Vaidic Jyotish
September 8, 2024 7:17 AM

Guru Ravidas Jayanti 2024: गुरु रविदास जयंती

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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इस साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी को है.ऐसे में रविदास जयंती इस बार 24 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी.!
गुरु रविदास जयंती माघ महीने की पूर्णिमा को होती है। गुरु रविदास जयंती आमतौर पर फरवरी में पड़ती है. रविदास एक प्रसिद्ध रहस्यवादी कवि और गीतकार थे, जो 1400 और 1500 ईस्वीं के बीच में प्रचलित थे। उनका “भक्ति आंदोलन” पर बहुत ज्यादा प्रभाव था, जो हिंदू धर्म के अनुसार एक “आध्यात्मिक भक्ति आंदोलन’ था। बाद में इस आंदोलन ने नया रूप ले लिया और सिख धर्म की शुरुआत हुई। रविदास के भक्ति छंदों को सिख धर्मग्रंथों में गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से शामिल किया गया था।

हालांकि, उनके अनुयायियों ने 21 वीं सदी में ‘रविदासिया’ धर्म की स्थापना की। रविदासिया के अनुयायी हर साल गुरु रविदास जयंती श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं और गुरु रविदास के गीतों और कविताओं का जाप करते हैं। सभी श्रद्धालु, गुरु रविदास की तस्वीर के साथ जुलूस निकालते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं। कुछ लोग रविदास को समर्पित मंदिर की तीर्थ यात्रा पर भी जाते हैं और अपनी पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु रविदास की 647वीं जन्म वर्षगांठ इस साल शनिवार, 24 फरवरी 2024 को है।

गुरु रविदास जीवन परिचय
गुरु रविदास के जन्म को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है, लेकिन माना जाता है कि गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ था। गुरु रविदास को रैदास के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था, जो अब उत्तर प्रदेश में स्थित है। उनका जन्मस्थान अब श्री गुरु रविदास जन्म स्थान के नाम से जाना जाता है.

रविदास जी की रचना
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा,
जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम तुम स्वामी हम दासा,
ऐसी भक्ति करै रैदासा।
पूजा कहां चढ़ाऊं…
राम मैं पूजा कहां चढ़ाऊं ।
फल अरु फूल अनूप न पाऊं ॥टेक॥
थन तर दूध जो बछरू जुठारी ।
पुहुप भंवर जल मीन बिगारी ॥1॥
मलयागिर बेधियो भुअंगा ।
विष अमृत दोउ एक संगा ॥2॥
मन ही पूजा मन ही धूप ।
मन ही सेऊं सहज सरूप ॥3॥
पूजा अरचा न जानूं तेरी ।
कह रैदास कवन गति मोरी ॥4॥

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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