Maa Brahmacharini Puja 2024: माँ ब्रह्मचारिणी पूजन

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।।

जय माता दी…..नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.माँ ब्रह्मचारिणी जी का पूजन इस वर्ष वसंत/चैत्र नवरात्रि में गुरुवार 23 मार्च को होगी,देवी ब्रह्मचारिणी का रूप तपस्विनी जैसा है.माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है.देवी दुर्गा का यह रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है. देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है….!

-:’माँ ब्रह्मचारिणी पूजन’:-
देवी ब्रह्मचारिणी जी की पूजा का विधान इस प्रकार है, सर्वप्रथम आपने जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को कलश में आमत्रित किया है उनकी फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को जो कुछ भी प्रसाद अर्पित कर रहे हैं उसमें से एक अंश इन्हें भी अर्पण करें. प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें. कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें. इनकी पूजा के पश्चात मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें.!

“देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें”
“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा”.II

इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल, कमल काफी पसंद है उनकी माला पहनायें. प्रसाद और आचमन के पश्चात् पान सुपारी भेंट कर प्रदक्षिणा करें और घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें.!

इस प्रकार देवी की प्रतिमा की पंचोपचार सहित पूजा करते हैं उनकी साधना सफल हो जाती है. दुर्गा पूजा में नवरात्रे के नौ दिनों तक देवी धरती पर रहती हैं अत: यह साधना का अत्यंत सुन्दर और उत्तम समय होता है. इस समय जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है. देवी ब्रह्मचारिणी का भक्त जीवन में सदा शांत-चित्त और प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है.!

-:’माँ ब्रह्मचारिणी पूजन महत्व’:-
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है. मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी. यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं. मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है.!

देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं. देवी को कई अन्य नामों जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा से भी पुकारा जाता है. इस दिन साधक का मन एकाग्रता की ओर अग्रसर होता है. अपने मन को इस ओर उन्मुख करके भक्त मां ब्रह्मचारिणी जी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है.!

-:’माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र’:-
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।।

-:’माँ ब्रह्मचारिणी जी की आरती’:-
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो
ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपे सकल संसारा
जय गायत्री वेद की माता
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने न पाए
कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर
आलस छोड़ करे गुणगाना
मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी
रखना लाज मेरी महतारी

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष,अंकज्योतिष,हस्तरेखा,वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें…!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख