नमो नारायण…..हमारे आपपास कई तरह की ऊर्जा का प्रभाव रहता है जिनका असर हमारे जीवन पर भी पड़ता है,प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए जल,पृथ्वी,वायु, अग्नि और आकाश {पंच तत्व} के बीच परस्पर क्रिया होती है,जिसका प्रभाव इस पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव पर पड़ता है,इन पांच तत्वों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया को वास्तु शास्त्र कहा गया है,वास्तु शास्त्र पांच तत्वों की क्रियाओं का विज्ञान है,दक्षिण भारत में वास्तु का जनक साधु मायन को माना जाता है और उत्तर भारत में विश्वकर्मा को वास्तु का जनक माना जाता है…!
बोलचाल अथवा साधारण भाषा में वास्तु का अर्थ रहने की जगह यानि घर या निवास स्थान,दूकान,ऑफिस,व्यवसाय,फैक्ट्री,होता है,वास्तु शास्त्र के अनुसार पंच तत्व के बीच सामंजस्य स्थापित करने की विघा है,वास्तु शास्त्र कला,विज्ञान,खगोल विज्ञान और ज्योतिष को मिलाकर बनाया गया है…!
–:महत्वपूर्ण है वास्तु:–
यह माना जाता है कि वास्तुशास्त्र हमारे जीवन को बेहतर बनाने एवं नकारात्मकता को दूर रखने में मदद करता है,दूसरे शब्दों में कहें तो वास्तुशास्त्र हमें नकारात्मक तत्वों से दूर सुरक्षित वातावरण में रखता है…!
वास्तुशास्त्र सदियों पुराना विज्ञान है,जिसमें वास्तुकला के सिद्धांत और दर्शन सम्मिलित हैं,जो किसी भी भवन निर्माण में बहुत अधिक महत्व रखते हैं,इनका प्रभाव मानव की जीवन शैली एवं रहन सहन पर पड़ता है…!
–:वास्तु शास्त्र और विज्ञान:–
ऊर्जा स्रोत में चुंबकीय,थर्मल और विद्युत ऊर्जा भी शामिल होगी,जब हम इन सभी ऊर्जाओं का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं तो इनका प्रभाव आप पर पड़ना स्वभाविक ही है,ये प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार का हो सकता है..!
वास्तु को किसी भी प्रकार के घर,मंदिर या ऑफिस के लिए उपयोग किया जा सकता है,ताकि हमारे आस पास बहने वाली उर्जा के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके,चुंबकीय,थर्मल और विद्युत ऊर्जा के संयोजन में अगर गड़बड़ी होती है तो इसका प्रभाव हमारे शरीर और विचरों को नकारात्मक रूप से प्रभावि करने लगता है…!
जिस प्रकार हर ऊर्जा को रखने का एक सही स्थान होता है जैसे- यदि आप पानी को हाथ में रखेंगे तो कुछ नहीं होता लेकिन जब आप ऐसा आग के साथ करेंगे तो आपका हाथ जल जाएगा,वास्तु शास्त्र ऊर्जाओं में संयोजन बनाए रखने का काम करता है,ताकि इसका उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जा सके….!।