श्रीगुरु चरणकमलेभ्य नमः…वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति और शुक्र दोनों को ही शुभ ग्रह की संज्ञा प्राप्त है,यह दोनों ही गुरु हैं अतैव इन दोनों ग्रहों का प्रत्येक प्राणी के जीवन में अत्यधिक महत्व होता है. एक ओर जहां बृहस्पति ग्रह को देवाचार्य तो वहीँ दूसरी ओर शुक्र ग्रह को दैत्याचार्य के उपाधि से जाना जाता है,लगभग 12 वर्ष पश्चात गुरु मीन राशि में गोचर कर रहे है और उसी मीन राशि में शुक्र उच्च के होते है,ऐसे में जब शुक्र मीन राशि में गुरु के ही साथ युति करते हैं तो यह स्थिति एक दशक के बाद बनती है जो की प्राणी मात्र सहित विश्व भर पर व्यापक असर डालती है.।
गुरु अपनी राशि में विराजमान होकर हंस राजयोग वही शुक्र उच्च राशि में विराजमान होकर मालव्य राजयोग का निर्माण करते हैं,जो भी जातक गुरु शुक्र की युति में जन्म लेता है वो गुणी, वेद पाठी होने के साथ ही साहित्य और कला में भी निपुण होता है.15 फरवरी से 12 मार्च तक गुरु शुक्र की यह युति मीन राशि में रहने वाली है,इस समय ग्रह गोचर में गुरु पाप कर्तरी योग में पीड़ित है.गुरु के ठीक पीछे शनि कुम्भ राशि में वही उनके आगे राहु मेष राशि में विराजमान है.शुक्र गुरु की यह युति केतु के षडाष्टक योग का भी निर्माण कर रही है.I
शुक्र 15 फरवरी को रात्रि 20 बजकर 01 मिनट पर अपनी उच्च राशि मीन में प्रवेश करेंगे.वहां पर देवगुरु बृहस्पति पहले से ही विराजित हैं.I
इस प्रकार करीब 12 साल बाद बनने वाली शुक्र –गुरु युति लोगों के जीवन को बहुत गहराई से प्रभावित करेगी.जहां कुछ राशियों के लिए यह युति नुकसानदायक होगी तो कुछ राशियों के लिए लाभप्रद भी होगी.शुक्र-गुरु युति मिथुन, कर्क और कन्या राशि वालों के लिए बेहद शुभ होने वाली है. इन लोगों को सरकारी नौकरी की परीक्षा में सुखद परिणाम मिलने के आसार हैं.व्यापार आदि में उन्नत्ति एवं विस्तार होगा. कन्या राशि वालों के लिए यह राजयोग बेहद अनुकूल रहेगा.अपितु मेष सिंह तुला व कुम्भ राशि वालों को अत्यधिक सचेत रहने की आवश्यकता हैं,कोर्ट कचहरी,वादविवाद रोड ऐक्सिडेंट व्यापार में हानि व चीटिंग भी हो सकती हैं.!