दन्ताभये चक्रवरौ दधानं,
कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
यह मां लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश का ध्यान मंत्र है। इसमें एक दांत वाले, अभयमुद्रा वाले, चक्र तथा वरमुद्रा वाले, जिन्होंने स्वर्ण घट रखे हुए हैं, जो त्रिनेत्र हैं, जिनका वर्ण रक्त के समान है, रक्तवर्ण, लक्ष्मीजी के साथ श्री लक्ष्मी विनायक का ध्यान किया जाता है।
3. ऋणहर्ता गणपति मन्त्र
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
यदि व्यक्ति पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा हो या कोई लंबे समय से कर्ज चुकाने के प्रयास करने के बावजूद भी उसे चुकाने में सक्षम न हो पा रहा हो तो ऐसे में भगवान श्री गणेश के इस ऋणहर्ता गणपति मंत्र का विधिपूर्वक जाप करने से साधक को लाभ पंहुचता है। अपने व्यवसाय में विस्तार एवं विकास हेतु भी यह मंत्र लाभकारी होता है साथ ही यह आपके जीवन में बाधक बनी नकारात्मक उर्जा को भी सकारात्मक बनाने में काफी कारगर है। इस मंत्र के ऋषि सदा-शिव हैं व छंद अनुष्टुप है, इसके देवता श्री ऋण-हर्ता गणपति हैं।