Goga Navami 2024: जय श्रीकृष्णा…..विक्रमी संवत के माह भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की नवमी को गुग्गा नवमी मनाई जाती है. गुग्गा नवमी इस वर्ष 27 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. गुग्गा नवमी के दिन नागों की पूजा करते हैं मान्यता है कि गुग्गा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है. गुग्गा देवता को सांपों का देवता भी माना जाता है. गुग्गा देवता की पूजा श्रावण मास की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन से आरंभ हो जाती है, यह पूजा-पाठ नौ दिनों तक यानी नवमी तक चलती है इसलिए इसे गुग्गा नवमी कहा जाता है.!
-:’Goga Navami 2024: गुग्गा जन्म कथा’:-
गुग्गा नवमी के विषय में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार गुग्गा मारु देश का राजा था और उनकी मां बाछला, गुरु गोरखनाथ जी की परम भक्त थीं. एक दिन बाबा गोरखनाथ अपने शिष्यों समेत बछाला के राज्य में आते हैं. रानी को जब इस बारत का पता चलता हे तो वह बहुत प्रसन्न होती है इधर बाबा गोरखनाथ अपने शिष्य सिद्ध धनेरिया को नगर में जाकर फेरी लगाने का आदेश देते हैं. गुरु का आदेश पाकर शिष्य नगर में भिक्षाटन करने के लिए निकल पड़ता है भिक्षा मांगते हुए वह राजमहल में जा पहुंचता है तो रानी योगी बहुत सारा धन प्रदान करती हैं लेकिन शिष्य वह लेने से मना कर देता है और थोडा़ सा अनाज मांगता है.!
रानी अपने अहंकारवश उससे कहती है की राजमहल के गोदामों में तो आनाज का भंडार लगा हुआ है तुम इस अनाज को किसमें ले जाना चाहोगे तो योगी शिष्य अपना भिक्षापात्र आगे बढ़ा देता है. आश्चर्यजनक रुप से सारा आनाज उसके भिक्षा पात्र में समा जाता है और राज्य का गोदाम खाली हो जाता है किंतु योगी का पात्र भरता ही नहीं तब रानी उन योगीजन की शक्ति के समक्ष नतमस्तक हो जाती है और उनसे क्षमा याचना की गुहार लगाती है.!
रानी योगी के समक्ष अपने दुख को व्यक्त करती है और अपनी कोई संतान न होने का दुख बताती है. शिष्य योगी, रानी को अपने गुरु से मिलने को कहता है जिससे उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त हो सकता है. यह बात सुनकर रानी अगली सुबह जब वह गुरु के आश्रम जाने को तैयार होती है तभी उसकी बहन काछला वहां पहुंचकर उसका सारा भेद ले लेती है और गुरु गोरखनाथ के पास पहले पहुंचकर उससे दोनो फल ग्रहण कर लेती है.!
परंतु जब रानी उनके पास फल के लिए जाती है तो गुरू सारा भेद जानने पर पुन: गोरखनाथ रानी को फल प्रदान करते हैं और आशिर्वाद देते हें कि उसका पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा. इस प्रकार रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है उस बालक का नाम गुग्गा रखा जाता है.!
-:’Goga Navami 2024: गुग्गा नवमी कथा’:-
कुछ समय पश्चात जब गुग्गा के विवाह के लिए गौड़ बंगाल के राजा मालप की बेटी सुरियल को चुना गया परंतु राजा ने अपनी बेटी की शादी गुग्गा से करवाने से मना कर दिया इस बात से दुखी गुग्गा अपने गुरु गोरखनाथ जी के पास जाता है और उन्हें सारी घटना बताता है. बाबा गोरखनाथ ने अपने शिष्य को दुखी देख उसकी सहायता हेतु वासुकी नाग से राजा की कन्या को विषप्रहार करवाते हैं.!
राजा के वैद्य उस विष का तोड़ नहीं जान पाते अंत वेश बदले वासुकी नाग राजा से कहते हैं कि यदि वह गुग्गा मंत्र का जाप करे तो शायद विष का प्रभाव समाप्त हो जाए राजा गुगमल मंत्र का प्रयोग विष उतारने के लिए करते हैं देखते ही देखते राजा की बेटी सुरियल विष के प्रभाव से मुक्त हो जाती है और राजा अपने कथन अनुसार अपनी पुत्री का विवाह गुगमल से करवा देता है.!
-:’Goga Navami 2024: गुग्गा नवमी पूजा’:-
गुग्गा नवमी पर्व आठ दिन तक मनाया जाता है और नवें दिन गुग्गा नवमी को गुग्गा मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है और प्रसाद के रूप रोट और चावल-आटा चढ़ाते हैं. भक्त लोग कथा का श्रवण करते हैं तथा नाग देता की पूजा अर्चना करते हैं. इस अवसर पर गुग्गा कथा को गाने वाली मंडलियां घर-घर जाकर गुग्गा का गुण गान करती हैं. पंजाब और हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है. गुग्गा नवमी की ऐसी मान्यता है पूजा स्थल की मिट्टी को घर पर रखने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है.!