Somvati Amavasya 2024: ॐ पित्रेभ्य: नमः सनतानात धर्म के व्रत,पर्व व त्योहारों में अमावस्या का विशेष स्थान है.यदि वर्ष 2024 ी बात करें तो इस वर्ष कुल 13 अमावस्या का शुभ संयोग हैं,जिसमें 3 सोमवती अमावस्या भी हैं,सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के अलावा व्रत रखकर भगवान शिव और माती पार्वती की पूजा की जाती है.
वर्ष 2024 में पहली सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल दिन सोमवार को संपन्न हुई,उस दिन चैत्र अमावस्या का संयोग था,पंचांग के अनुसार,पहली सोमवती अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल को 03:21 से होकर इस अमावस्या का समापन रात्रि 23:50 बजे हुवा.!
इस वर्ष दूसरी सोमवती अमावस्या 02 सितंबर सोमवार को है, उस दिन भाद्रपद अमावस्या होगी. दूसरी सोमवती अमावस्या की तिथि 02 सितंबर को प्रात: 05:21 एएम से शुरू होगी और इसका समापन 03 सितंबर को प्रात: 07:24 एएम पर होगा.!
वर्ष 2024 की अंतिम और तीसरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर सोमवार को है. उस दिन पौष अमावस्या होगी. तीसरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को प्रात: 04:01 एएम से लेकर 31 दिसंबर को प्रात: 03:56 एएम तक रहेगी.!
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते है,आज आषाढ़ मास की अमावस्या है.यह अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है.इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है.इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है।
विशेष कर सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिवजी की आराधना, पूजन-अर्चना उन्हीं को समर्पित होती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।
पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं तथा शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं।
“श्री वैदिक ज्योतिष सदन”,+91-1122617053,9818827053,
क्या करें इस दिन :-
* ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
* सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
* सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है।
* महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
* सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है।
* जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है।
* इसके अलावा मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति होती है।