Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस्या

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस्या
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ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
Ashadha Amavasya ॐ पित्रेभ्य नमः….आषाढ़ मास को आने वाली अमावस्या तिथि “आषाढ़ अमावस्या” के नाम से जानी जाती है. इस वर्ष 17/18 जून 2023 को रविवार के दिन आषाढ़ अमावस्या संपन्न होगी. आषाढ़ मास की अमावस्या के समय स्नान – दान और पितरों के लिए दान इत्यादि किया जाता है.!
भारतीय पंचांग में कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर जो 30वीं तिथि आती है उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग में हर महीना करीब 30 दिन का होता है जिसे दो भागों में बांटा गया है. जिसमें एक पक्ष शुक्ल पक्ष का होता है और दूसरा पक्ष होता है कृष्ण पक्ष का होता है. इन दोनों पक्षों में चंद्रमा की स्थिति में बदलाव होता है. कृष्ण पक्ष की स्थिति के आगमन पर चंद्रमा की स्थिति घटते जाने की होती है. कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि (30) अमावस्या कहा जाता है. अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्र समान अंशों पर होते हैं और एक ही राशि में स्थित होते है.!

-:’Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस शुभ मुहूर्त’:-

अमावस्या तिथि प्रारंभ : शनिवार 17 जून 2023 पूर्वाह्न 09 बजकर 12 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त : रविवार 18 जून 2023 पूर्वाह्न 10 बजकर 07 मिनट पर
नोट -: शनिवार 17 जून 2023 आषाढ़ पितृकार्येषू अमावस तथा रविवार 18 जून 2023 तीर्थ स्नानदानादि हेतु आषाढ़ अमावस्या तिथि रहेगी.!

-:’Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व’:-

आषाढ़ अमावस्या के दिन आने वाले समय कौन सा दिन पड़्ता है इसका भी बहुत महत्व होता है. अमावस्या किसी विशेष दिन के संदर्भ में कई प्रकार की होती है और सभी का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न बताया गया है.अमावस्या के दिन अगर सोमवार, मंगलवार या शनिवार का दिन होने पर इस अमावस्या का महत्व कई गुना बढ जाता है. इन दिनों में आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, या शनि अमावस्या नामों से पुकारा जाता है.!

-:’Ashadha Amavasya: आषाढ़ शनि अमावस्या’:-

आषाढ़ मास के दिन शनिवार होने पर यह दिन शनि अमावस्या के नाम से जानी जाती है. शनिवार के दिन आने वाली ये अमावस्या के दिन शनि ग्रह की शांति के लिए भी बहुत अच्छा माना गया है. शनि अमावस्या के प्रभाव से व्यक्ति के आर्थिक संकट दूर होते हैं. शनि अमावस्या के दिन व्रत करने पर शनि की साढे़साती और शनि ढैय्या के बुरे प्रभाव समाप्त होते हैं.!

अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नही देता है. ऎसे में अंधकार और भी अधिक गहरा होता है. इसलिए इस दिन को काली रात्रि के नाम से भी पुकारा जाता है. अमावस्या के समय पर तंत्र संबंधित अनुष्ठान का प्रभाव जल्द ही फल देने वाला होता है. इसी कारण से अमावस्या के दिन तांत्रिक कर्म अधिक होते हैं.!

-:सिद्धियों से विभिन्न शक्ति को पाने के लिए इस दिन कार्य किए जाते हैं. तो ऎसे में इस दिन किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं.!
-:इस दिन ग्रह नक्षत्रों के अनुसार अलग-अलग राशियों के लोगों पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है. इस लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और भगवान व अपने ईष्ट देव का पूजन करना चाहिए.!
-:अमावस्या के दिन व्यक्ति को तामसिक भोजन जैसे मांस व शराब जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.!

-:’Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस्या और जलवायु’:-

आषाढ़ अमावस्या एक ऎसे समय को भी दर्शाती है जब मौसम में एक प्रकार का बदलाव भी होता है. इस समय के दौरान गरम मौसम से अलग बरसात का आगमन होता है तो ऎसे समय में इस संक्रमण काल में जो भी कार्य किया जाता है उसका लम्बे समय तक असर भी होता है. इस कारण से इस दिन में सात्विकता और शुद्धता का बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

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