श्रीगणेशाय नमः…….26 मई 2024 को जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है,इस दिन विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा,यह तिथि प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश को समर्पित है,इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है,भगवान गणेश भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं,इनकी पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं,चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है,चंद्रमा की पूजा बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है.!
-:’संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि’:-
-:संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.।
-:पूजा के लिए ईशान कोण में चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें.।
-:फिर चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें.।
-:गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें.।
-:’ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश से प्रार्थना करें.।
-:इसके उपरांत एक केले का पत्ता लें,इस पर आपको रोली से चौक बनाएं,चौकी के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें.।
-:संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है.इस दिन चांद निकलने से पहले गणपति की पूजा करें.।
-:पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.।
-:पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें.I
-:’संकष्टी चतुर्थी का महत्व’:-
भगवान गणेश देवताओं में सर्वश्रेष्ठ और प्रथम पूजनीय हैं,संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं,साथ ही भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है.।