Navaraatri/Navaraatree/Navaraatr Shabd Vyaakhya 2024: नमो नारायण….जय माता दी….आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक के समय को सनातन हिन्दू धर्म में एक विशेष नाम से पुकारा/जाना जाता हैं.कुछ लोग इसको नवरात्री कहते हैं,कुछ नवरात्रि और कुछ नवरात्र हर किसी ब्यक्ति विशेष का इस विषय में अपना-2 मत एवम तर्क हैं।
यह शब्द समास (संक्षिप्तीकरण) से बना है,पहला शब्द है “नव” तथा दूसरा शब्द है “रात्रि” अर्थात नव + रात्रि,रात्रि शब्द का अर्थ रात से है इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए,24 घंटे में तीन तीन घंटे के आठ प्रहर होते हैं जिसमें से प्रथम चार प्रहर (सूर्योदय से) दिन और अंतिम चार प्रहर रात कहलाते हैं।
अब यह दूसरा शब्द “नव” क्या बताता है उसकी बात करते हैं,”नव” शब्द की व्याख्या में विद्वानों के दो मत हैं,पहला मत कहता है “नव” शब्द संख्यावाचक है और”नवानां रात्रीणां समाहारः” अर्थात नौ रात्रियों का समूह इस प्रकार व्याख्या करके द्वन्द समास लगाकर “नवरात्र” शब्द को पूर्णतः शुद्ध बताता है जबकि नवरात्रि/नवरात्री शब्द को त्रुटिपूर्ण बताता है,यह मत कहता है की हम नौ रात्रि शक्ति की पूजा करते हैं और इस “नौ रात्रि के समूह” को किसी नाम से पुकारना चाहते हैं अतः नवरात्र कहकर पुकारते हैं।
दूसरा मत “नव” शब्द को संख्यावाचक न बताकर {इनका तर्क नवरात्रि कभी 8 दिन के होते हैं और कभी 9 और 10 दिन के} इसका अर्थ नवीन बनता है और”नित नवीन रात्रि दर्शनमेव नवरात्रि संज्ञितः” अर्थात रात्रि जो नित्य नवीन रूप में दर्शन दे इस प्रकार व्याख्या करके कर्मधारय समास लगाकर “नवरात्रि” शब्द को ही पूर्णतः शुद्ध बताता है.यह मत कहता है दुर्गा पूजा में उनके नामो के अनुसार नित्य नयी देवियों का आविर्भाव माना गया है,और नित्य नए रूप के आविर्भाव के कारण ही इसे नव अर्थात नयी रात्रि के रूप में जाना या पूजित होता है।