Vaidic Jyotish
October 15, 2024 3:28 PM

Holashtak 2024: होलाष्टक में क्या करें क्या न करें व महत्व

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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नमो नारायण..होलाष्टक 17 मार्च से शुरू हो रहा है,जो कि 24 मार्च को होलिका दहन तक रहेगा, होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है,इन आठ दिनों कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है,होलाष्टक के दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश आदि सोलह संस्कारों को करने की मनाही है,

-:’होलाष्टक से जुड़ी पौराणिक कथा’:-
होलाष्टक के दिन को अशुभ मानने के पीछे कई मान्यताएं हैं,प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, कामदेव ने शिवजी की तपस्या को भंग कर दिया तब उन्हें महादेव के प्रकोप का सामना करना पड़ा था,क्रोधित होकर शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था,जिससे प्रकृति में शोक की लहर फैल गई थी,जिस दिन कामदेव को भस्म किया गया था,उस दिन फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी।,इसी कारण से यह दिन शुभ नहीं माने जाते हैं.!

-: क्यों अशुभ हैं होलाष्टक……?
होलाष्टक दो कारणों से अशुभ समझा जाता है,पहला कारण- भक्त प्रहलाद विष्णु जी के परम भक्त थे लेकिन उनके पिता हिरण्यकश्यप स्वय अपने आपको ही भगवान् मानते थे,हिरण्यकश्यप चाहता था की प्रहलाद भगवान् विष्णु की साधना छोड़कर उनकी पूजा करे,इसलिए उसने प्रहलाद को आठ दिनों तक बहुत परेशान किया,जब हिरण्यकश्यप अपनी कोशिशो में कामयाब न हुए तो उन्होंने भक्त प्रहलाद को होलिका दहन के दिन आग में जला देने का निर्णय लिया जिसमे भी उसकी हार हुई और भक्त प्रहलाद को जलाने में असफल हो गए,इसलिए ये आठ दिन होली के पहले अशुभ माने जाते है.!

साधू संतो और तपसीयो के लिए यह होलाष्टक के दिन और खासकर के होली का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है इन दिनों में की गई साधना और तपस्या या तांत्रिको द्वारा की गई तंत्र साधना और मंत्र साधना विशेष फल प्रदान करती है और सिद्धि प्राप्त होती है.!

ज्योतिषशास्त्र में प्रत्येक शुभ कार्य के लिए समय निर्धारित किया गया है. इस शुभकाल में प्रारंभ किया गया कार्य अवश्य ही पुण्य फलदायी एवं शुभकारी बताया गया है, किंतु इसी काल में ऐसा भी समय होता है जब शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. एक ऐसा ही काल होता है होलाष्टक जो भारतीय धर्म एवं ज्योतिषशास्त्र में मंगल कार्यों के लिए उत्तम नहीं माना गया है.!

होलाष्टक में 16 संस्कारों को पूरी तरह से प्रतिबंधित माना गया है.वहीं ग्रह प्रवेश,मुंडन,गृह निर्माण कार्य आदि भी इन दिनों शुरू नहीं किए जाते हैं.पौराणिक विवरण के मुताबिक,होली के आठ दिन पूर्व अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है.मान्यताओं के मुताबिक,भगवान शिव ने होलाष्टक के पहले दिन कामदेव को भस्म कर दिया था क्योंकि कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी.होलाष्टक को लेकर एक और कहानी प्रचलित है.कहते हैं महान दैत्य हिरण्यकश्यप ने भगवान से वरदान मिलने के बाद भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था.फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाकर यातनाएं दी.साथ ही होलिका ने भी प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया,लेकिन वह स्वयं ही जल गई और प्रह्लाद बच गए.!
इन आठ दिनों में प्रह्लाद को यातनाएं देने के कारण ही यह समय होलाष्टक कहा जाता है.उत्तरी भारत में होलाष्टक को अशुभ माना जाता है.इस अवधि में लोग कोई भी नया काम नहीं शुरू करते हैं. इन 8 दिनों में ग्रह अपना स्थान बदलते हैं.ग्रहों के इन बदलाव की वजह से होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को शुरू नहीं किया जाता है.!

-:’होलाष्टक के दौरान ये कार्य बिल्कुल ना करें:–
होलाष्टक के 8 दिन किसी भी मांगलिक शुभ कार्य को करने के लिए शुभ नहीं होता है.इस दौरान ये कार्य बिल्कुल नहीं करने चाहिए- शादी,भूमि पूजन,गृह प्रवेश,हिंदू धर्म के 16 संस्कार,कोई भी नया व्यवसाय या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए.!
होलाष्टक पर होने वाले रीति-रिवाज-होलाष्टक शुरू होने पर दो डंडिया रखी जाती है.इसमें से एक डंडी होलिका और दूसरी प्रहलाद का प्रतिनिधित्व करती है. इन डंडियों की स्थापना के बाद होलिका दहन के दिन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.इस दिन होलिका दहन के लिए स्थान का भी चुनाव किया जाता है और उसे गंगाजल से साफ किया जाता है.इसी दिन से लोग होलिका दहन के लिए लकड़ियां, उपले, सूखी घास इत्यादि इकठ्ठा करना शुरू कर देते हैं.!
होलाष्टक मुख्यत: उत्तराँचल,हिमाचल प्रदेश,हरियाणा,पंजाब,बिहार,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में माना जाता है.होलाष्टक के दौरान कर सकते हैं ये काम-ऐसा माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान किसी जरूरतमंद को दान करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है.तांत्रिकों के लिए होलाष्टक है महत्वपूर्ण-ऐसा विश्वास है कि तांत्रिकों के लिए होलाष्टक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि होलाष्टक के दौरान उनकी ऊर्जा बढ़ जाती है. इस दौरान तांत्रिक साधना करते हैं.!

-:’ज्योतिष की नजर से होलाष्टक’:-
होलाष्टक के दौरान अष्टमी को चंद्रमा,नवमी को सूर्य,दशमी को शनि,एकादशी को शुक्र,द्वादशी को गुरु,त्रयोदशी को बुध,चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहू उग्र स्वभाव में रहते हैं.माना जाता है कि इन ग्रहों के उग्र होने के कारण मनुष्य के निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है ऐसे में अक्सर उससे गलत निर्णय भी हो जाते हैं. नतीजा हर तरह से हानि की आशंका प्रबल हो जाती है.!

-:’वैज्ञानिक आधार और होलाष्टक’:-
हिन्दु शास्त्रों में हर त्योहार का अपना वैज्ञानिक महत्व होता है.होलाअष्टक के वैज्ञानिक आधार के मुताबिक यह समय मौसम परिवर्तन का समय है.मौसम के परिवर्तन के कारण मन इस समय अक्सर उदास रहता है.इसलिए जब यह अवधि समाप्त होती है तो हम आनंद में डूबने का प्रयास करते हैं.यही दिन होली के रूप में साकार होता है.!

-:’होलाष्टक की अवधी में भूलवश भी न करें यह कार्य:-
-:कोई भी नया काम शुरू न करें.!
-:शादी और सगाई जैसी मांगलिक कार्य बिल्कुल भी न करें.!
-:होलाष्टक के दौरान बहू-बेटी की विदाई नहीं की जाती है.!
-:मुंडन, गृह प्रवेश और नई शॉप खोलने जैसे कार्य करना भी वर्जित है.!
-:नया बिजनेस भी इस दौरान शुरू न करें.!
-:होलाष्ट के समय नए मकान, वाहन और प्लॉट न खरीदें.!

-:’होलाष्टक में करें यह कार्य’:-
-:भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.!
-:स्नान-दान करें, शुभ फलों की प्राप्ति होगी.!
-:फाल्गुन पूर्णिमा पर चंद्रमा और मां लक्ष्मी की अर्चना करें.!
-:अपने सामर्थ के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करें.!

नोट :- “ज्योतिष, अंकज्योतिष, वास्तु, रत्न, रुद्राक्ष, व्रत, त्यौहार व गोचर में ग्रहों के राशि परिवर्तन से सम्बंधित अधिक जानकारी हेतु ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel,Facebook Page तथा www.vaidicjyotish.com पर प्राप्त कर सकते हैं”.II

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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