November 21, 2024 1:21 AM

Chaitra Navratri Parana 2024 वासन्त नवरात्रि पारण | चैत्र नवरात्रि पारण

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest

जय माता दी………हिन्दु धार्मिक ग्रंथों में नवरात्रि पारण के समय को लेकर भिन्न विचार देखने को मिलते हैं,नवरात्रि के व्रत का किस तिथि को समापन करना है,सनातन धर्म ग्रंथों में इसके बारे में मुख्यतः दो प्रकार के विचारों को प्रतिपादित किया गया है,पहले मत के अनुसार, नवरात्रि पारण के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही उत्तम माना गया है,दूसरा मत नवरात्रि पारण के लिए दशमी तिथि को उपयुक्त बताता है,वर्ष 2024 में चैत्र वासन्त नवरात्रि में गुरुवार 18 अप्रैल को नवरात्रि व्रत का पराणा किया जायेगा.!

उत्तर भारतीय परिवारों में, घर के सदस्य, विशेषतः महिला सदस्य, कन्या पूजा के उपरांत अष्टमी या नवमी तिथि पर अपना व्रत छोड़ देते हैं,परंपरागत तौर पर, कन्या पूजा जिसे कुमारी पूजा भी कहा जाता है,महा अष्टमी या महा नवमी तिथि के दिन की जाती है,जिन वर्षों में महा अष्टमी पूजा और महा नवमी पूजा एक ही दिन होती हैं तब व्रत अष्टमी तिथि को कन्या पूजा के बाद तोड़ा जाता है,व्रत तोड़ने की इस परम्परा का पालन करने के लिए मुहूर्त या समय देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्यूंकि इसमें कन्या पूजन के बाद, महा अष्टमी या महा नवमी तिथि के दिन स्वतः ही व्रत को तोड़ा जा सकता है.!

यहाँ विचारणीय है की, व्रत तोड़ने की उपरोक्त विधि के अनुसार नौ दिन व्रत रखना अनिवार्य नहीं है,क्यूँकि, जिन परिवारों में अष्टमी तिथि को पूजा जाता है, वहां व्रत सात दिनों के लिए व जहाँ नवमी तिथि को पूजा जाता है, वहां व्रत आठ दिनों के लिए ही रखा जाता है,व्रत तोड़ने की यह परम्परा सुनिश्चित करती है की नवरात्रि पारण स्वतः ही नवमी तिथि के अस्त होने से पहले हो जाता है, बजाय नवमी तिथि के बाद विशेषकर जब तब नवमी व दशमी तिथि संयुक्त हो.!

कुछेक उपासक नवरात्रि का व्रत नौ दिनों के बजाय दो दिनों के लिए रखा जाता है,पहला उपवास प्रतिपदा तिथि को रखा जाता है व दूसरा सप्तमी या अष्टमी को रखा जाता है, जो की इस बात पर निर्भर करता है की परिवार नवरात्रि पूजा का समापन महा अष्टमी को करते हैं या महा नवमी को,दूसरे शब्दों में, दूसरा उपवास नवरात्रि पूजा के समापन के एक दिन पहले रखना होता है,इस विधि में भी नवरात्रि पारण के लिए मुहूर्त या समय देखना अनिवार्य नहीं होता.!

नवरात्रि के दौरान नवमी होम या हवन करते हैं,हवन करने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दिन का समय माना जाता है जब नवमी तिथि व्यापत (चल रही) हो,न्यूनतम चंडी हवन विधि को पूरा करने में लगभग चार घंटे का समय लगता है,होम-हवन से सम्बंधित उपरोक्त सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए नवरात्रि का व्रत, हवन व नवमी तिथि दोनों की समाप्ति के बाद तोड़ा जाता है.!

नवरात्रि पारण की यह विधि सुनिश्चित करती है कि यदि नवमी सूर्यास्त के पहले समाप्त न हो रही हो तो व्रत पुरे नौ दिन व नौ रात के लिए रखा जाए,यदि नवमी सूर्यास्त के पहले समाप्त हो रही है तो व्रत की अवधि आठ दिनों की होगी,प्रतिष्ठित पुस्तक निर्णय-सिन्धु के अनुसार नवरात्रि पारण या व्रत तोड़ने के लिए नवमी की समाप्ति के बाद दशमी तिथि को ही उत्तम बताया गया है.!

“निर्णय-सिन्धु मतानुसार”
अथ नवरात्रपारणनिर्णयः।
सा च दशम्यां कार्या॥
नवरात्रि पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद जब दशमी तिथि प्रचलित हो को माना गया है,निर्णय-सिन्धु के अनुसार नवरात्रि का व्रत प्रतिपदा से नवमी तक करना ही सर्वश्रेष्ठ है, इसलिए व्रत को पूर्ण नवमी तक करना चाहिए.!
नवरात्रि पारण समय या मुहूर्त निर्णय-सिन्धु में उल्लेखित सिद्धांत का अनुसरण कर निकला गया है,कुछ परिवारों में दशमी तिथि के दिन नवरात्रि पारण दुर्गा विसर्जन के बाद किया जाता है,अतः जहाँ इस विधि से व्रत का पालन किया जाता है, उन्हें नवरात्रि पारण दुर्गा विसर्जन के बाद ही करना चाहिए,नवरात्रि पारण के लिए मुहूर्त का समय दुर्गा विसर्जन के लिए दी गयी सूचि से प्राप्त किया जा सकता है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest