अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांचीर्अवन्तिका.I
पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका.।।
नमो नारायण…..शनिवार 21 जनवरी 2023 को मौनी अमावस्या का स्नान एवं उत्सव हैं.मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचर में मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है.इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है.मकर राशि, सूर्य तथा चन्द्रमा का योग इसी दिन होता है.इस वर्ष शनिवार को यह अमावस आने के कारण यह शनिश्चरी मौनी अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है.इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.I
-:’मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त’:-
शनिवार 21 जनवरी 2023 को प्रातः 06 बजकर 18 मिनट से अमावस्या तिथि आरम्भ होकर शनि/रविवार 22 जनवरी की मध्यरात्रि 26 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी.II
-:मौनी अमावस्या पर मौन व्रत महत्व:-
इस दिन व्यक्ति विशेष को मौन व्रत रखने का भी विधान रहा है.इस व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए.धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है.कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं.वह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि कितने समय के लिए वह मौन व्रत रखना चाहता है.कई व्यक्ति एक दिन,कोई एक महीना और कोई व्यक्ति एक वर्ष तक मौन व्रत धारण करने का संकल्प कर सकता है…I
इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए.वाणी को नियंत्रित करने के लिए यह शुभ दिन होता है.मौनी अमावस्या को स्नान आदि करने के बाद मौन व्रत रखकर एकांत स्थल पर जाप आदि करना चाहिए.इससे चित्त की शुद्धि होती है.आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है.मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति स्नान तथा जप आदि के बाद हवन,दान आदि कर सकता है.ऎसा करने से पापों का नाश होता है.इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है.I
माघ मास की अमावस्या तिथि और पूर्णिमा तिथि दोनों का ही महत्व इस मास में होता है.इस मास में यह दो तिथियाँ पर्व के समान मानी जाती हैं. समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के मध्य संघर्ष में जहाँ-जहाँ अमृत गिरा था उन स्थानों पर स्नान करना पुण्य कर्म माना जाता है.I
-:मौनी अमावस्या महात्म्य:-
मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान,पुण्य तथा जाप करने चाहिए, यदि किसी व्यक्ति की सामर्थ्य त्रिवेणी के संगम अथवा अन्य किसी तीर्थ स्थान पर जाने की नहीं है तब उसे अपने घर में ही प्रात: काल उठकर दैनिक कर्मों से निवृत होकर स्नान आदि करना चाहिए अथवा घर के समीप किसी भी नदी या नहर में स्नान कर सकते हैं.पुराणों के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगाजल के समान हो जाता है.स्नान करते हुए मौन धारण करें और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करें.I
इस दिन व्यक्ति प्रण करें कि वह झूठ,छल-कपट आदि की बातें नहीं करेगें.इस दिन से व्यक्ति को सभी बेकार की बातों से दूर रहकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करनी चाहिए.इससे मन शांत रहता है और शांत मन शरीर को सबल बनाता है.इसके बाद व्यक्ति को इस दिन ब्रह्मदेव तथा गायत्री का जाप अथवा पाठ करना चाहिए.मंत्रोच्चारण के साथ अथवा श्रद्धा-भक्ति के साथ दान करना चाहिए.दान में गाय,स्वर्ण,छाता,वस्त्र,बिस्तर तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करनी चाहिए.I
-:’शनिश्चरी अमावस्या विशेष महत्व:-
शनि अमावस्या ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है.शनि अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं.!
इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्तोत्र का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं.I
“कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:।”
“सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।”
इस मंत्र का जप करने से शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है.!
-:शनिश्चरी अमावस्या विशेष उपाय:-
भविष्यपुराण में ऐसा उल्लेख है कि शनि अमावस्या के दिन शनि का पूजन विशेष फलदायी होता है,शनि देव के अच्छे फल प्राप्त करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं,शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यहां बताए गए उपाय सभी जातकों को सफलता दिलाएंगे.!
01. – उड़द दाल की खिचड़ी दान करें.!
02. – तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें.!
03. – काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें.!
04. – शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में शनि चालीसा का पाठ,शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें.!
05. – अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें.!
06. – शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें.!
07. – इस दिन नीलम/नीली या कटैला रत्न धारण करें,जो फल प्रदान करता है.!
08. – इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.I