December 3, 2024 10:47 PM

Mahalaya Amavasya: महालय/सर्वपितृ श्राद्ध विशेषांक

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest

ॐ पितृ दैवतायै नम: ….सनातन धर्म शास्त्रों में मनुष्य के तीन ऋण कहे गए हैं :- देव ऋण,गुरु ऋण और पितृ ऋण,इनमें से पितृ ऋण को श्राद्ध करके उतारना आवश्यक है,शास्त्रों में कहा गया है कि जिन माता-पिता ने हमारी आयु,आरोग्यता और सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए अनेक प्रयास किए, उनके ऋण से मुक्त होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक होता है.!
इस ऋण से उऋण होना अति आवश्यक होता है,श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का बड़ा महत्व है,आश्विन मास की अमावस्या पितरों की शांति का सबसे अच्छा मुहूर्त है,जिन लोगों ने अपने पूर्वजों का तीन वर्ष तक श्राद्ध न किया हो,उनके पितर पितृ योनि से वापस प्रेत योनि में जाते हैं,जिनके पितृ प्रेत योनी में भटक रहे है,उनकी पूर्ण मुक्ति और पितृ योनी में स्थान दिलवाने के लिए इस दिन का बड़ा महत्व है.वर्ष 2023 सर्व पितृ अमावस्या शनिवार 14 अक्टूबर को हैं.!
तथापि श्राद्ध के पूरे दिन ही उनकी मुक्ति और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए पिंडदान,तर्पण करना चाहिए और शस्त्र द्वारा,विष द्वारा या अकाल मृत्यु,दुर्घटना आदि में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का श्राद्ध त्रयोदशी या सर्वपित्र अमावस्या को उनकी शांति के लिए तीर्थस्थान में त्रिपिण्डी श्राद्ध किया जाता है.!

-:”आपकी कुंडली और पितृ दोष,पितृ श्राप दोष,पितृ ऋण,प्रेतछाया दोष,गुरुचांडाल दोष”:-
“वेदानां चक्षु:” ज्योतिष शास्त्रों में अनेक जगह पितृ शाप दोष का वर्णन आता है पराशर होराशास्त्र, जातक पारिजात,प्रश्न मार्ग आदि ग्रंथों में पितर दोष एवं उसके होने वाले कुप्रभाव उनके शांति के उपाय भी दिए गए हैं,इसके अतिरिक्त इन ग्रंथों में जीवात्मा के जन्म के समय पितृ लोक से आने के और मृत्यु के पश्चात पितृ लोक में जाने के योग भी मिलते हैं,ज्योतिष में लग्न,द्वितीय,पंचम षष्ठम,अष्टम,नवम,द्वादश भाव से पितृ दोष और बाधा का विचार किया जाता है,सूर्य चन्द्र गुरु शनि राहू और गुलिक से पितृ दोष का विचार किया जाता है,राहु शनि की युति,मंगल शनि,सूर्य राहु,चन्द्र केतु,गुरु राहु आदि की युति पितृ शाप को दर्शाती है,यदि ये योग विषम राशियों में हो तो पितृ दोष कारक पितृ पुरुष है यदि वह सम राशि में हो तो पितृ स्त्री है पितृ दोष कारक ग्रह यदि सूर्य है तो पिता आदि चन्द्र के होने पर माता आदि मंगल के होने पर भाई गुरु के होने पर अपना गुरु और पूर्वज आदि पितृ होते हैं.!
इसलिए सनातन धर्म में पितृऋण से मुक्त होने के लिए तर्पण श्राद्ध दान आदि करने का बहुत ही महत्व बताया गया है,शास्त्रों के अनुसार यदपि प्रत्येक अमावस्या पितरों की पुण्य तिथि होती है मगर आश्विन मास की अमावस्या पितरों के लिए परम फलदायी कही गई है,इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा सर्व पितृ दोष अमावस्या अथवा महालया के नाम से भी जाना जाता है.!
महा का अर्थ होता है ‘उत्सव का दिन’ और आलय से अर्थ है ‘घर’ चूँकि आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों का पृथ्वी पर निवास माना गया है,इस समय में वे अपने घर अपने सम्बन्धियों के आस पास मंडराते रहते है,अत: अश्विन की अमावस्या पितरों के लिए उत्सव का दिन कहलाता है.!
पितृ अमावस्या को पितृ दोष,पितृ श्राप दोष,पितृ ऋण,प्रेतछाया दोष,गुरुचांडाल दोष तथा जीवन के सभी प्रकार के संकटो को दूर करने के लिये अति उत्तम कहा गया है और इस दिन वह उपाय अवश्य ही करें जिससे पितृ प्रसन्न हो और अपना आशीर्वाद प्रदान करें.!
सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए, उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ अवश्य ही करें और उसका पूरा फल पितरों को समर्पित करें….!
सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या के दिन हर श्राद्धकर्ता को अपने घर में दोपहर में प्रेम और श्रद्धा से ब्राह्मण भोजन अवश्य ही कराना चाहिए,भोजन के पश्चात ब्राह्मण देवता को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान और नकद दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद भी जरूर लें.!
इस दिन श्राद्धकर्ता की बहन,बहनोई और भान्जा जो भी उसी शहर में रहते है तो उन्हें भी आदर से बुलवाकर ब्राह्मण भोजन के बाद भोजन अवश्य ही कराना चाहिए, इससे पितृ अत्यंत प्रसन्न होते है और जातक के जीवन में हर्ष की वर्षा करते हुए उसके सभी संकटो को दूर करके विदा होते है.!

-: सर्व पितृ अमावस के दिन घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए,उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.!
-:जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराएं,भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आंक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। इससे पितृदोष का प्रभाव कम होता है.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर गरीब कन्या का विवाह या बीमारी में सहायता करने पर लाभ मिलता है.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान,पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं,विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल,मंदिर, विद्यालय,धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है.!
-:इस दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल,पुष्प,अक्षत,दूध,गंगाजल,जौ,काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें.!
-:सर्व पितृ अमावस्या पर शाम के समय दीप जलाएं और नाग स्तोत्र,महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें,इससे भी पितृ दोष की शांति होती है.!

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष, अंकज्योतिष,हस्तरेखा, वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest