ॐ नमः शिवाय …. प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है.यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है.सूर्यास्त के बाद के बाद का कुछ समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है.स्थान विशेष के अनुसार यह बदलता रहता है.सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है.मंगवार 04 जून 2024 को भौम प्रदोष का व्रत किया जायेगा….!
भक्त को भगवान श्री भोलेनाथ पर अटूट श्रद्धा विश्वास हो,उन भक्तों को मंगलवार के दिन में पडने वाले प्रदोष व्रत का नियम पूर्वक पालन कर उपवास करना चाहिए.यह व्रत उपवासक को धर्म,मोक्ष से जोडने वाला और अर्थ,काम के बंधनों से मुक्त करने वाला होता है.इस व्रत में भगवान शिव की पूजन किया जाता है.भगवान शिव कि जो आराधना करने वाले व्यक्तियों की गरीबी,मृत्यु, दु:ख और ऋणों से मुक्ति मिलती है….!
-:”Bhaum Pradosh Vrat 2024: भौम प्रदोष व्रत महत्व”:-
शास्त्रों के अनुसार भौम प्रदोष व्रत को रखने से गोदान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है.भौम प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि जो व्यक्ति भौम प्रदोष का व्रत रख,शिव आराधना करता है उसे शिव कृपा प्राप्त होती है.इस व्रत को रखने से मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है.उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है.मंगलवार के दिन भौम प्रदोष व्रत होता है.इस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है.साधक की सभी कामना की पूर्ति होने की संभावना बनती है…!
प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिये भी किया जाता है.सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिये व संतान प्राप्ति की कामना हेतु भी यह व्रत शुभ फलदायक होता है.उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किये जाते है, तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृद्धि होती है…!
-:”Bhaum Pradosh Vrat 2024: भौम प्रदोष पूजन”:-
प्रदोष व्रत करने के लिये उपवसक को इस दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए.नित्यकर्मों से निवृत होकर,भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें.इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है.पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले,स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किये जाते हैं…!
ईशान कोण की दिशा में एकान्त स्थल को पूजा करने के लिये प्रयोग करना विशेष शुभ रहता है. पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद,मंडप तैयार किया जाता है.इस मंडप में पद्म पुष्प की आकृति पांच रंगों का उपयोग करते हुए बनाई जाती है…!
nप्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिये कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है. इस प्रकार पूजन क्रिया की तैयारियां कर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए.पूजन में भगवान शिव के मंत्र का जाप करते हुए शिव को जल का अर्ध्य देना चाहिए.हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है.और शान्ति पाठ किया जाता है.अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है तथा अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है…!
भगवान शिव की पूजा एवं उपवास- व्रत के विशेष काल और दिन रुप में जाना जाने वाला यह प्रदोष काल बहुत ही उत्तम समय होता है. इस समय कि गई भगवान शिव की पूजा से अमोघ फल की प्राप्ति होती है. प्रदोष काल में की गई पूजा एवं व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है…!
-:”Bhaum Pradosh Vrat 2024: भौम प्रदोष कथा”:-
एक नगर में एक वृद्धा रहती थी,उसका एक ही पुत्र था,वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी,वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी,एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोचीहनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त,जो हमारी इच्छा पूर्ण करे……?
-:पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।
-:हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं,भोजन करूंगा,तू थोड़ी जमीन लीप दे..!
-:वृद्धा दुविधा में पड़ गई,अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज..! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें,मैं अवश्य पूर्ण करूंगी..!
-:साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला,मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा..!
-:यह सुनकर वृद्धा घबरा गई,परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी,उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया..!
-:वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई,आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई..!
-:इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले..!
-:इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ..!
-:लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई,अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी..!
-:हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया..!
-:”Bhaum Pradosh Vrat 2024: भौम प्रदोष विशेष मन्त्र”:-
जब मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है,तब यह व्रत रखा जाता है,मंगल ग्रह का ही एक अन्य नाम भौम है,यह व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा दिलाता है,हमें अपने जीवन में कई बार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन रुपयों-पैसों का कर्ज लेना आवश्यक हो जाता है,तब ब्यक्ति कर्ज/ऋण तो ले लेता है,लेकिन उसे चुकाने में उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है,ऐसे समय में कर्ज संबंधी परेशानी दूर करने के लिए भौम प्रदोष व्रत अधिक लाभदायी सिद्ध होता है,इसके साथ ही हमें जीवन के हर क्षेत्र में मंगलकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगल प्रदोष के दिन विशेष तौर पर मंगल ग्रह/ देवता के 21 नामों का उच्चारण अवश्य ही करना चाहिए..!
-:”Bhaum Pradosh Vrat 2024: मंगलकारी 21 नाम”:-
1. मंगल,
2. भूमिपुत्र,
3. ऋणहर्ता,
4. धनप्रदा,
5. स्थिरासन,
6. महाकाय,
7. सर्वकामार्थ साधक,
8. लोहित,
9. लोहिताक्ष,
10. सामगानंकृपाकर,
11. धरात्मज,
12. कुंजा,
13. भूमिजा,
14. भूमिनंदन,
15. अंगारक,
16. भौम,
17. यम,
18. सर्वरोगहारक,
19. वृष्टिकर्ता,
20. पापहर्ता,
21. सर्वकामफलदाता।
हर व्यक्ति ऋण/ कर्ज से मुक्ति के लिए हर तरह की कोशिश करता है किंतु कर्ज की यह स्थिति व्यक्ति को तनाव से बाहर नहीं आने देती,इस स्थिति से निपटने के लिए मंगलवार का भौम प्रदोष व्रत बहुत सहायक सिद्ध होता है..!