Ashvin Sankranti: कन्या/आश्विन संक्रान्ती

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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ॐ घृणि सूर्याय नमः…सूर्य का कन्या राशि में जाना कन्या संक्रांति के नाम से जाना जाता है. कन्या संक्रांति में सूर्य का पूजन और राशि का पूजन होता है.इस समय पर सूर्य का बुध के स्वामित्व की राशि कन्या में प्रवेश होता है.ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को आत्मा का स्थान प्राप्त होता है.राजा की उपाधी भी इन्हें ही प्राप्त है.इस कारण से सूर्य के गोचर को ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व दिया गया है. सूर्य देव एक राशि में लगभग एक महीने रहते हैं.सूर्य जब अपना गोचर बदलते हैं तो वह संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है.पूरे साल में 12 संक्रांतियां होती हैं और सितंबर माह में आती है कन्या संक्रांति क्योंकि त्ब सुर्य कन्या राशि में गोचर करते हैं.!

-:’कन्या संक्रांति समय’:-
इस वर्ष साल में सूर्य 17 सितंबर 2023 को सिंह राशि से निकल कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और पूरे माह इसी राशि में गोचरस्थ होंगे.सूर्य का कन्या राशि में गोचर सभी राशियों पर किसी न किसी रुप में असर डालता अवश्य है.!

-:’कन्या संक्रांति का महत्व’:-
संक्रांति तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व माना गया है,इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने व पूजा-उपासना करने से यश व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है,इस तिथि पर पितरों के नाम का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व होता हैकन्या संक्रांति पर धार्मिक कार्य, पूजा व जप-तप करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है और कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है,कुंडली में अगर सूर्य की स्थिति सही नहीं है तो व्यक्ति के मान-सम्मान में ,कमी, पिता को कष्ट, कार्यक्षेत्र में परेशानियां, आर्थिक समस्याएं आदि चीजों का सामना करना पड़ता है,इस दिन लाल कपड़ा, घी, गुड़, गेहूं, तांबा आदि चीजों का दान करने का विशेष महत्व है। सूर्य देव की कृपा से पारिवारिक, कारोबार और नौकरी से संबंधित क्षेत्रों की समस्याओं से मुक्ति मिलती है.!

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