Maa Mahagauri Puja: माँ महागौरी पूजन

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Maa Mahagauri Puja: माँ महागौरी पूजन
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श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

Maa Mahagauri Puja: जय माता दी ….नवरात्रि के अष्ठम दिवस आध्यशक्ति माँ नवदुर्गा के अष्टम स्वरुप मां महागौरी की पूजा की जाती है.वर्ष 2023 के चैत्र वसंत नवरात्रि में स्कंदमाता का पूजन 29 मार्च को किया जायेगा,अपने गौरे रंग के कारण इनका नाम महागौरी पडा.माता के महागौरी रुप का पूजन करने पर माता प्रसन्न होकर उपवासक के हर असंभव कार्य को भी संभव कर,आशिर्वाद देती है.नवरात्र में अष्टमी पूजा का खास महत्व होता है.इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता हैं,धार्मिक मान्यता के अनुसार,मां गौरी की विधिवत् अराधना करने से निसंतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.इसके अलावा देवी के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है .वहीं जिस किसी की भी शादी में किसी तरह की अड़चन आ रही है तो वो भी आज के दिन महागौरी की पूजा करें.!
हिंदू धर्म का शास्त्र शिवपुराण के अनुसार माना जाता है कि जब मां केवल आठ बरस की थी तभी उन्हें पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था.इसलिए इसी उम्र में उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के घोर तपस्या शुरू कर दी थी.!

Maa Mahagauri Puja: माँ महागौरी का स्वरुप

शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है.इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है.अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल,कोमल,श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं.ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं.इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं.!

Maa Mahagauri Puja:माँ महागौरी पूजन विधि

नवरात्रि अष्टमी के दिन स्नान कर के साफ-सुथरे वस्त्र पहन लें. इसके बाद दुर्गा जी मूर्ति को जल से स्नान कराएं या गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद मां को सफेद या लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें.लाल रंग शुभ माना जाता है.वहीं मान्यताओं के मुताबिक, सफेद रंग मां गौरी को बेहद पसंद हैं. वस्त्र अर्पित करने के बाद देवी मूर्ति को कुमकुम, रोली लगाएं और पुष्प अर्पित करें. इसके बाद माता महागौरी को पांच तरह के मिष्ठान और फल का भोग लगाएं. देवी मंत्र के साथ विधि-विधान से अष्टमी की पूजा करें और बाद में गौरी जी की आरती कर पूजा संपन्न करें.!

Maa Mahagauri Puja:माँ महागौरी मंत्र

‘सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥’

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

Maa Mahagauri Puja: अष्टमी तिथि एवं कन्या पूजन

अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान भी है.वैसे कई लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं. दरअसल मार्केंडय पुराण के अनुसार सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं.आमतौर पर कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है. सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मान कर पूजा जाता है.!
कन्याओं का पूजन करते समय पहले उनके पैर धो कर पंचोपचार विधि से पूजन करें और बाद में भोजन कराएं और प्रदक्षिणा करते हुए यथा शक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें. इस तरह नवरात्रि पर्व पर कन्या का पूजन करके भक्त मां की कृपा पा सकते हैं. लेकिन इस कोरोना वायरस की वजह से कन्या भोज से बचे और अपने ही घर की किसी बच्ची को नौ देवी मानकर कन्या पूजन कर लें.

Maa Mahagauri Puja: विशेष :- नवरात्रि के अष्टम दिन श्वेत वस्त्र धारण करके माँ महागौरी की पूजन करें माँ के पूजन में सफ़ेद पुष्पों का विशेष रूप से प्रयोग करें,माँ को दुग्ध से बने नैवेद्य तथा पेठे का भोग अर्पण करें,सच्चे मन से जो भक्त/उपासक/अर्चक माँ की चरणों में अपनी अरदास अर्पण करता हैं माँ उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं.!

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