सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् ।।
Maa Kalratri Puja: ॐ कालरात्र्यै नम:……..नवरात्रि के सातवें दिन महासप्तमी होती है.इस दिन आध्यशक्ति नव दुर्गा मां सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा का विधान है.वर्ष 2023 के चैत्र वसंत नवरात्रि में कालरात्रि का पूजन 28 मार्च को किया जायेगा, शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला है.मान्यता है कि मां कालरात्रि ही वह देवी हैं जिन्होंने मधु कैटभ जैसे असुर का वध किया था.कहते हैं कि महा सप्तमी के दिन पूरे विधि-विधान से कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.ऐसा भी कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को किसी भूत,प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता…!
शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयंकर है.देवी कालरात्रि का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है.मां कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली होती हैं.इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काले रंग का है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है.इनका वर्ण अंधकार की भांति कालिमा लिए हुए है. देवी कालरात्रि का रंग काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है…!
शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है.इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं जिनमें से बिजली की तरह किरणें प्रज्वलित हो रही हैं,इनके बाल खुले और बिखरे हुए हैं जो की हवा में लहरा रहे हैं,गले में विद्युत की चमक वाली माला है,इनकी नाक से आग की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं,दाईं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं,बाईं भुजा में मां ने तलवार और खड्ग धारण की है…!
मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को किसी भूत,प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता.मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत ही भंयकर है,लेकिन मां कालरात्रि का हृदय बहुत ही कोमल और विशाल है.मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं.मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. दुर्गा सप्तसती की कथा के अनुसार मां कालरात्रि ने रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था…..!
Maa Kalratri Puja: माँ कालरात्रि
नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को सपमर्पित है.कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए महासप्तमी के दिन उन्हें इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है.मान्यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्न होती हैं और सभी विपदाओं का नाश करती हैं. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है…..!
Maa Kalratri Puja: महा सप्तमी पूजा विधि
दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व है.इस दिन से पूजा पंडालों में भक्तजनों के लिए देवी मां के द्वार खुल जाते हैं. महा सप्तमी के दिन कालरात्रि की पूजा इस प्रकार करें:–
-:पूजा शुरू करने के लिए मां कालरात्रि के परिवार के सदस्यों,नवग्रहों,दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें…!
-:सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें…!
-:अब हाथों में फूल लेकर कालरात्रि को प्रणाम कर उनके मंत्र का ध्यान किया जाता है.मंत्र है- “देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया,निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विपादाधातु शुभानि सा न:”…!
-:पूजा के बाद कालरात्रि मां को गुड़ का भोग लगाना चाहिए…!
-:भोग लगाने के बाद दान करें और एक थाली ब्राह्मण के लिए भी निकाल कर रखनी चाहिए…!
Maa Kalratri Puja: सप्तमी और तंत्र पूजन
सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है लेकिन रात में पूजा का विशेष विधान है.सप्तमी की रात्रि सिद्धियों की रात भी कही जाती है.दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.इस दिन तंत्र साधना करने वाले साधक आधी रात में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं.इस दिन मां की आंखें खुलती हैं.कुंडलिनी जागरण के लिए जो साधक साधना में लगे होते हैं महा सप्तमी के दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं. देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए…!
Maa Kalratri Puja: माँ कालरात्रि ध्यान
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥
Maa Kalratri Puja: माँ कालरात्रि मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
Maa Kalratri Puja: देवी कालरात्रि स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
Maa Kalratri Puja: देवी कालरात्रि कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
Maa Kalratri Puja: माँ कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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