Raksha Bandhan 2024: नमो नारायण….रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन के महीने की पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है.इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं.उन्हें मिठाई खिलाती हैं.वहीं दूसरी ओर भाइयों से ये अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी बहनों की रक्षा करें.उन्हें दुनिया की सभी बुराइयों से बचाएं.यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है.लोग बहुत दिनों पहले से ही इस त्योहार की तैयारियां शुरु कर देते हैं.बाजार रंग-बिंरगी राखियों से सजे नजर आते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ये त्योहार मनाया क्यों जाता है.!
-:’Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन धारण करने का (बांधने) शुभ महूर्त’:-
इस वर्ष रक्षाबंधन का पावन पवित्र पर्व सोमवार 19 अगस्त की दोहपर 01 बजकर 31 के बाद ही अपराह्न काल में शुभ माना गया है!.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार राजसूय यज्ञ के लिए पांडवों ने भगवान कृष्ण को आमंत्रित किया. उनके मेहमानों में से एक श्री कृष्ण के चचेरे भाई शिशुपाल भी थे. इस दौरान शिशुपाल ने भगवान कृष्ण को बहुत अपमानित किया. जब पानी सिर के ऊपर चला गया तो भगवान कृष्ण को क्रोध आ गया. भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल को खत्म करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र छोड़ा. लेकिन शिशुपाल का सिर काटने के बाद जब चक्र भगवान श्री कृष्ण के पास लौटा तो उनकी तर्जनी उंगली में गहरा घाव हो गया. द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की उंगली को देखा और अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया. द्रौपदी के स्नेह को देखकर भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और द्रौपदी को वचन दिया कि वे हर स्थिति में हमेशा उनके साथ रहेंगे और हमेशा उनकी रक्षा करेंगे.!
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया है. इस दौरान भगवान विष्णु ने वामन अवतार में असुरों के राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा. इसके लिए राजा बलि मान गया. वामन ने पहले ही पग में धरती नाप ली तो राजा बलि को समझ आया कि ये स्वयं भगवान विष्णु हैं. राजा बलि ने भगवान को प्रणाम किया. राजा बलि ने इसके बाद वामन के सामने अगला पग रखने के लिए अपनी शीश को प्रस्तुत किया. इससे भगवान बहुत प्रसन्न हुए. भगवान ने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा. असुर राज बलि ने वरदान में भगवान को अपने द्वार पर ही खड़े रहने का वरदान मांगा. इससे भगवान अपने ही वरदान में फंस गए. ऐसे में माता लक्ष्मी ने नारद मुनि की सलाह ली. माता लक्ष्मी राज बलि को राखी बांधी और उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया था.!
-:’Raksha Bandhan 2024: रक्षा सूत्र बान्धने के वैदिक मन्त्र:’-
यदाबध्नन् दाक्षायणा हिरण्यं शतानीकस्य सुमनस्यमानाः।
तत्ते बध्नाम्यायुषे वर्चसे बलाय दीर्घायुत्त्वाय शतशारदाय॥१॥
भावार्थ :- हे मनुष्य.! तू अपनी आयु की कामना करने वाला है,तेरी आयु वृद्धि के लिए मैं तेरे उस आनन्दमय हिरण्य को बान्धता हूँ जिस प्रकार शतायु प्राप्त करने के लिए दक्ष गोत्रीय महर्षियों ने शतानीक राजा को हिरण्य बान्धा था॥१॥
नैनं रक्षांसि न पिशाचाः सहन्ते देवानामोजः प्रथमं ह्येतत्।
यो बिभर्त्ति दाक्षायणं हिरण्यं स जीवेषु कृणुते दीर्घमायुः॥२॥
भावार्थ :- हिरण्य धारण करने वाला पुरुष ज्वर आदि से पीड़ित नहीं होता। मांसभक्षी पिशाच भी उसे कष्ट नहीं देते। यह हिरण्य इन्द्रादि देवों से पहले उत्पन्न हुआ है (तथा आठवीं धातु है)। राक्षस हन्ता होने से यह दाक्षायण कहलाता है। इसे धारण करने वाला राक्षसहन्ता और शतायु होताहै॥२॥
अपां तेजो ज्योतिरोजो बलं च वनस्पतीनामुत वीर्य्याणि।
इन्द्र इवेन्द्रियाण्यधि धारयामो अस्मिन् तद् दक्षमाणो बिभरद्धिरण्यम्॥३॥
भावार्थ :- मैं इस हिरण्यधारी पुरुष में जल, सूर्य, चन्द्र कातेज तथा इन्द्र का ओज, बल, वीर्य आदि स्थापित करताहूँ। जैसे इन्द्र कीशक्ति इन्द्र में ही निहित रहती है, उसी प्रकार इस पुरुष में उपरोक्त गुण प्रतिष्ठित हों॥३॥
समानां मासामृतुभिष्ट्वा वयं सम्वत्सररूपं पयसा पिपर्मि।
इन्द्राग्नी विश्वे देवास्तेऽनुमन्यन्तामहृणीयमानाः॥४॥
भावार्थ :- हे पुरुष, तू समस्त वैभवों की कामना करने वाला है। मैं तुझे ऋतुओं से पूर्ण करता हूं। संवत्सर पर्यन्त रहने वाले दूध से युक्त कर गौ आदि पशु और धन-धान्य से पूर्ण करता हूँ। अन्य सभी देवों सहित इन्द्राग्नि भी हमारी त्रुटियों से क्रुद्ध नहोते हुएसुवर्ण धारण से उत्पन्न फल प्रदान करें॥४॥
-:’Raksha Bandhan 2024: पौराणिक मन्त्र’:-
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे! मा चल मा चल॥
भावार्थ :- मैं तुमको उसी प्रेम के बन्धन से बान्धता हूं, जिससे महाबली अस्र राजा बलि भी बन्ध गया था,यह सूत्र हमारी रक्षा से नहीं हटे.!
भविष्य पुराण, उत्तर भाग, अध्याय 137 के अनुसार इन्द्राणी शची ने इन्द्र को रक्षा सूत्र बान्धा था जिसके कारण वे राक्षस ताजा बलि के लिए 01 वर्ष तक अजेय रहे.!