मंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है एक ऐसी ध्वनी जिससे मन का तारण हो अर्थात मानसिक कल्याण हो जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में शब्दों के संयोजन से इस प्रकार की कल्याणकारी ध्वनियां उत्पन्न की गई।
निवेदन मंत्र
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिदं ग्रस
मन्त्र अर्थ – हे जगदम्बे! हे स्वर्गवासिनी देवी! हे सर्वदेवमयी! आप मेरे द्वारा दिए इस अन्न को ग्रहण करें।
प्रार्थना मंत्र
सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलङ्कृते
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि
मन्त्र अर्थ – हे समस्त देवताओं द्वारा अलङ्कृत माता! नन्दिनी! मेरा मनोरथ पुर्ण करो।