Bhadli Navami 2024: जय माता दी….. प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल नवमी को भडली {भडल्या} नवमी पर्व मनाया जाता है,नवमी तिथि होने से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन भी होता है,वर्ष 2024 में यह पर्व 15 जुलाईको मनाया जाएगा,पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है,इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है…!
भारत के दूसरे कई हिस्सों में इसे दूसरों रूपों में मनाया जाता है,उत्तर भारत में आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का बहुत महत्व है,वहां इस तिथि को विवाह बंधन के लिए अबूझ मुहूर्त का दिन माना जाता है,इस संबंध में यह मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस दिन किया जाए,तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है,उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता…!
-:’Bhadli Navami 2024: क्या है भडली नवमी’:-
सरल शब्दों में कहे तो इस दिन के बाद भगवान निंद्रा की अवस्था में चले जाते हैं। भडली नवमी भगवान विष्णु जी के निंद्रा की अवस्था ग्रहण करने से पहले का दिन मानी जाती है। और फिर इसके बाद विवाह की तिथि नहीं रखी जाती हैं क्योंकि भगवान का आशीर्वाद नहीं मिल पाता है। और इसलिए सभी भक्त इस विशेष दिन को बहुत ही अनोखे तरीके से मनाते है और ईश्वर का आशीर्वीद लेते है।
भडली नवमी को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे आश्रम शुक्ल पक्ष, भटली नवमी, कंदर्प नवमी। भडली नवमी को आषाढ महीने के दौरान मानाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है और उन्हीं के सम्मान में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भडली नवमी के उपरांत किसी भी प्रकार की धार्मिक त्यौहार या गतिविधि को संपन्न नहीं किया जाता है।
-:’Bhadli Navami 2024: कैसे मनायी जाती है भडली नवमी’:-
-:भडली नवमी अपने आप में एक खास महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा बहुत ही जोर-शोर से की जाती है।
-:पुरोहित मंदिरों और घरों में भगवान विष्णु की पूजा को संपन्न कर प्रसाद वितरित करते है। भगवान विष्णु के जय-जयकार से सारा वातावरण गूंज उठता है।
-:विष्णु सहस्त्रनाम और साथ-ही-साथ भगवान विष्णु के अन्य पवित्र भजन और कीर्तन इस दिन बहुत ही भक्तिमय होकर गाए जाते हैं।
-:इस दिन विशेष तौर पर झारखंड राज्य प्राचीन काल से भदली मेला भी पूरी श्रद्धा के साथ आयोजित करता है और इसमें लोग ब़ढचढ कर भाग लेते है।
-:’Bhadli Navami 2024: भडल्या नवमी तिथि का महत्व’:-
भडल्या नवमी तिथि के दिन शादी और विवाह के लिये काफी शुभ माना जाता है। कई लोग ऐसे भी होते है जिनके विवाह के लिये किसी भी प्रकार का कोई मुहुर्त नहीं निकलता है। उन लोगों के लिये यह मूहुर्त काफी शुभ होता है। ऐसा करने से उनके जीवन में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होता है। वहीं ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन गुप्त नवरात्र का भी विश्राम होता है तो यह दिन और भी अधिक शुभ होता है।
-:’Bhadli Navami 2024: भडली नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा’:-
इस पर्व से जुड़ी एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु अपनी शक्ति के लिये जाने जाते थे । तो एकबार ऐसा हुआ कि भगवान सो रहे थे और इसी दौरान हिंदुओं के विवाह नहीं हो सकते थे। वही विवाहित जीवन को तब तक सुखमय और संपन्न नहीं माना जाता है जबतक भगवान विष्णु का आशीर्वाद उसमें शामिल ना हों।
झारखंड राज्य में एक छोटा सा शहर है जिसे इटखोरी के नाम से जाना जाता है। इस पूरे क्षेत्र में भगवान विष्णु के भक्त रहते हैं। यहां एक भगवान शिव और देवी काली से संबंधित बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जहां भक्त दूर-दूर से उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। भडली मेले के दौरान देवी काली के जगदबा के रुप में पूजा जाता है और उन्हें बलिदान भी चढाया जाता है। इस दिन मुंडन संस्कार के लिये भी काफी लाभदायक माना जाता है।
“भोले बाबा संभालेंगे प्रकृति का भार”
17 जुलाई से भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाएंगे,इस दौरान प्रकृति का भार भगवान शिव पर आ जाता है. 17 जुलाई से लेकर 12 नवंबर तक भगवान शिव ही प्रकृति का कार्यभार संभालेंगे,इस दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं इस दौरान सिर्फ पूजा पाठ आदि के कार्य ही किए जाते हैं,साथ ही सुपाच्य भोजन किया जाता है…!
“चातुर्मास और ध्यान,साधना एवं दान”
चातुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं,लेकिन इस दौरान किया गया दान, पुण्य, तप,यज्ञ, भागवत आदि का बहुत अधिक महत्व होता है,साल में सर्वाधिक यज्ञ, हवन, भागवत अधिक मास के दौरान ही होती हैं,इस दौरान मौसम भी अनुकूल होता है साथ ही सभी ओर वातावरण भी मनोरम रहता है….!