जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल….गुरू नानक देव जी के जन्म दिवस को गुरू नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे. इनका जन्म तलवंडी रायभोय {ननकाना साहब} नामक स्थान पर हुआ था. इनके जन्म दिवस को प्रकाश उत्सव {प्रकाशोत्सव} भी कहते हैं, जो कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा को सिख श्रद्धालु गुरु नानक जी के प्रकटोत्सव के रूप में धूम-धाम से मनाते हैं. गुरु नानकदेव एक समन्वयवादी संत थे. गुरु ग्रंथ साहब में सभी संतों एवं धर्मो की उक्तियों को सम्मिलित कर उन्होंने समन्वयवादी दृष्टिकोण का परिचय दिया. वह आजीवन परोपकार एवं दीन-दुखियों की सेवा में लगे रहे.!
-:’जीवन परिचय’:-
गुरु नानकदेवजी का प्रकाश ऐसे समय में हुआ था जब देश इतिहास के सबसे अँधेरे युगों में था. उस समय अंधविश्वास एवं आडंबरों का बोलबाला था और धार्मिक कट्टरता तेजी से बढ़ रही थी. श्री गुरु नानकदेव संत, कवि और महान समाज सुधारक थे. नानक देवजी के पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता तृप्ता जी थी. बचपन से ही नानक जी का मन आध्यात्मिक भावों से जुडा़ रहता था. पंडित और मौलवी सभी नानकदेवजी की विद्वता से प्रभावित हुए बिना न रह सके. पत्नी सुखमणि (सुलक्षणा) से उन्हे दो पुत्र भी हुए थे, परंतु उनका मन गृहस्थी में कभी नहीं लगा और वह मानव सेवा में लगे रहे…!
ईश्वर एक है. सदैव उसकी उपासना करो, वह सब जगह और सभी में मौजूद है, उस ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं होता, मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके जरूरतमंद को भी कुछ दो, सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं.!
लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है, जैसी शिक्षाओं को उन्होंने सभी के मध्य पहुँचाने का प्रयास किया. जीवनभर धार्मिक यात्राओं के माध्यम से लोगों को मानवता का उपदेश देते रहे और 70 वर्ष की साधना के पश्चात सन् 1539 ई. में परम ज्योति में विलीन हो गए.!
-:’गुरू नानक जी के विचार सिद्धांत’:-
गुरूनानक देव जी के उपदेश एवं शिक्षाएं आज भी उनके अनुयायियों के लिए जीवन का आधार हैं. उनके दिए गए सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने लोगों को समझाया कि सभी इंसान एक दूसरे के भाई हैं. ईश्वर सभी का है.!
अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे एक नूर तेसब जग उपज्या, कौन भले को मंदे. एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंचे-नीचे कैसे हो सकते है. पाँच सौ वर्षों पूर्व दिए उनके उपदेशों का प्रकाश आज भी मानवता को आलोकित कर रहा है. नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक रहे, मानव धर्म के उत्थापक तथा सिखों के आदि गुरु थे. नानकदेव जी ने अपनी शिक्षा से लोगों में एकता और प्रेम को बढ़ावा दिया.!
-:’गुरु नानक जी के उपदेश’:-
गुरु नानक जी ने अपने अनुयायियों को दस उपदेश दिए जो कि सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे। गुरु नानक जी की शिक्षा का मूल निचोड़ यही है कि परमात्मा एक, अनन्त, सर्वशक्तिमान और सत्य है। वह सर्वत्र व्याप्त है। मूर्ति−पूजा आदि निरर्थक है। नाम−स्मरण सर्वोपरि तत्त्व है और नाम गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है। गुरु नानक की वाणी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से ओत−प्रोत है। उन्होंने अपने अनुयायियों को जीवन की दस शिक्षाएं दीं जो इस प्रकार हैं:−
1. ईश्वर एक है।
2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए।
6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
10. भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है पर लोभ−लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
-:’गुरू नानक जयंती महत्व’:-
गुरु नानक जयंती बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है. गुरु पर्व के अवसर पर सभी तरफ महोत्सव जैसा माहौल बना रहता है. गुरुद्वारों में विशेष आयोजन होता है, पूजा-अर्चना की जाती है. जलूस एवं शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं. इस जुलूस में हाथी, घोड़ों आदि के साथ नानकदेव के जीवन से संबंधित सुसज्जित झांकियां बैंड-बाजों के साथ निकाली जाती हैं.गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन, सत्संग, प्रवचन के साथ-साथ लंगर का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं.!
“सिख धर्म के गुरु”
सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक साहब ने की थी,गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रंथ है,इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं,गुरु नानक देव के बाद सिखों के नौ गुरु और हुए,उनके नाम इस प्रकार हैं-
01. गुरु नानक देव
02. गुरु अंगद देव
03. गुरु अमर दास
04. गुरु राम दास
05. गुरु अर्जुनदेव
06. गुरु हरगोविंद सिंह
07. गुरु हर राय
08. गुरु हरकिशन सिंह
09. गुरु तेगबहादुर सिंह
10. गुरु गोविंद सिंह
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