा’:-

शास्त्रों में गुरू के अर्थ के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश देने वाला कहा गया है. गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले होते हैं. गुरु की भक्ति में कई श्लोक रचे गए हैं जो गुरू की सार्थकता को व्यक्त करने में सहायक होते हैं. गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार संभव हो पाता है और गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं हो पाता.!

भारत में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है. प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा हमारे भीतर गुरू के महत्व को परिलक्षित करती है. पहले विद्यार्थी आश्रम में निवास करके गुरू से शिक्षा ग्रहण करते थे तथा गुरू के समक्ष अपना समस्त बलिदान करने की भावना भी रखते थे, तभी तो एकलव्य जैसे शिष्य का उदाहरण गुरू के प्रति आदर भाव एवं अगाध श्रद्धा का प्रतीक बना जिसने गुरू को अपना अंगुठा देने में क्षण भर की भी देर नहीं की.!

गुरु पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह उच्चवल और प्रकाशमान होते हैं उनके तेज के समक्ष तो ईश्वर भी नतमस्तक हुए बिना नहीं रह पाते. गुरू पूर्णिमा का स्वरुप बनकर आषाढ़ रुपी शिष्य के अंधकार को दूर करने का प्रयास करता है. शिष्य अंधेरे रुपी बादलों से घिरा होता है जिसमें पूर्णिमा रूपी गुरू प्रकाश का विस्तार करता है. जिस प्रकार आषाढ़ का मौसम बादलों से घिरा होता है उसमें गुरु अपने ज्ञान रुपी पुंज की चमक से सार्थकता से पूर्ण ज्ञान का का आगमन होता है.!

गुरू आत्मा – परमात्मा के मध्य का संबंध होता है. गुरू से जुड़कर ही जीव अपनी जिज्ञासाओं को समाप्त करने में सक्षम होता है तथा उसका साक्षात्कार प्रभु से होता है. हम तो साध्य हैं किंतु गुरू वह शक्ति है जो हमारे भितर भक्ति के भाव को आलौकिक करके उसमे शक्ति के संचार का अर्थ अनुभव कराती है और ईश्वर से हमारा मिलन संभव हो पाता है. परमात्मा को देख पाना गुरू के द्वारा संभव हो पाता है. इसीलिए तो कहा है , गुरु गोविंददोऊ खड़े काके लागूं पाय. बलिहारी गुरु आपके जिन गोविंद दियो बताय.!

-:’Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा महत्व’:-

गुरु को ब्रह्मा कहा गया है. गुरु अपने शिष्य को नया जन्म देता है. गुरु ही साक्षात महादेव है, क्योकि वह अपने शिष्यों के सभी दोषों को माफ करता है. गुरु का महत्व सभी दृष्टि से सार्थक है. आध्यात्मिक शांति, धार्मिक ज्ञान और सांसारिक निर्वाह सभी के लिए गुरू का दिशा निर्देश बहुत महत्वपूर्ण होता है. गुरु केवल एक शिक्षक ही नहीं है, अपितु वह व्यक्ति को जीवन के हर संकट से बाहर निकलने का मार्ग बताने वाला मार्गदर्शक भी है.!

गुरु व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश में ले जाने का कार्य करता है, सरल शब्दों में गुरु को ज्ञान का पुंज कहा जा सकता है. आज भी इस तथ्य का महत्व कम नहीं है. विद्यालयों और शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों द्वारा आज भी इस दिन गुरू को सम्मानित किया जाता है. मंदिरों में पूजा होती है, पवित्र नदियों में स्नान होते हैं, जगह जगह भंडारे होते हैं और मेलों का आयोजन किया जाता है.!

वास्तव में हम जिस भी व्यक्ति से कुछ भी सीखते हैं , वह हमारा गुरु हो जाता है और हमें उसका सम्मान अवश्य करना चाहिए. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा ‘गुरु पूर्णिमा’ अथवा ‘व्यास पूर्णिमा’ है. लोग अपने गुरु का सम्मान करते हैं उन्हें माल्यापर्ण करते हैं तथा फल, वस्त्र इत्यादि वस्तुएं गुरु को अर्पित करते हैं. यह गुरु पूजन का दिन होता है जो पौराणिक काल से चला आ रहा है.!

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष, अंकज्योतिष,हस्तरेखा, वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख