Kalank Chaturthi 2024: ॐ गण गणपतये नमो नमः..प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है वर्ष 2024 में यह पर्व 06/07 सितंबर को मनाया जायेगा.धर्म क्षेत्रों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और इसलिए लोग इस दिन अपने घरों में धूमधाम के साथ गणपति बप्पा का स्वागत करते हैं. गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिन मनाया जाता है और इस दौरान लोग अपने-अपने तरीके से गणेश जी का प्रसन्न करने के लिए उनकी अराधना करते हैं.!
गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है और शायद बहुत कम लोग इसके पीछे छिपी कहानी के बारे में जानते होंगे.गणेश चतुर्थी के कुछ खास नियम होते हैं और उनका पालन करना बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी चांद के दर्शन नहीं करने चाहिए.आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी को क्यों कहते हैं कलंक चतुर्थी और इस दिन क्यों नहीं किए जाते चंद्रमा के दर्शन…?
“Kalank Chaturthi 2024: क्यों कहते हैं कलंक चतुर्थी….?
ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद बेहद खूबसूरत नजर आता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश भगवान ने चांद को यह श्राप दिया कि जो भी इस दिन चांद का दीदार करेगा उसे कलंक लगेगा. इसलिए इस दिन भूलकर भी चांद के दर्शन नहीं करने चाहिए.!
“Kalank Chaturthi 2024: कलंक चतुर्थी से जुड़ी दन्त कथा”
गणेश पुराण के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात चांद को देखा था और वे भी इस श्राप से बच नहीं सके. कुछ दिन बाद ही भगवान कृष्ण पर भी हत्या का झूठा आरोप लग गया था. बाद में नारद मुनि ने श्रीकृष्ण को बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के चांद को देखा था.!
गणेश पुराण में बताई गई कथा के अनुसार, गणेश जी के सूंड वाले मुख को देखकर एक बार चांद को हंसी आ गयी थी. इससे गणेश जी नाराज हो गए और उन्होंने चांद से कहा, ‘तुम्हे अपनी खूबसूरती पर बहुत गुरुर है, इसलिए मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि आज के दिन तुम्हें जो भी देखेगा उसे कलंक लगेगा. तब से लेकर आज तक गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखने से मना किया जाता है.’ इसलिए गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है.!
गणेश जी के श्राप को सुनकर चन्द्रमा को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे दुखी मन के साथ घर में जाकर छिपकर बैठ गये. बाद में सभी देवताओं ने चन्द्रमा को मनाया और उन्हें समझाया कि वे मोदक और पकवान बनाकर गणेश जी की पूजा अर्चना करें जिससे वे खुश हो जाएंगे. चंद्रमा ने ऐसा ही किया और इससे भगवान गणेश खुश तो हुए लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप पूरी तरह खत्म नहीं होगा. गणेश चतुर्थी पर जो चांद को देखेगा उस पर ये श्राप अवश्य लगेगा.!