Govatsa Dwadashi 2024: नमो नारायण….गोवत्स द्वादशी कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाने वाला वह पर्व है,जिसमें सत्वगुणी,अपने सानिध्य से दूसरों का पालन करने वाली, सम्पूर्ण सृष्टि को पोषण प्रदान करने वाली गाय माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु गाय-बछड़ों का पूजन किया जाता है,गौ की रक्षा एवं पूजन करने वालों पर सदैव श्री विष्णु की कृपा बनी रहती है…! इस वर्ष गोवत्स द्वादशी 28 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी.
–:Govatsa Dwadashi 2024: गोवत्स द्वादशी पूजन:–
गोवत्स द्वादशी के दिन प्रात:काल पवित्र नई या सरोवर अथवा घर पर ही विधिपूर्वक स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. व्रत का संकल्प किया जाता है. इस दिन व्रत में एक समय ही भोजन किया जाने का विधान होता है. इस दिन गाय को बछडे़ सहित स्नान कराते हैं. फिर उन दोनों को नया वस्त्र ओढा़या जाता है. दोनों के गले में फूलों की माला पहनाते हैं. दोनों के माथे पर चंदन का तिलक करते हैं.तांबे के पात्र में सुगंध, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए गौ का प्रक्षालन करना चाहिए. मंत्र है –
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते|
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:||
इस विधि को करने के बाद गाय को उड़द से बने भोज्य पदार्थ खिलाने चाहिए और निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए. मंत्र है –
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता |
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ||
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते |
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी ||
पूजन करने के बाद गोवत्स की कथा सुनी जाती है. सारा दिन व्रत रखकर रात्रि में अपने इष्टदेव तथा गौमाता की आरती की जाती है. उसके बाद भोजन ग्रहण किया जाता है.
-:Govatsa Dwadashi 2024: गोवत्स द्वादशी का महात्म्य:-
भविष्य पुराण के अनुसार महाभारत युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा-‘हे जगत्पते! मेरे राज्य की प्राप्ति के लिए अठारह अक्षौहिणी सेनाएं, भीष्म, द्रोण, कलिंगराज कर्ण एवं दुर्योधन आदि के मरने से मेरे ह्रदय में महान क्लेश हुआ है,अतः इन पापों से छुटकारा पाने के लिए कोई मार्ग बताएं,इस पर श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को गायों का महत्व समझाते हुए गोवत्स द्वादशी नाम के उत्तम व्रत का पालन करने को कहा….!
-:Govatsa Dwadashi 2024: गोवत्स द्वादशी कथा:-
पौराणिक कथा के अनुसार राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने इस व्रत को किया,इस व्रत के प्रभाव से उन्हें बालक ध्रुव की प्राप्ति हुई,दस नक्षत्रों से युक्त ध्रुव आज भी आकाश में दिखाई देते है,शास्त्रानुसार ध्रुव तारे को देखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है,संतान सुख की कामना रखने वालों को गोवत्स द्वादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए…..!
–:Govatsa Dwadashi 2024: प्रणाम कर गौ माता का लें आशीर्वाद:–
गाय,भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है,गौ पृथ्वी का प्रतीक हैं,गौ माता में सभी देवी-देवता विद्यमान रहते हैं,सभी वेद भी गौओं में प्रतिष्ठित हैं,गाय से प्राप्त सभी घटकों में जैसे दूध,दही,मक्खन,घी,गोबर अथवा गौमूत्र में सभी देवताओं के तत्व संग्रहित रहते हैं,इसलिए इस दिन यदि गौ पूजा न कर पाएं तो कम से कम गौ माता का दर्शन करें और उन्हें प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करें,ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है तो सफेद रंग की गाय को को रोटी खिलाने से वह दूर हो जाता है….!।