Fourth Sawan Somwar 2024: ॐ नमः शिवाय …… श्रवण मास में शिवपूजन/पार्थिव पूजन का विशेष महत्व हैं,आज के लेख में शिव पूजन शिव पूजन संपन्न करने की विधि :–
-:शिवपूजन विधि:-
सर्व प्रथम सदगुरु का ध्यान करे
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर :
गुरु: साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री साम्ब सदाशिवाय नमः
-: 4 बार आचमन करे:-
ॐ आत्म तत्व शोधयामि स्वाहा
ॐ विद्या तत्व शोधयामि स्वाहा
ॐ शिव तत्व शोधयामि स्वाहा
ॐ सर्व तत्व शोधयामि स्वाहा
पुनः गुरु ,परम गुरु और परमेष्ठी गुरु का स्मरण करे .. पूजन स्थल पर पुष्प अक्षत अर्पण करे.!
ॐ गुरुभ्यो नमः
ॐ परम गुरुभ्यो नमः
ॐ परमेष्ठी गुरुभ्यो नमः
आसन पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ पृथ्वी देव्यै नमः
चारो तरफ दिशा बंधन हेतु अक्षत/पीली सरसों छोड़ें
और अपनी शिखा पर दाहिना हाथ रखे
दीपक को प्रणाम करे
दीप देवताभ्यो नमः
कलश में जल कार्पण करें और उसमे चन्दन या सुगन्धित द्रव्य अर्पण करें
कलश देवताभ्यो नमः
अब अपने आप को तिलक करे और दाहिने हाथ में जल लेकर अपने नाम और गोत्र का उच्चारण कर संकल्प करे की आज के दिन मैं श्रवण मास में शिव पूजन कर रहा हूँ,मैं भगवान शिव का उनके परिवार के साथ कृपा प्राप्त करने हेतु यथा शक्ति यथा भक्ति पूजन संपन्न कर रहा हूँ और गुरु कृपा से पूजन सफल हो जाए,गुरु के स्मरण पूजन से साधना सम्बंधित दोष दूर हो जाते है.!
फिर सदगुरु का पंचोपचार पूजन करे
(गंध अक्षत पुष्प धुप दीप नैवेद्य )
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः पंचोपचार पूजनम समर्पयामि
गणेश जी का स्मरण करे
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा
ॐ श्री गणेशाय नमः पंचोपचार पूजनम समर्पयामि
भैरव जी के लिये बेल पत्र या पुष्प अक्षत अर्पण करे
तीक्ष्ण द्रंष्ट महाकाय कल्पांत दहनोपम
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञाम दातुर्महसि
अब हाथ में बेल पत्र लेकर शिव जी का ध्यान करे
ॐ ध्यायेत् नित्यं महेशं रजत गिरी निभम् चारु चंद्रावतंसम्
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगम परशुमृगवरा भीति हस्तं प्रसन्नम
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतम मरगणै व्याघ्रकृत्तिम् वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजम निखिलभयहरम पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम
ॐ श्री साम्ब सदाशिवाय नमः आवाहयामि
सपरिवार स्थापयामी नमः
स्वामिन सर्वजगन्नाथ यावत पूजावसानकम !
तावत्वं प्रति भावेन लिंगेsस्मिन सन्निधौ भव !!
श्री साम्ब सदाशिवाय नमः षोडशोपचार पूजनम समर्पयामि
शिव षोडशोपचार पूजन
ॐ भवाय नम: आवाहनं समर्पयामि
(बेल पत्र समर्पित करे )
ॐ शर्वाय नम: आसनं समर्पयामि
( बेल पत्र समर्पित करे )
ॐ उग्राय नम: पाद्यं समर्पयामि
( दो आचमनी जल अर्पित करे )
ॐ पशुपतये नम: अर्घ्यम समर्पयामि
( एक आचमनी जल मे चंदन मिलाकर अर्पण करे )
ॐ ज्येष्ठाय नम: स्नानं समर्पयामि
( स्नान हेतु आचमनी से जल अर्पण करे )
यहाँ पर रुद्राभिषेक या अन्य किसी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते है
ॐ श्रेष्ठाय नम: आचमनीयं समर्पयामि
( एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ रुद्राय नम: यज्ञोपवीतम समर्पयामि
( यज्ञोपवीत न हो तो अक्षत अर्पण करे )
ॐ कालाय नम: आचमनीयं समर्पयामि
( एक आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ कलविकरणाय नम: चंदनं समर्पयामि
ॐ बलविकरणाय नम: अक्षतान समर्पयामि
ॐ बलाय नम: पुष्पं समर्पयामि
ॐ बलप्रमथनाय नम: धूपं समर्पयामि
ॐ सर्वभूतदमनाय नम: दीपं समर्पयामि
ॐ मनोन्मयाय नम: नैवेद्यं निवेदयामि
ॐ शिवाय नम: तांबुलं समर्पयामि
ॐ महादेवाय नम: दक्षिणां समर्पयामि
ॐ महेश्वराय नम: कर्पूर आरार्तिक्यं समर्पयामि
ॐ नीलकंठाय नम: नमस्कारं समर्पयामि
अंग पूजन के लिए पुष्प अक्षत अर्पण करते जाए
ॐ ईशानाय नमः पादौ पूजयामि
ॐ शंकराय नमः जंघे पूजयामि
ॐ शूलपाणये नमः गुल्फौ पूजयामि
ॐ शम्भवे नमः कटी पूजयामि
ॐ स्वयम्भुवे नमः गुह्यं पूजयामि
ॐ महादेवाय नमः नाभिम पूजयामि
ॐ विश्वकर्त्रे नमः उदरम् पूजयामि
ॐ सर्वतोमुखाय नमः पार्श्वयोः पूजयामि
ॐ स्थाणवे नमः स्तनौ पूजयामि
ॐ नीलकण्ठाय नमः कण्ठे पूजयामि
ॐ शिवात्मने नमः मुखम पूजयामि
ॐ त्रिनेत्राय नमः नेत्रे पूजयामि
ॐ नागभूषणाय नमः शिरः पूजयामि
ॐ देवाधिदेवाय नमः सर्वांगे पूजयामि
एकादश आवरण देवता का पूजन करे,पुष्प अक्षत और एक आचमनी जल अर्पण करते जाए
1. ॐ अघोराय नमः अघोर श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
2. ॐ पशुपतये नमः पशुपति श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
3. ॐ शिवाय नमः शिव श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
4. ॐ विरुपाय नमः विरूप श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
5. ॐ विश्वरूपाय नमः विश्वरूप श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
6. ॐ त्र्यम्बकाय नमः त्र्यम्बक श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
7. ॐ भैरवाय नमः भैरव श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
8. ॐ कपर्दिने नमः कपर्दिनी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
9. ॐ शूलपाणये नमः शूलपाणि श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
10. ॐ ईशानाय नमः ईशान श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
11 . ॐ महेशाय नम महेश श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
एकादश शक्तियों का पूजन करे
1. ॐ उमायै नमः उमा श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
2. ॐ शंकरप्रियायै नमः शंकरप्रिया श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
3. ॐ पार्वत्यै नमः पार्वती श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
4. ॐ गौर्यै नमः गौरी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
5. ॐ काल्यै नमः काली श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
6. ॐ कालिन्द्यै नमः कालिंदी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
7. ॐ कोटर्यै नमः कोटरी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
8. ॐ विश्वधारिण्यै नमः विश्वधारिणी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
9. ॐ ह्रां नमः ह्रां शक्ति श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
10. ॐ ह्रीम नमः ह्रीं शक्ति श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नम
11. ॐ गंगा देव्यै नमः गंगा देवी श्री पादुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
अब शिव गणो का पूजन करे
ॐ गणपतये नमः
ॐ कार्तिकेयाय नमः
ॐ पुष्पदन्ताय नमः
ॐ कपर्दिने नमः
ॐ भैरवाय नमः
ॐ शूलपाणये नमः
ॐ ईश्वराय नमः
ॐ दंडपाणये नमः
ॐ नन्दिने नमः
ॐ महाकालाय नमः
एकादश रूद्र का पूजन करे
ॐ अघोराय नमः
ॐ पशुपतये नमः
ॐ शर्वाय नमः
ॐ विरूपाक्षाय नमः
ॐ विश्वरूपिणे नमः
ॐ त्र्यम्बकाय नमः
ॐ कपर्दिने नमः
ॐ भैरवाय नमः
ॐ शूलपाणये नमः
ॐ ईशानाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
शिव के आठ रूपों का पूजन करे
ॐ भवाय क्षितिमूर्तये नमः
ॐ शर्वाय जलमूर्तये नमः
ॐ रुद्राय अग्निमूर्तये नमः
ॐ उग्राय वायुमूर्तये नमः
ॐ भीमाय आकाशमूर्तये नमः
ॐ पशुपतये यजमान मूर्तये नमः
ॐ महादेवाय सोममूर्तये नमः
ॐ ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः
अब बिल्व पत्र लेकर अर्पित करे
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रम च त्रिधायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारम एक बिल्वं शिवार्पणम
अब द्वादश ज्योतिर्लिंग का पूजन बेल या पुष्प अक्षत अर्पण करके करे ..
१. ॐ सौराष्ट्रदेशे विशदे अतिरम्ये ज्योतिर्मयं चंद्रकला वसंतम !
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णम तं सोमनाथं शरणम प्रपद्ये !!
ॐ श्री सोमनाथाय नमः !
२. ॐ श्रीशैलश्रृंगे विबुधातिसंगे तुलाद्रितुन्गेपि मुदा वसंतम !
तमर्जुनं मल्लिकपुर्वमेकम नमामि संसार समुद्रसेतुं !!
ॐ श्री मल्लिकार्जुनाय नमः !
३. ॐ अवन्तिकायाम विहितावतारं भक्तिप्रदानाय च सज्जनाम !
अकालमृत्यौ परिरक्षणार्थं वन्देमहाकाल महासुरेशम !!
ॐ श्री महाकालेश्वराय नमः !
४. ॐ कावेरीकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जन तारणाय !
सदैव मांधातृपदे वसंतमोंकारमीशं शिवमेकमीडे !!
ॐ श्री ओंकारेश्वराय नमः !
५. ॐ पूर्वोत्तरे प्रज्वलिका निधाने सदा वसन्तम गिरजासमेतम !
सुरासुरैराधित पादपद्मं श्रीवैद्यनाथं शरणं प्रपद्ये !!
ॐ श्री वैद्यनाथाय नमः !
६. ॐ याम्ये सदंगे नगरे अतिरम्ये विभूषितांग विविधैश्च भोगै: !
सदभक्तिमुक्तिम प्रदमेकमीशं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये !!
ॐ श्री नागनाथाय नमः
७. ॐ महाद्रिपार्श्वे च तटे रमंतं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रे !
सुरासुरैयक्षमहोरगादयै केदारमीशं शिवमेकमीडे !!
ॐ श्री केदारनाथाय नमः !
८. ॐ सह्याद्रिशीर्षे विमलेवसंतं गोदावरीतीर पवित्रदेशे !
यद् दशनात पावकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे !!
ॐ श्री त्र्यम्बकेश्वराय नमः !
९. ॐ सुताम्रपर्णी जलराशियोगे निबद्धसेतुं विशिखैरसंख्ये: !
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तत रामेश्वराख्यं नियतं नमामि !!
ॐ श्री रामेश्वराय नमः !
१०. ॐ यं डाकिनी शाकिनीका निसेव्यमानं पिशिताशनैश्च !
सदैव भीमादिपद प्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि !!
ॐ श्री भीमाशंकराय नमः !
११. ॐ सानंदमानंदवने वसंतं आनंदकंदं हृतपापवृन्दम !
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये !!
ॐ श्री काशीविश्वनाथाय नमः !
१२. ॐ इलापुरे रम्यविशालके अस्मिन समुल्लसंतं च जगदवरेण्यं !
वन्दे महोदारतर स्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शिवमेकमीडे !!
ॐ श्री घृष्णेश्वराय नमः !
अनेन द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजनेन श्री साम्बसदाशिव देवता प्रीयंतां न मम !!
शिवजी को विशेष अर्घ्य प्रदान करे .. पानी मे चंदन अष्टगंध कपूर इत्र ( अत्तर ) और बेल पत्री मिलाकर एकेक आचमनी जल अर्पण करते जाये.
श्री सांबसदाशिव प्रीत्यर्थं रूद्र पूजा संपूर्ण फल प्राप्त्यर्थं अर्घ्य प्रदानं अहं करिष्ये
ॐ नम: शिवाय शांताय सर्वपापहराय च
शिवरात्रौ मयादत्तं गृहाण अर्घ्यम मम प्रभो !!
मयाकृतान्यनेकानि पापानिहर शंकर
गृहाण अर्घ्यम मम उमाकांत शिवरात्रौ प्रसीद मे !!
शिवरात्रि व्रतं देवपूजा जप परायण:
करोमि विधिवत दत्तं गृहाण अर्घ्यम नमस्तु ते !!
दु:खदारिद्र्यभारश्च दग्धोहं पार्वतीपते
त्रायस्व मां महादेव गृहाण अर्घ्यम नमोस्तु ते !!
शिवरात्रि व्रतं देवपूजा जप परायण:
करोमि विधिवत दत्तं गृहाण अर्घ्यम नमोस्तु ते !!
व्योमकेश नमस्तुभ्यं व्योमात्मा व्योमरुपिणे
नक्षत्ररुपिणे तुभ्यं ददाम्यर्घ्यं नमोस्तुते !!
कैलाश निलय शंभो पार्वतीप्रिय वल्लभ
त्रैलोक्यतमविध्वंसिन गृहाणर्घ्यं सदाशिव
कालरुद्र शिव शंभो कालात्मन त्रिपुरांतक
दुरितग्न सुरश्रेष्ठ गृहाणर्घ्यं सदाशिव !!
आकाशाद्याशरीराणि ग्रहनक्षत्रमालिनि
सर्वसिद्धिनिवासार्तं ददामर्घ्य सदाशिव !!
श्री सांबसदाशिवाय नम:
सांबसदाशिवाय इदमर्घ्यं दत्तं न मम
उमादेवी शिवार्धांगी जगन्मातृ गुणात्मिके
त्राहि मां देवि सर्वेषि गृहाणर्घ्यं नमोस्तुते !!
श्री पार्वत्यै नम:
पार्वत्यै इदमर्घ्यं दत्तं न मम
श्री गुणात्मन त्रिलोकेश: ब्रम्हा विष्णु शिवात्मक !
अर्घ्यं चेदं मया दत्तं गृहाण गणनायक !!
श्री गणपतये नम:
गणपतये इदमर्घ्यं दत्तं न मम
सेनाधिप सुरश्रेष्ठ पार्वतीप्रियनंदन
गृहाणर्घ्यं मया दत्तं नमस्ते शिखिवाहन !!
श्री स्कंदाय नम:
स्कंदाय इदमर्घ्यं दत्तं न मम
वीरभद्र महावीर विश्व ज्ञान वर प्रद
इदमर्घ्यं प्रदास्यामि संग्रहाण शिवप्रिय !!
श्री वीरभद्राय नम :
वीरभद्राय इदमर्घ्यं दत्तं न मम
धर्मस्त्वं वृषरुपेण जगदानंदकारक
अष्टमुर्तेरधिष्ठानं अथ: पाहि सनातन !!
श्री वृषभाय नम:
वृषभाय इदमर्घ्यं दत्तं न मम
चंडीश्वर महादेव त्राहि माम कृपाकर
इदमर्घ्यं प्रदास्यामि प्रसन्ना वरदा भव !!
श्री चंडीश्वराय नम:
चंडीश्वराय इदमर्घ्यं दत्तं न मम
अनेन शिव पूजांगत्वेन अर्घ्य प्रदानेन भगवान श्री सांब सदाशिव प्रीयताम
ॐ तत्सत
श्री सांबसदाशिवार्पणमस्तु !!
आप चाहे तो 108 बिल्व पत्र बिल्वार्चन प्रयोग के 108 श्लोक से अर्पण करे या फिर सिर्फ ॐ नमः शिवाय मन्त्र से अर्पण करे
फिर क्षमा प्रार्थना करे और हाथ मे पुष्प लेकर पूजन स्थान पर अर्पण करे
उग्रोमहेश्वरश्चैव शूलपाणि: पिनाकधृक
शिव: पशुपतिश्चैव महादेव विसर्जनम
ईशान: सर्वविद्यानाम ओंकारो भुवनेश्वर
कैलासं गच्छ देवेश पुनरागमनाय च
ॐ गच्छ गच्छ महादेव गच्छ गच्छ पिनाकधृकम
कैलासादि पीठं गच्छंतु यत्र तिष्ठति पार्वती !!
अनेन शिव पूजनेन श्री सांब सदाशिव देवतां प्रीयताम न मम
ॐ तत्सत
श्री सांब सदाशिवार्पणमस्तु !!
और फिर अंत में निम्न मन्त्र का यथाशक्ति जाप करे
ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं
मेरे सदगुरुदेव ने इस मंत्र के बारे मे कहा था की यह मंत्र अगर नित्य सदैव चलते फिरते किये जाये तो शिवत्त्व की प्राप्ति संभव है ..
ॐ नमः शिवाय
फिर आरती करे और पूजन सम्पूर्णम
शिव शासनतः शिव शासनतः