Matsya Jayanti 2024: श्रीमत्स्य जयन्ती

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

नमो नारायण …कल्पांत के पूर्व एक बार ब्रह्मा जी के पास से वेदों को एक बहुत बड़े दैत्य ने चुरा लिया.चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला हो गया,तब भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य धारण करके उस दैत्य का वध किया और वेदों की रक्षा की,चैत्र शुक्ल द्वितीय को मत्स्य जयंती मनाई जाती हैं जो वर्ष 2K24,में गुरुवार 11,अप्रैल को मनाई जाएगी..!

-:राजा सत्यव्रत को मतस्य भगवान के दर्शन:-
कल्पांत के पूर्व एक पुण्यात्मा राजा तप कर रहा था,राजा का नाम सत्यव्रत था,सत्यव्रत पुण्यात्मा तो था ही,बड़े उदार हृदय का भी था,प्रभात का समय था सूर्योदय हो चुका था सत्यव्रत कृतमाला नदी में स्नान कर रहा था उसने स्नान करने के पश्चात जब तर्पण के लिए अंजलि में जल लिया,तो अंजलि में जल के साथ एक छोटी-सी मछली भी आ गई जैसे ही सत्यव्रत ने मछली को नदी के जल में छोड़ना चाहा मछली बोली, ‘राजन…! जल के बड़े-बड़े जीव छोटे-छोटे जीवों को मारकर खा जाते हैं,अवश्य कोई बड़ा जीव मुझे भी मारकर खा जायेगा,कृपा करके मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए,सत्यव्रत के हृदय में दया उत्पन्न हो उठी उसने मछली को जल से भरे हुए अपने कमंडलु में डाल लिया,आश्चर्य…! एक रात में मछली का शरीर इतना बढ़ गया कि कमंडलु उसके रहने के लिए छोटा पड़ने लगा इसी तरह राजा जिस भी पात्र में उस मछली को रखते वही छोटा हो जाता और मछली का आकार बढता जाता.तब सत्यव्रत ने मछली को निकालकर एक सरोवर में डाल किया,किंतु सरोवर भी मछली के लिए छोटा पड़ गया इसके बाद सत्यव्रत ने मछली को नदी में और फिर उसके बाद समुद्र में डाल किया आश्चर्य….! समुद्र में भी मछली का शरीर इतना अधिक बढ़ गया कि मछली के रहने के लिए वह छोटा पड़ गया,अतः मछली पुनः सत्यव्रत से बोली, ‘राजन.यह समुद्र भी मेरे रहने के लिए उपयुक्त नहीं है मेरे रहने की व्यवस्था कहीं और कीजिए…..!

सत्यव्रत विस्मित हो उठा उसने आज तक ऐसी मछली कभी नहीं देखी थी वह विस्मय-भरे स्वर में बोला, ‘मेरी बुद्धि को विस्मय के सागर में डुबो देने वाले आप कौन हैं….? आपक का शरीर जिस गति से प्रतिदिन बढ़ता है, उसे दृष्टि में रखते हुए बिना किसी संदेह के कहा जा सकता है कि आप अवश्य परमात्मा हैं यदि यह बात सत्य है, तो कृपा करके बताइए के आपने मत्स्य का रूप क्यों धारण किया है…?’ सचमुच,वह भगवान श्रीहरि ही थे…..!

मत्स्य रूपधारी श्रीहरि ने उत्तर दिया, ‘राजन….! एक दैत्य ने वेदों को चुरा लिया है जगत में चारों ओर अज्ञान और अधर्म का अंधकार फैला हुआ है मैंने हयग्रीव को मारने के लिए ही मत्स्य का रूप धारण किया है आज से सातवें दिन सारी पृथ्वी पानी में डूब जाएगी जल के अतिरिक्त कहीं कुछ भी दृष्टिगोचर नहीं होगा आपके पास एक नाव पहुंचेगी,आप सभी अनाजों और औषधियों के बीजों को लेकर सप्तॠषियों के साथ नाव पर बैठ जाइयेगा मैं उसी समय आपको पुनः दिखाई पड़ूंगा और आपको आत्मतत्त्व का ज्ञान प्रदान करूंगा….!

-: पृथ्वी पर प्रलय का आना :-
सत्यव्रत उसी दिन से हरि का स्मरण करते हुए प्रलय की प्रतीक्षा करने लगे सातवें दिन प्रलय का दृश्य उपस्थित हो उठा.उमड़कर अपनी सीमा से बाहर बहने लगा भयानक वृष्टि होने लगी थोड़ी ही देर में जल ही जल हो गया संपूर्ण पृथ्वी जल में समा गई उसी समय एक नाव दिखाई पड़ी सत्यव्रत सप्तॠषियों के साथ उस नाव पर बैठ गए,उन्होंने नाव के ऊपर संपूर्ण अनाजों और औषधियों के बीज भी भर लिए नाव प्रलय के सागर में तैरने लगी प्रलय के उस सागर में उस नाव के अतिरिक्त कहीं भी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था,सहसा मत्स्यरूपी भगवान प्रलय के सागर में दिखाई पड़े सत्यव्रत और सप्तर्षिगण मतस्य रूपी भगवान की प्रार्थना करने लगे,’हे प्रभो…..! आप ही सृष्टि के आदि हैं,आप ही पालक है और आप ही रक्षक ही हैं,दया करके हमें अपनी शरण में लीजिए,हमारी रक्षा कीजिए….!

सत्यव्रत और सप्तॠषियों की प्रार्थना पर मत्स्यरूपी भगवान प्रसन्न हो उठे उन्होंने अपने वचन के अनुसार सत्यव्रत को आत्मज्ञान प्रदान किया,बताया,’सभी प्राणियों में मैं ही निवास करता हूं न कोई ऊंच है,न नीच.सभी प्राणी एक समान हैं जगत नश्वर है.नश्वर जगत में मेरे अतिरिक्त कहीं कुछ भी नहीं है जो प्राणी मुझे सबमें देखता हुआ जीवन व्यतीत करता है,वह अंत में मुझमें ही मिल जाता है…!

मत्स्य रूपी भगवान से आत्मज्ञान पाकर सत्यव्रत का जीवन धन्य हो उठावे जीते जी ही जीवन मुक्त हो गए,प्रलय का प्रकोप शांत होने पर मत्स्य रूपी भगवान ने उस दैत्य को मारकर,उससे वेद छीन लिए.भगवान ने ब्रह्मा जी को पुनः वेद दे दिए..!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.II

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख