कुम्भ/फाल्गुन संक्रान्ति

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

कुम्भ/फाल्गुन संक्रान्ति 2023
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एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

ॐ घृणि सूर्याय नमः…सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करने को संक्रांति कहते हैं.सूर्यनारायण के मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश को कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता हैं

संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य भगवान् की पूजन कर अर्घ्य देने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है,सूर्य नारायण की पूजा से परिवारिक कष्टों से निवृत्ति प्राप्त होती हैं.साथ ही भगवान आदित्य के आशीर्वाद से जीवन के अनेक दोष भी दूर हो जाते हैं,प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है.इस दिन खाद्य वस्तुओं, वस्त्रों और गरीबों को दान देने से दोगुना पुण्य मिलता है।

-:’कुम्भ संक्रांति शुभ मुहूर्त’:-
सोमवार 13 फरवरी 2023 को प्रातः 09 बजकर 44 मिनट पर नवग्रह अधिपति सूर्यनारायण कुम्भराशि में प्रवेश करेंगे,इस दिन संक्रांति पुण्यकाल प्रातः 04:21 से आरम्भ होकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा तथा अमृत पुण्यकाल मध्याहन 12:01 से 12:57 तक रहेगा.!

-:’कुम्भ संक्रांति’:-
ज्योतिष शास्त्र मे सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है,सूर्य की उत्तरायन और दक्षिणायन स्थिति द्वारा ही जलवायु और ऋतुओं में बदलाव होता है.सूर्य की स्थिति अथवा राशि परिवर्तन ही संक्रांति कहलाती है,हिन्दू धर्म मे संक्रांति का अत्यंत महत्व है.संक्रांति पर्व पर सूर्योदय से पहले स्नान और विशेषकर गंगादि तीर्थस्नान का अत्यंत महत्व है,ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर्व पर स्नान करने वाले को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है,देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता वो कईं जन्मों तक दरिद्र रहता है,संक्रांति के दिन दान और पुण्य कर्मों की परंपरा सदियों से चली आ रही है.।

ज्योतिष के अनुसार सूर्य गतिमान है और ये एक रैखिक पथ पर गति कर रहा है.सूर्य की इसी गति के कारण ये अपना स्थान परिवर्तन करते रहते हैं.साथ ही विभिन्न राशियों में गोचर होते हैं.सूर्य किसी भी राशि में करीब एक माह तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं.जिसे हिन्दू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र मे संक्रांति की संज्ञा दी गयी है.।

मकर संक्रांति पर सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाते हैं जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है, हिन्दू धर्म में कुंभ और मीन संक्रांति को भी महत्वपूर्ण माना गया है.क्योंकि इस समय में वसंत ऋतु और उसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है,कुंभ संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष महत्व है.।

-:’कुंभ संक्रांति का महत्व’:-
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा अमावस्या और एकादशी तिथि का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी है। संक्रांति के दिन स्नान ध्यान और दान से देवलोक की प्राप्ति होती है.कुंभ संक्रांति के दिन प्रातः उठ कर स्नान करें और स्नान के पानी मे तिल जरूर डाल दें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें.।

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