ॐ नमः शिवाय…..श्रावण के पवित्र माह में तीज का त्योहार बहुत ही शुभ माना जाता है,यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए कफी महत्वपूर्ण होता है,सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है,इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं,इस वर्ष मधुश्रवां-हरियाली सिंघारा तीज शनिवार 19 अगस्त के दिन पड़ रही है,कहा जाता है कि यह व्रत करवा चौथ के व्रत से भी ज्यादा मुश्किल होता है,इस व्रत में पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगभग 30 घंटों तक भूखी रहती हैं.!
-:मधुश्रवा हरियाली सिंघारा तीज शुभ मुहूर्त:-
तृतीया तिथि शुक्रवार 18 अगस्त को रात्रि 20 बजकर 02 मिनट से आरम्भ होकर शनिवार 19 को रात्रि 22 बजकर 20 मिनट तक रहेगी.!
-:पूजन हेतु आवश्यक सामग्री:-
बेल पत्र,केले के पत्ते,धतूरा,अंकव पेड़ के पत्ते,तुलसी,शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी,जनैव, धागा और नए वस्त्र.!
-:पार्वती जी हेतु श्रृंगार सामग्री:-
चूडियां,महौर,खोल,सिंदूर,बिछुआ,मेहंदी,सुहाग चूड़ा,कुमकुम,कंघी,सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें,इसके अलावा श्रीफल,कलश,अबीर,चंदन,तेल और घी,कपूर,दही,चीनी,शहद,दूध और पंचामृत आदि.!
-:हरियाली तीज का पूजन विधि:-
तीज के दिन महिलाएं सुबह से रात तक व्रत रखती हैं,इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है,इस उपलक्ष्य में बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है.!
ध्यान रहें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें,पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते,चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए,साथ में इन मंत्रों बोलना चाहिए.!
-:माता पार्वती पूजा मन्त्र:-
ऊं उमायै नम:,ऊं पार्वत्यै नम:,ऊं जगद्धात्र्यै नम:,ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:,ऊं शांतिरूपिण्यै नम:,ऊं शिवायै नम:..!
-:शिव उपासना मन्त्र:-
ऊं हराय नम:,ऊं महेश्वराय नम:,ऊं शम्भवे नम:,ऊं शूलपाणये नम:,ऊं पिनाकवृषे नम:,ऊं शिवाय नम:,ऊं पशुपतये नम:,ऊं महादेवाय नम:..!
-:हरियाली तीज व्रत कथा:-
हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है,पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था,इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया.!
कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था,माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं,इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया,एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं,यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए,दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गये और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है,इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी.!
नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है,यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं.!
घने और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया,उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया,भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया,इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गये,वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गये.!
शिव इस कथा में बताते हैं कि बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ,शिव कहते हैं, ‘हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका,इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं.!
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