ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम….धनतेरस सनातन धर्म के अनुन्यायियों के प्रमुख त्योहार दीपावली पर्व का पहला दिन है.इस बार धनतेरस शुक्रवार 10 नवम्बर को है.मान्यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था.इस दिन माता लक्ष्मी,भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है.इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है.इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है.धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है.इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस बड़ी या मुख्य दीपावली,गोवर्द्धन पूजा और अंत में भाई दूज या भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है.धनतेरस से पहले रमा एकादशी पड़ती है.!
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है.हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास के त्रयोदशी के दिन धनतेरस मनाया जाता है.ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है.इस वर्ष धनतेरस 10 नवम्बर को है.!
“धनतेरस पर बन रहे हैं अनेक शुभ योग”
पंचांग दिवाकर के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर आरम्भ हो रही है और इस तिथि का समापन 11 नवंबर दोपहर 13 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा.इस चलते धनतेरस 10 नवंबर के दिन ही मनाया जाएगा.धनतेरस के दिन इस वर्ष शष योग,राजयोग बुधादित्य कई योग बन रहे हैं.इस दिन अपार धन लाभ दिलाने वाला हस्त नक्षत्र रहेगा. हस्त नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव हैं और शुक्र चंद्रमा कन्या राशि में होंगे.हस्त नक्षत्र में खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है.!
“धनतेरस पूजन शुभ मुहूर्त”
धनतेरस का त्योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है,यह 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है,धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान होता है, धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है,धनतेरस पर गणेश-लक्ष्मी-कुबेर पूजन हेतु शुभ मुहूर्त शुक्रवार 10 नवंबर सायंकाल 17 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होकर 19 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.!
“धनतेरस प्रदोष काल एवं वृषभ लग्न शुभ मुहूर्त”
धनतेरस पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है,दिवाकर पंचांग की गणना के मुताबिक 10 नवंबर को सायंकाल 05 बजकर 31 मिनट से प्रदोष काल आरंभ हो जाता है,शास्त्रानुसार सूर्यास्त होने के बाद समय प्रदोष काल कहलाया जाता है,10 नवंबर को प्रदोष काल रात्रि 08 बजकर 05 मिनट तक रहेगा,वहीं बृषभ लग्न सायंकाल 05 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.!
-:धनतेरस का महत्व:-
धनतेरस को धनत्रयोदशी/धन्वंतरि त्रियोदशी/धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है.मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए.कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था.भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के नाम से मनाता है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है. इसी दिन यथाशक्ति खरीददारी और लक्ष्मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी. इस दिन यम पूजा का विधान भी है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन संध्या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है.!
-:धनतेरस पूजन विधि:-
धनतेरस के दिन भगवानधन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है.धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं. साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से पूजा करें…!
धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है. #इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं#. #दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए#. दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:..!
मृत्युना दंडपाशाभ्यां कालेन श्याम्या सह|
त्रयोदश्यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||
धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. मान्यता है कि उनकी पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्प अर्पित करें. फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्चे मन से इस मंत्र का उच्चारण करें:-
ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:
– धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है.इस दिन मां लक्ष्मी के छोटे-छोट पद चिन्हों को पूरे घर में स्थापित करना शुभ माना जाता है…!
-:धनतेरस और मां लक्ष्मी की पूजन विधि:-
धनतेरस के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.इस दिन मां लक्ष्मी के साथ महालक्ष्मी यंत्र की पूजा भी की जाती है.धनतेरस पर इस तरह करें मां लक्ष्मी की पूजा:-
– सबसे पहले एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रखें…!
– अनाज के ऊपर स्वर्ण,चांदी,तांबे या मिट्टी का कलश रखें.इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिलाएं…!
– अब कलश में सुपारी,फूल,सिक्का और अक्षत डालें. इसके बाद इसमें आम के पांच पत्ते लगाएं…!
– अब पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें…!
– धान पर हल्दी से कमल का फूल बनाएं और उसके ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखें.साथ ही कुछ सिक्के भी रखें…!
– कलश के सामने दाहिने ओर दक्षिण पूर्व दिशा में भगवान गणेश की प्रतिमा रखें…!
– अगर आप कारोबारी हैं तो दवात,किताबें और अपने बिजनेस से संबंधित अन्य चीजें भी पूजा स्थान पर रखें…!
– अब पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को हल्दी और कुमकुम अर्पित करें…!
इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें:-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलिए प्रसीद प्रसीद |
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मिये नम: ||
– अब हाथों में पुष्प लेकर आंख बंद करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें.फिर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को फूल अर्पित करें…!
– अब एक गहरे बर्तन में मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर उन्हें पंचामृत {दही,दूध,शहद,घी और चीनी का मिश्रण} से स्नान कराएं.इसके बाद पानी में सोने का आभूषण या मोती डालकर स्नान कराएं..!
– अब प्रतिमा को पोछकर वापस कलश के ऊपर रखे बर्तन में रख दें.आप चाहें तो सिर्फ पंचामृत और पानी छिड़ककर भी स्नान करा सकते हैं…!
– अब मां लक्ष्मी की प्रतिमा को चंदन,केसर, इत्र, हल्दी, कुमकुम, अबीर और गुलाल अर्पित करें..!
– अब मां की प्रतिमा पर हार चढ़ाएं. साथ ही उन्हें बेल पत्र और गेंदे का फूल अर्पित कर धूप जलाएं…!
– अब मिठाई, नारियल, फल, खीले-बताशे अर्पित करें…!
– इसके बाद प्रतिमा के ऊपर धनिया और जीरे के बीज छिड़कें…!
– अब आप घर में जिस स्थान पर पैसे और जेवर रखते हैं वहां पूजा करें…!
– इसके बाद अन्त में माता लक्ष्मी की आरती करें…!
नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष, अंकज्योतिष,हस्तरेखा, वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें.!