Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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नमो नारायण……’मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के रुप में जाना जाता है.वर्ष 2023 में मोक्षदा एकादशी 22/23 दिसम्बर को मनाई जाएगी.मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी अनेकों पापों को नष्ट करने वाली है.मोक्षदा एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के प्रारम्भ होने से पूर्व अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.!

इस दिन श्री कृष्ण व गीता का पूजन शुभ फलदायक होता है.ब्राह्राण भोजन कराकर दान आदि कार्य करने से विशेष फल प्राप्त होते है.यह एकादशी मोक्षदा के नाम से प्रसिद्ध है.इस दिन भगवान श्री दामोदर की पूजा, धूप, दीप नैवेद्ध आदि से भक्ति पूर्वक करनी चाहिए.!

-:’मोक्षदा एकादशी कथा’:-
व्रत के दिन स्नान करने के बाद ही मंदिर में पूजा करने के लिये जाना चाहिए.मंदिर या घर में श्री विष्णु पाठ करना चाहिए और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए.इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्माणों को दान-दक्षिणा देने के बाद ही होता है.व्रत की रात्रि में जागरण करने से व्रत से मिलने वाले शुभ फलों में वृद्धि होती है.मोक्षदा एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति के पूर्वज जो नरक में चले गये है, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है.!

-:’मोक्षदा एकादशी महत्व’:-
इसकी कथा इस प्रकार है. प्राचीन गोकुल नगर में वैखानस नाम का एक राजा राज्य करता था.उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्माण रहते थे.एक रात्रि को स्वप्न में राजा ने अपने पिता को नर्क मे पडा देखा,अपने पिता को इस प्रकार देख कर उसे बहुत दु:ख हुआ.!

वह ब्राह्माणों के सामने अपनी स्वप्न के बारे कहता है कि पिता को इस प्रकार देख कर मुझे सभी ऎश्वर्य व्यर्थ महसूस हो रही है. आप लोग मुझे किसी प्रकार का उपाय बताएं, जिससे मेरे पिता को मुक्ति प्राप्त हो सके.राजा के ऎसे वचन सुनकर ब्राह्माण कहते हैं कि हे राजन, यहां समीप ही एक भूत-भविष्य के ज्ञाता एक “पर्वत” नाम के मुनि है.आप उनके पास जाईए, वही आपको इसके बारे में बतायेगें….!

राजा ऎसा सुनकर मुनि के आश्रम पर गए़ उस आश्रम में अनेकों मुनि शान्त होकर तपस्या कर रहे थे. राजा ने जाकर ऋषि को प्रणाम करके सारी बत उन्हें बताई राजा की बात सुनकर मुनि ने आंखे बंद कर ली और कुछ देर बाद मुनि बोले कि आपके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक दुष्कर्म किया था. उसी पाप कर्म के फल से तुम्हारा पिता नर्क में गए है.!
यह सुनकर राजा ने अपने पिता के उद्वार की प्रार्थना ऋषि से की. मुनि राजा की विनती पर बोले की मार्गशीर्ष मसके शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है. उस एकादशि का आप उपवास करें. उस एकादशी के पुन्य के प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी. मुनि के वचनों को सुनकर उसने अपने परिवार सहित मोक्षदा एकादशी का उपवास किया. उस उपवास के पुण्य को राजा ने अपने पिता को दे दिया. उस पुन्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और वह स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र से बोले, हे पुत्र तुम्हारा कल्याण हों, यह कहकर वे स्वर्ग चले गए.!

-:’मोक्षदा एकादशी महत्व’:-
“मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी तथा श्रीगीता जयन्ती के रुप में मनाई जाती है.इसी पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के प्रारम्भ होने से पूर्व अपने प्रिय अर्जुन को गीता का उपदेश भी प्रदान किये थे,इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु माता लक्ष्मी जी के साथ देवकीनन्दन श्रीकृष्ण व गीता का पूजन करना विशेष शुभ फलदायक होता है.मोक्षदा एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.यह एकादशी समस्त अपकर्मों को नष्ट कर श्रेष्ठ अक्षयफल प्रदान करती है.मोक्षदा एकादशी तथा श्रीगीता जयन्ती से सम्वन्धित अधिक विवरण हेतु आप अपने “AstroDev” YouTube Channel पर क्लिक करें”.II

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