Ashwin Poornima 2024: ॐ नमो नारायण…आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रुप में मनाई जाती है. वर्ष 2024 में शरद पूर्णिमा 17 अक्टूबर, को मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा व्रत और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. इस दिन चन्द्रमा व भगवान विष्णु का पूजन, व्रत, कथा की जाती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं. इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीस्तोत्र का पाठ करके हवन करना चाहिए. इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं.!
-:’Ashwin Poornima 2024: शरद पूर्णिमा व्रत विधि’:-
शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर प्रात:काल में व्रत कर अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए. इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए.!
ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वाले की धन -संपत्ति में वृद्धि होती है.!
इस व्रत को मुख्य रुप से स्त्रियों के द्वारा किया जाता है. उपवास करने वाली स्त्रियां इस दिन लकडी की चौकी पर सातिया बनाकर पानी का लोटा भरकर रखती है. एक गिलास में गेहूं भरकर उसके ऊपर रुपया रखा जाता है. और गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कहानी सुनी जाती है. गिलास और रुपया कथा कहने वाली स्त्रियों को पैर छुकर दिये जाते है. रात को चन्द्रमा को अर्ध्य देना चाहिए और इसके बाद ही भोजन करना चाहिए. मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. विशेष रुप से इस दिन तरबूज के दो टुकडे करके रखे जाते है. साथ ही कोई भी एक ऋतु का फल रखा और खीर चन्द्रमा की चांदनी में रखा जाता है. ऎसा कहा जाता है, कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.!
-:’Ashwin Poornima 2024: शरद पूर्णिमा का महत्व’:-
शरद पूर्णिमा के विषय में विख्यात है, कि इस दिन कोई व्यक्ति किसी अनुष्ठान को करे, तो उसका अनुष्ठान अवश्य सफल होता है. तीसरे पहर इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उतम फल मिलते है. इस दिन के संदर्भ में एक मान्यता प्रसिद्ध है, कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था. इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने की किवदंती प्रसिद्ध है. इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रत भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात: काल में खाने का विधि-विधान है.!
आश्विन मास कि पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी गई है. इस पूर्णिमा को आरोग्य हेतु फलदायक माना जाता है. मान्यता अनुसार पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत है अत: माना जाता है कि इस पूर्णिमा को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है. शरद पूर्णिमा की रात्रि समय खीर को चंद्रमा कि चांदनी में रखकर उसे प्रसाद-स्वरूप ग्रहण किया जाता है. मान्यता अनुसार चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा भोजन में समाहित हो जाती हैं जिसका सेवन करने से सभी प्रकार की बीमारियां आदि दूर हो जाती हैं. आयुर्वेद के ग्रंथों में भी इसकी चांदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता है खीर को चांदनी के में रखकर अगले दिन इसका सेवन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है.!
-:’Ashwin Poornima 2024: कोजागर व्रत कथा’:-
कोजागर व्रत करने के साथ-साथ इस दिन व्रत की कथा भी सुननी चाहिए. व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. व्रत बिना विध्न और बाधा के पूरा होता है. कोजागर व्रत कथा इस प्रकार है :-
प्राचीन समय की बात है मगध नामक एक राज्य हुआ करता था. उस राज्य में एक बहुत ही परोपकारी और श्रेष्ठ गुणों से युक्त ब्राह्मण रहा करता था. वह संपूर्ण गुणों से युक्त था किंतु गरीब था. वह ब्राह्मण जितना धार्मिक और परोपकारी था उसकी स्त्री उतनी उसके विपरित आचारण वाली थी. स्त्री उसकी कोई बात नही मानती थी और दुष्ट कार्यों को किया करती थी.!
ब्राह्मण की पत्नी गरीबी के चलते ब्राह्मण को बहुत अपशब्द कहा करती थी. वह अपने पति को दूसरों के सामने सदैव ही बुरा भला कहा करती थी उसे चोरी करने या गलत काम करने के लिए कहती थी. अपनी पत्नी के तानों से तंग आकर ब्राह्मण दुखी मन से जंगल की ओर चला जाता है.!
उस स्थान पर उसकी भेंट नाग कन्याओं से होती है. नागकन्याओं ने ब्राह्मण का दुख पूछा और उसे आश्विन मास की पूर्णिमा को व्रत करने और रत में जागरण करने को कहा. लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला कोजागर व्रत बताने के बाद वह कन्याएं वहां से चली जाती हैं.!
ब्राह्मण घर लौट जाता है और आश्विन मास की कोजागर पूर्णिमा के दिन विधि-विधान के साथ देवी लक्ष्मी का पूजन करता है और रात्री जागरण भी करता है. व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण के पास धन-सम्पत्ति आ जाती है और उसकी पत्नी की बुद्धि भी निर्मल हो जाती है. देवी लक्ष्मी के प्रभाव से वह दोनो सुख पूर्वक अपना जीवनयापन करने लगते हैं.!
-:’Ashwin Poornima 2024: कोजागर व्रत और चंद्र पूजन’:-
हिन्दू पंचांग गणना के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन आरोग्य प्रदान करता है. इस दिन चंद्र देव का पूजन करने पर आर्थिक स्थिति उत्तम होती है. ज्योतिष के अनुसार, कोजगर रात्री के दिन ही चंद्रमा की किरणों में अमृत का वास होता है ओर इस दिन की संपूर्ण रात्रि में चंद्र की किरणों से अमृत की वर्षा होती है.!
मान्यता है की इस दिन अगर चंद्रमा की रोशनी में कुछ समय के लिए बैठा जाए, तो व्यक्ति को किसी भी प्रकार के असाध्य रोग नही हो पाते हैं. इस लिए कहा जाता है की इस दिन दूध से बनी खीर को चंद्रमा की रोशनी में कुछ समय के लिए रखना चाहिए. उसके बाद इस खीर का सेवन करना चाहिए. ऎसा करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, इसके साथ ही नेत्र ज्योति भी उत्तम होती है.!
-:’Ashwin Poornima 2024: चन्द्र स्तोत्र’:-
श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।
चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव: ।।1।।
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।2।।
क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।
हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।3।।
सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।
सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।4।।
राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।
ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।5।।
इति मन्त्रमहार्णवे चन्द्रमस: स्तोत्रम