November 18, 2024 11:13 AM

Kark Sankranti 2024: कर्क/श्रावण संक्रांति

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest

ॐ नमः शिवाय…श्रावण संक्रांति में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे.श्रावण संक्रान्ति का समय 16 जुलाई 2024 को आरंभ होगा. संक्रांति के पुण्य काल समय दान, जप, पूजा पाठ इत्यादि का विशेष महत्व होता है इस समय पर किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है. ऐसे में शंकर भगवान की पूजा का विशेष महत्व माना गया है.!

सूर्य का एक राशि से दूसरा राशि में प्रवेश ‘संक्रांति’ कहलाता है. सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश ही ‘कर्क संक्रांति या श्रावण संक्रांति’ कहलाता है. सूर्य के ‘उत्तरायण ‘ होने को ‘मकर संक्रांति ‘ तथा ‘दक्षिणायन’ होने को ‘कर्क संक्रांति’ कहते हैं. ‘श्रावण’से ‘पौष’ मास तक सूर्य का उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक जाना ‘ दक्षिणायन’ होता है. कर्क संक्रांति में दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं.’उत्तरायण’ का समय देवतायओं का दिन तथा ‘दक्षिणायन ‘देवताओं की रात्री होती है.इस प्रकार, वैदिक काल से ‘उत्तरायण’ को ‘देवयान’ तथा ‘ दक्षिणायन’ के ‘पितृयान’ कहा जाता रहा है.!

-:’Kark Sankranti: कर्क संक्रांति पूजन’:-

कर्क संक्रांति समय काल में सूर्य पितरों का अधिपति माना जाता है.इस काल में षोड़श कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के आतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य होते हैं.श्रवण मास में विशेष रुप से श्री भगवान भोले नाथ की पूजा- अर्चना कि जाती है. इस माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से पुण्य फलों में वृ्द्धि होती है.!
इस मास में प्रतिदिन श्री शिवमहापुराण व शिव स्तोस्त्रों का विधिपूर्वक पाठ करके दुध, गंगा-जल, बिल्बपत्र, फल इत्यादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए. इसके साथ ही इस मास में “ऊँ नम: शिवाय:” मंत्र का जाप करते हुए शिव पूजन करना लाभकारी रहता है. इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजान इतियादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है.!

-:’Kark Sankranti: सावन संक्रांति महत्व’:-

सावन संक्रांति अर्थात कर्क संक्रांति से वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है.देवताओं की रात्रि प्रारम्भ हो जाती है और चातुर्मास या चौमासा का भी आरंभ इसी समय से हो जाता है. यह समय व्यवहार की दृष्टि से अत्यधिक संयम का होता है क्योंकि इसी समय तामसिक प्रवृतियां अधिक सक्रिय होती हैं. व्यक्ति का हृदय भी गलत मार्ग की ओर अधिक अग्रसर होता है अत: संयम का पालन करके विचारों में शुद्धता का समावेश करके ही व्यक्ति अपने जीवन को शुद्ध मार्ग पर ले जा सकने में सक्षम हो पाता है.!

इस समय उचित आहार विहार पर विशेष बल दिया जाता है. इस समय में शहद का प्रयोग विशेष तौर पर करना लाभकारी माना जाता है. अयन की संक्रांति में व्रत, दान कर्म एवं स्नान करने मात्र से ही प्राणी संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है. कर्क संक्रांति को ‘दक्षिणायन’ भी कहा जाता है इस संक्रांति में व्यक्ति को सूर्य स्मरण, आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र इत्यादि का पाठ व पूजन करना चाहिए जिसे अभिष्ट फलों की प्राप्ति होती है. संक्रांति में की गयी सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है. संक्रांति में भगवान विष्णु का चिंतन-मनन शुभ फल प्रदान करता है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on email
Share on print
Share on pinterest