Vaidic Jyotish
September 16, 2024 4:09 AM

Ashwin Amavasya 2024: आश्विन/महालय अमावस

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest

Ashwin Amavasya 2024: ॐ सर्व पितृ चरणकमलेभ्यो नमः….आश्विन मास की अमावस्या तिथि आश्विन अमावस्या के नाम से जानी जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास कि अमावस्या के दिन श्राद्ध कार्यों का अंतिम दिन होता है. इसके साथ ही तर्पण के काम समाप्त होते हैं. कृष्ण पक्ष की आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या, पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालय अमावस्या आदि नामों से पुकारा जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितर संतुष्ट होकर अपने लोक लौट जाते हैं.!

पूर्वजों के प्रति श्रद्धा से किया जाने वाला कार्य श्राद्ध होता है. श्राद्ध का स्वरुप पुरातन से नवीनतम तक आज भी बना हुआ है. श्राद्ध के विषय में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्वरुप के ताल मेल को यदि समझा जाए तो हम सभी इसकी विशेषता को जान सकने में बहुत ही आगे रह सकते हैं.!

आश्विन अमावस्या के समाप्त होने के साथ ही श्राद्ध कार्य खत्म हो जाते हैं और फिर शुरुआत होती है आश्विन नवरात्रों की. इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है. इस लिए इस दिन दुर्गा के उपासक और साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट अनुष्ठान कार्य करते हैं.!

-:’Ashwin Amavasya 2024: अश्विन अमावस्या मुहूर्त’:-

अश्विन अमावस्या इस वर्ष 02 अक्टूबर2024 को मनाई जाएगी. पितृों के पूजन के लिए आश्विन अमावस्या का समय अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है. इस दिन जिन भी पूर्वजों को हम जानते हैं उनकी मृत्यु तिथि हमे पता है, या फिर जिन को नहीं जानते तिथि का भी ज्ञान नहीं है उन सभी के लिए इस दिन श्राद्ध का कार्य किया जा सकता है. इस दिन किए गए श्राद्ध का अनुष्ठान सभी पितरों को प्राप्त होता है. इसलिए इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालय अमावस्या कहा जाता है.!

श्राद्ध वह कार्य है दर्शाता है की किसी व्यक्ति के प्रति हमारा स्नेह ओर लगाव किस प्रकार रहा है. किसी के साथ के छुट जाने पर भी यदि उसके प्रति प्रेम को प्रकट करना हो, तो शायद यह एक बहुत ही श्रेष्ठ रुप भी हो सकता है. यह एक पवित्र काम है जो मानव जीवन के क्रम और उसकी अनूभित को उसके बाद भी जोड़े रखता है.!
-:’आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आश्विन अमावस्या’:-
हिन्दू पंचांग और ग्रंथों में आश्विन अमावस्या को अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होते हैं ओर अमावस्या तक चलने वाले इस लम्बे धार्मिक अनुष्ठान के कार्य श्राद्ध कहे जाते हैं. इस दौरान सभी व्यक्ति अपने मरे हुए बंधु बांधवों, माता-पिता एवं परिवार के उन सभी लोगों का तर्पण करते हैं, जो किसी कारण से मृत्यु को प्राप्त हुए.!

-:’Ashwin Amavasya 2024: श्राद्ध के विभिन्न रुप’:-

गरुण पुराण एवं भविष्यपुराण में अंतर्गत बारह प्रकार के श्राद्धों के बारे में पता चलता है. यह कुछ इस प्रकार हैं, इसमें से एक नित्य श्राद्ध वो होते हैं जो रोज किए जाने वाले होते हैं इस लिए इन्हें नित्य श्राद्ध कहते हैं. दूसरे नैमित्तिक श्राद्ध जिसे वर्ष में आने वाली तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध कहा जाता है. नैमित्तिक श्राद्ध, में मरे हुए लोगो जिस तिथि पर मरते हैं उस तिथि के समय किया जाता है.!

-:काम्य श्राद्ध-यह कार्य किसी कामना के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को कहा जाता है.!
-:नान्दी श्राद्ध-जो किसी मांगलिक कार्यों के समय पर किए जाने वाले श्राद्ध को नान्दी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है.!
-:पार्वण श्राद्ध-पितृपक्ष, अमावस्या एवं तिथि आदि पर किए जाने वाले श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं.!
-:सपिण्डन श्राध-त्रिवार्षिक श्राद्ध जिसमें प्रेतपिण्ड का पितृपिण्ड में जोड़ा जाता है.!
-:गोष्ठी श्राद्ध-पारिवारिक या जातीय समूह में किया जाने वाला श्राद्ध गोष्ठी श्राद्ध कहलाता है.!
-:शुद्धयर्थ श्राद्ध-यह कार्य शुद्धि के लिए किया जाता है. इसे करने से पापों से मुक्ति होती है मानसिक शारीरिक शुद्ध प्राप्त होती है.!

-:कर्मांग श्राद्ध-यह सोलह संस्कारों के निमित्त में जो श्राद्ध किया जाता है उसे कर्मांग श्राद्ध के नाम से जाना जाता है.!

-:दैविक श्राद्ध-देवताओं के निमित्त से किए जाते हैं. देवों के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है.!
-:यात्रार्थ श्राद्ध-तीर्थ स्थानों में जो श्राद्ध किया जाता है उसे यात्रार्थ श्राद्ध कहते हैं.!
-:पुष्ट्यर्थ श्राद्ध-स्वयं एवं परिवार के सुख के लिए किए जाते हैं.परिवार में किसी भी प्रकार की बाधा न आ पाए और समृद्धि, उन्नति के मौके जीवन में मिलते रहें. इस दिन ब्राह्मण भोजन और दान करने से से पितृजन संतोष को पाते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं.!

-:’Ashwin Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या और दान’:-

आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध करने पर तिल दान करना बहुत जरूरी होता है. काले तिलों का दान करने से पितृ शांत होते हैं. श्राद्ध का संपूर्ण कार्य पितरों को मिलता है. संतुष्ट हुए पितर हमारे जीवन को खुशहाल बनाते हैं.!

श्राद्ध के कामों में घी और दूध का दान भी बहुत उत्तम माना गया है. मुख्य रुप से गाय के दूध और घी का दान किसी योग्य ब्राह्मण या गरीबों को देने पर तृप्ति होती है पूर्वजों की.!
श्राद्ध के दिन पर अनाज का दान करना भी शुभ होता है. इसमें कच्चा अनाज या पका हुआ अनाज जैसा भी हो देना चाहिए. ब्राह्मण और गरीब लोगों को खाना खिलाना भी एक महादान के रुप में जाना जाता है. यह कार्य भी पितरों को तृप्ति प्रदान करने में बहुत सहायक बनता है.!

श्राद्ध के दिनों में वस्त्र यानी की कपड़ों का दान करने का भी विधान होता है. मान्यता है की पूर्वजों के निमित्त वस्त्र दान करने पर पितरों को संतोष मिलता है.!
श्राद्ध समय फलों का दान भी उपयुक्त होता है. फलों को 16 दिनों तक मौसम के अनुरुप पितरों के लिए दान करना चाहिए . अगर हर दिन ये काम न हो सके तो अमावस्या अथवा जिस दिन पूर्वज की तिथि है उस दिन फलों का दान करना चाहिए.!

-:’Ashwin Amavasya 2024: आश्विन अमावस्या विशेष’:-

आश्विन अमावस्या के दिन प्रात:काल समय किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करना चाहिए. यदि संभव न हो तो सामान्य रुप से घर पर ही स्नान करना चाहिए इसके बाद पितरों को अर्घ्य देना चाहिए.!

आश्विन अमावस्या के दिन पितरों का पूजन करना चाहिए. इस पूजन को किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा कराना चाहिए. अगर ये संभव न हो सके तो स्वयं ही पूजन करना चाहिए.!
आश्विन अमावस्या के दिन उन पितृों का भी श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी तिथि याद न हो तो. इसलिए इसे सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest