‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता.!
नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘..!!
Maa Chandraghanta Puja: जय माता दी…..नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है.इस दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है.इस वर्ष वसंत/चैत्र नवरात्रि में शुक्रवार 24 मार्च को माँ आध्यशक्ति नव दुर्गा के तृतीय स्वरुप माँ चंद्रघंटा का पूजन अर्चन वंदन किया जायेगा.माँ चंद्रघंटा के सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है,इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है.इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध मंगल नामक ग्रह से होता है. इस बार मां के तीसरे स्वरूप की उपासना आज की जाएगी.! मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है.मां को लाल पुष्प,रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है.इस दिन माता को मालपुआ का भोग लगेगा,इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है. इसलिए इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है. अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए.!
Maa Chandraghanta Puja: मां चंद्रघंटा मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
Maa Chandraghanta Puja: माँ चंद्रघंटा ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग,गदा,पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
Maa Chandraghanta Puja: माँ चंद्रघंटास्तोत्र पाठ:
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥
Maa Chandraghanta Puja: माँ चंद्रघंटा आरती:
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥
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