जय माता दी………एक बार फिर “चलो बुलावा आया हैं.माता ने बुलाया हैं” वह समय आ गया हैं जब हर ओर त्योहार और उत्सव का माहौल होता है.नवरात्रि का नौ दिवसीय आराधना/उपासना का महापर्व 15.अक्टूबर से आरम्भ हो जायेगा,आध्यशक्ति देवी दुर्गा के भक्त अपनी अपनी विस्तृत तैयारी कई दिन पहले से ही करने लगते है.शास्त्रों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्री आते हैं अपितु आश्विन की नवरात्री जो हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के महीनों में आते है उन्हें शरद या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. और यह सबसे अधिक मनाये जाने वाले भक्ति और उपासना के त्योहार है.इसके अलावा वासन्त नवरात्रि,जो चैत्र नवरात्रि है जिन्हें वसंत ऋतु के ठीक बाद मनाया जाता है.एवं वर्ष में माघ व श्रावण माह में दो गुप्त नवरात्री भी आती हैं,2023 में शारदीय नवरात्र 14 ओक्टुबर से आरम्भ होकर 23 अक्टूबर को सम्पन्न होंगे,रविवार को आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुभ मंगलमय अवधि में कलश स्थापना के साथ ही आश्विन नवरात्रि का आरम्भ होगा.!
“शारदीय नवरात्रि घट {कलश} स्थापना शुभ मुहूर्त”
रविवार 15 अक्टूबर को घटस्थापना मुहूर्त- 06:21 से 10:12 बजे तक यह अवधि लगभग 03 घंटा 50 मिनट एवं घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 11:57 से 12:43 बजे तक,इस वर्ष प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात्रि 23:25 बजे से आरम्भ होकर 15 अक्टूबर 2023 को 24:33 बजे समाप्त होगी.!
देवीभागवत के अनुसार किसी भी नवरात्रि में यदि दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप विधि-विधान से किया जाए तो साधक की हर परेशानी दूर हो सकती है,दुर्गा सप्तशती में हर समस्या के लिए एक विशेष मंत्र बताया गया है.ये मंत्र बहुत ही जल्दी असर दिखाते हैं,यदि आप मंत्रों का उच्चारण ठीक से नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण से इन मंत्रों का जाप करवाएं,अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं.!
सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले माता दुर्गा की पूजा करें.इसके बाद अकेले में कुशा {एक प्रकार की घास} के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इन मंत्रों का जाप करें.!
इन मंत्रों की प्रतिदिन 5/11 माला जाप करने से मन को शांति तथा प्रसन्नता मिलती है.यदि जाप का समय,स्थान,आसन,तथा माला एक ही हो तो यह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं.।
–:सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति हेतु मंत्र:–
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
–:गरीबी मिटाने के लिए:–
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।
–:रक्षा के लिए:–
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
–:स्वर्ग और मुक्ति के लिए:–
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
–:मोक्ष प्राप्ति के लिए:–
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:।।
–:सपने में सिद्धि-असिद्धि जानने का मंत्र:–
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
–:सभी के कल्याण के लिए मंत्र:–
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: ।।
–:भय नाश के लिए:–
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।
–:रोग नाश के लिए:–
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
–:बाधा शांति के लिए:–
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनासनम्।।
–:विपत्ति नाश के लिए मंत्र:–
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
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