नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।
ऊँ विश्वमूर्तये जगन्नाथाय नम:….आषाढ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा का शुभारंभ होता है.पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा इस वर्ष रविवार 07 जुलाई से आरम्भ होगी,उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के 4 पवित्र धामों में से एक है,उड़ीसा में मनाया जायाने वाला यह सबसे भव्य पर्व होता है. पुरी के पवित्र शहर में इस जगन्नाथ यात्रा के इस भव्य समारोह में में भाग लेने के लिए प्रतिवर्ष दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं. यह पर्व पूरे नौ दिन तक जोश एवं उत्साह के साथ चलता है.!
भगवान जगन्नाथ का जी की मूर्ति को उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की छोटी मूर्तियाँ को रथ में ले जाया जाता है और धूम-धाम से इस रथ यात्रा का आरंभ होता है यह यात्रा पूरे भारत में विख्यात है. जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का पर्व आषाढ मास में मनाया जाता है. इस पर्व पर तीन देवताओं की यात्रा निकाली जाती है. इस अवसर पर जगन्नाथ मंदिर से तीनों देवताओं के सजाये गये रथ खिंचते हुए दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं और नवें दिन इन्हें वापस लाया जाता है. इस अवसर पर सुभद्रा, बलराम और भगवान श्री कृ्ष्ण का पूजन नौं दिनों तक किया जाता है.1
इन नौ दिनों में भगवान जगन्नाथ का गुणगान किया जाता है. एक प्राचीन मान्यता के अनुसार इस स्थान पर आदि शंकराचार्य जी ने गोवर्धन पीठ स्थापित किया था. प्राचीन काल से ही पुरी संतों और महात्मा के कारण अपना धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व रखता है. अनेक संत-महात्माओं के मठ यहां देखे जा सकते है. जगन्नाथ पुरी के विषय में यह मान्यता है, कि त्रेता युग में रामेश्वर धाम पावनकारी अर्थात कल्याणकारी रहें, द्वापर युग में द्वारिका और कलियुग में जगन्नाथपुरी धाम ही कल्याणकारी है. पुरी भारत के प्रमुख चार धामों में से एक धाम है.!
-:’Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा वर्णन’:-
जगन्नाथ जी का यह रथ 45 फुट ऊंचा भगवान श्री जगन्नाथ जी का रथ होता है. भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे अंत में होता है, और भगवान जगन्नाथ क्योकि भगवान श्री कृ्ष्ण के अवतार है, अतं: उन्हें पीतांबर अर्थात पीले रंगों से सजाया जाता है. पुरी यात्रा की ये मूर्तियां भारत के अन्य देवी-देवताओं कि तरह नहीं होती है.!
रथ यात्रा में सबसे आगे भाई बलराम का रथ होता है, जिसकी उंचाई 44 फुट उंची रखी जाती है. यह रथ नीले रंग का प्रमुखता के साथ प्रयोग करते हुए सजाया जाता है. इसके बाद बहन सुभद्रा का रथ 43 फुट उंचा होता है. इस रथ को काले रंग का प्रयोग करते हुए सजाया जाता है. इस रथ को सुबह से ही सारे नगर के मुख्य मार्गों पर घुमा जाता है. और रथ मंद गति से आगे बढता है. सायंकाल में यह रथ मंदिर में पहुंचता है. और मूर्तियों को मंदिर में ले जाया जाता है.!
यात्रा के दूसरे दिन तीनों मूर्तियों को सात दिन तक यही मंदिर में रखा जाता है, और सातों दिन इन मूर्तियों का दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं का जमावडा इस मंदिर में लगा रहता है. कडी धूप में भी लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन के लिये आते रहते है. प्रतिदिन भगवान को भोग लगने के बाद प्रसाद के रुप में गोपाल भोग सभी भक्तों में वितरीत किया जाता है.!
सात दिनों के बाद यात्रा की वापसी होती है. इस रथ यात्रा को बडी बडी रस्सियों से खींचते हुए ले जाया जाता है. यात्रा की वापसी भगवान जगन्नाथ की अपनी जन्म भूमि से वापसी कहलाती है. इसे बाहुडा कहा जाता है. इस रस्सी को खिंचने या हाथ लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है.!
-:’Jagannath Rath Yatra 2024: प्रत्येक 12 वर्षों पर बदली जाती है मूर्तियां’:-
जगन्नाथ मंदिर में विराजमान मूर्तियां प्रत्येक 12 वर्षों पर बदली जाती है.इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं.साथ ही इस दौरान मंदिर में किसी अन्य व्यक्ति प्रवेश नहीं होता है. मूर्तियों को बदलने के लिए सिर्फ एक पुजारी को गर्भगृह में जाने के अनुमति होती है.उनके हाथों में दस्ताने पहनाए जाते हैं. इतना ही नहीं, गर्भगृह में अंधेरा होने के बावजूद भी उनकी आंखों पर पट्टियां बांधी जाती हैं ताकि पुजारी भी मूर्ति को ना देख सके.!
-:’Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ मन्त्र’:-
भगवान विष्णु के पूर्णावतार, सोलह कला युक्त भगवान जगन्नाथ का आज के दिन बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ इस मंत्र से पूजन करना चाहिए.ऐसा करने से भगवान जगन्नाथ की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है.!
नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।
1-भगवान जगन्नाथ का विश्वरूप मंत्र – ऊँ विश्वमूर्तये जगन्नाथाय नम:
2- भगवान जगन्नाथ का देवाधिदेव मंत्र – ऊँ देवादिदेव जगन्नाथाय नम:
3- भगवान जगन्नाथ का अनंत रूप मंत्र – ऊँ अनंताय जगन्नाथाय नम:
4- भगवान जगन्नाथ का नारायण मंत्र – ऊँ नारायण जगन्नाथाय नम:
5- भगवान जगन्नाथ का चतुर्भुज मंत्र- ऊँ चतुमूर्ति जगन्नाथाय नम:
6- भगवान जगन्नाथ का विष्णु मंत्र – ऊँ विष्णवे जगन्नाथाय नम: