ॐ घृणि सूर्याय नमः ……वैशाख माह में आने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है बैसाखी.इस वर्ष यह त्यौहार 13 अप्रैल शनिवार 2024 को मनाया जाएगा.बैसाखी का आगमन प्रकृत्ति के परिवर्तन को दर्शाता है.सूर्य का मेष राशि में प्रवेश बैसाखी का आगमन है.बैसाखी पर्व विशेष रुप से किसानो का पर्व है.भारत के उत्तरी प्रदेशो विशेष कर पंजाब में इस दिन किसानो की गेहूँ की फसल पक कर तैयार हो जाती है.अपने खेतों में गेहूँ की भरी बालियां देख कर किसान फूले नही समाते. इस दिन किसान नाच गाकर भगवान को अपना धन्यवाद प्रकट करते है.!
-:”बैशाख संक्रान्ति शुभ मुहूर्त”:-
बैसाखी के शुभ अवसर पर इस वर्ष सूर्य नारायण शनिवार 13 अप्रैल को सूर्य रात्रि 21 बजकर 04 मिनट पर मेष राशि में संचार करेंगे,इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है,इस दिन से ही सौर नववर्ष की शुरुआत होती है,इसके अलावा इस दिन से ही बड़ी धूमधाम से बद्रीनाथ धाम की यात्रा की भी शुरुआत होती है,हालांकि इस बार लॉक डाउन के चलते यात्रा तिथि में परिवर्तन किया गया है.,यह काल पुण्यकाल के नाम से जाना जाता हैं,यह शुभ मुहूर्त 14 अप्रैल सूर्यादय तक रहेगा,पद्मपुराण में इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है, गंगा जल से स्नान कर सकते हैं,दान-पुण्य के लिए आसपास जो भी जरूरतमंद आपको दिखे मेष संक्रांति के शुभ मुहूर्त में दान करके आप पुण्य अर्जित कर सकते हैं,कहा जाता है कि इस दिन किए गये दान से जातक को निरोगी काया,धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं.!
-:”बैशाखी पर्व महत्व”:-
बैसाखी पर्व एक लोक परंपरागत त्यौहार है.किसान खरीफ की फसल के पकने पर अपनी खुशी के इजहार के रुप मे बैसाखी पर्व मनाते है. खेतो में गेहूँ के अलावा और भी फसलें उगाई जाती हैं जैसे दाले, तिल और गन्ना यह सभी फसलें गेहूँ के साथ ही तैयार हो जाती है.!
पंजाब में इस समय खेतों में हर तरफ गेहूँ की बाकी हवा के साथ लहराती हुई मन को मोह लेती है. अपने भरे हुये खेतों को देख कर तथा अपनी मेहनत के इस रूप को देख किसान फूले नही समाते. इस दिन किसान गेहूँ की कुछ बालियां अग्नि देव के समक्ष अर्पण करते हैं तथा कुछ भाग प्रसाद के रुप सभी लोगों को दिया जाता है. इस पर्व पर पंजाब के लोग अपने रीति रिवाज के अनुसार भांगडा तथा गिद्धा करते हैं. गेहूँ के बीजा रोपण के दिन से किसान उसके तैयार होने के लिये जी तोड मेहनत करते हैं. इस दिन अपनी तैयार फसल को काटकर किसान खुशी के रुप में बैसाखीपर्व मनाते हैं.!
-:”बैसाखी पर्व पंजाब की लोक संस्कृति को दर्शाता है”:-
बैसाखी पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और इसके आस पास के प्रदेशों में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है. यह पर्व यहां कुछ मुख्य बातों से जुड़ कर और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि एक तो यह खरीफ की फसल के पकने की खूशी लाता है और दूसरी ओर इसी दिन सिखों के दसवें गुरू गोविंदसिंह जी ने इस दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी. इस के अतिरिक्त इस समय सर्दियों की समाप्ति और गर्मीयों का आरंभ भी होता है अत: इसी के आधार स्वरुप लोक परंपरा धर्म और प्रकृति के परिवर्तन से जुडा़ यह समय बैसाखी पर्व की महत्ता को दर्शता है.!
-:”बैसाखी का त्यौहार पर्व नये संवत की शुरुआत का दिन होता है”:-
अप्रैल माह के 13 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब वह समय हिदुओं के नव वर्ष का दिन होता है. इस दिन से नये संवत की शुरुआत होती है. इस दिन को संपूर्ण भारत में पर्व के रुप में मनाया जाता है. इस दिन लोग सुगंधित पकवान बनाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं.!
इस दिन दुर्गा माता जी तथा शंकर भगवान की पूजा होती है. कई जगह व्यापारी लोग आज के दिन नये वस्त्र धारण करके अपने बहीखातों का आरम्भ करते हैं. यह पर्व सभी शिक्षा संस्थानों में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विद्यार्थीयों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है और प्रतिभावान विद्यार्थीयों को पुरस्कार बांटे जाते हैं.!
-:”खालसा पंथ की स्थापना”:-
13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह ने गुरुओं की वंशावली को समाप्त कर दिया.इसके बाद सिख धर्म के लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब को अपना मार्गदर्शक बनाया.बैसाखी के दिन ही सिख लोगों ने अपना सरनेम सिंह {शेर} को स्वीकार किया. दरअसल यह टाइटल गुरु गोबिंद सिंह के नाम से आया है.!
नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.II