November 18, 2024 10:52 AM

Padma Ekadashi 2024: पदमा एकादशी

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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Padma Ekadashi 2024 : नमो नारायण….भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी पदमा एकादशी कही जाती है.इस वर्ष 14 सितम्बर 2024 को पदमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा.इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है.इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में बढोतरी होती है. इस एकादशी के विषय में एक मान्यता है, कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण के वस्त्र धोये थे. इसी कारण से इस एकादशी को “जलझूलनी एकादशी” भी कहा जाता है.!

मंदिरों में इस दिन भगवान श्री विष्णु को पालकी में बिठाकर शोभा यात्रा निकाली जाती है. गांग के बाहर जाकर उनको स्नान कराया जाता है. इस अवसर पर भगवान श्री विष्णु के दर्शन करने के लिये लोग सैलाब की तरह उमड पडते है. इस एकादशी के दिन व्रत कर भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है.!

धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- हे केशव! आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है….? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है….? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूँ। एक समय नारजी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न किया था.!

तब ब्रह्माजी ने उत्तर दिया कि हे नारद तुमने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए बहुत उत्तम प्रश्न किया है,क्योंकि एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है,इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को नहीं करते वे नरकगामी होते हैं.!

इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं,इस एकादशी का नाम पद्मा है,अब मैं तुमसे एक पौराणिक कथा कहता हूँ,तुम मन लगाकर सुनो,सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था,वह अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन किया करता था,उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी,उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था.!

एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया,प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दु:खी हो गई,अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए,एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी कि हे राजा.! सारी प्रजा त्राहि-त्राहि पुकार रही है,क्योंकि समस्त विश्व की सृष्टि का कारण वर्षा है.!

वर्षा के अभाव से अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है,इसलिए हे राजन..! कोई ऐसा उपाय बताअओ जिससे प्रजा का कष्ट दूर हो,राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दु:खी हो गए हैं,मैं आप लोगों के दु:खों को समझता हूँ,ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया,वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुँचा,वहाँ राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया.!

मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा,राजना ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन.! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दु:खी है,राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है,जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूँ तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया..? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका.!

अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूँ,कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए,इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन…! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है,इसमें धर्म को चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है,लोग ब्रह्म की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है,ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है,इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है.!

इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो,इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूँ,आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए,तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो.!

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो,व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है,इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो.!

मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुँचा,अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए,यह व्रत इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं.!

-:”Padma Ekadashi 2024: जलझूलनी एकादशी पूजा”:-
इस व्रत में धूप, दीप,नेवैद्ध और पुष्प आदि से पूजा करने की विधि-विधान है. एक तिथि के व्रत में सात कुम्भ स्थापित किये जाते है. सातों कुम्भों में सात प्रकार के अलग- अलग धान्य भरे जाते है. इन सात अनाजों में गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौं, चावल और मसूर है. एकादशी तिथि से पूर्व की तिथि अर्थात दशमी तिथि के दिन इनमें से किसी धान्य का सेवन नहीं करना चाहिए.!

कुम्भ के ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रख पूजा की जाती है. इस व्रत को करने के बाद रात्रि में श्री विष्णु जी के पाठ का जागरण करना चाहिए यह व्रत दशमी तिथि से शुरु होकर, द्वादशी तिथि तक जाता है. इसलिये इस व्रत की अवधि सामान्य व्रतों की तुलना में कुछ लम्बी होती है. एकादशी तिथि के दिन पूरे दिन व्रत कर अगले दिन द्वादशी तिथि के प्रात:काल में अन्न से भरा घडा ब्राह्माण को दान में दिया जाता है.!

-:”Padma Ekadashi 2024: डोल ग्यारस”:-
राजस्थान में जलझूलनी एकादशी को डोल ग्यारस एकादशी भी कहा जाता है. इस अवसर पर यहां भगवान गणेश ओर माता गौरी की पूजा एवं स्थापना की जाती है. इस अवसर पर यहां पर कई मेलों का आयोजन किया जाता है.इस अवसर पर देवी-देवताओं को नदी-तालाब के किनारे ले जाकर इनकी पूजा की जाती है. संध्या समय में इन मूर्तियों को वापस ले आया जाता है. अलग- अलग शोभा यात्राएं निकाली जाती है. जिसमें भक्तजन भजन, कीर्तन, गीत गाते हुए प्रसन्न मुद्रा में खुशी मनाते हैं.!

-:”Padma Ekadashi 2024: पद्मा एकादशी महात्म्य”:-
कथा इस प्रकार है सूर्यवंश में मान्धाता नामक चक्रवर्ती राजा हुए उनके राज्य में सुख संपदा की कोई कमी नहीं थी, प्रजा सुख से जीवन्म व्यतीत कर रही थी परंतु एक समय उनके राज्य में तीन वर्षों तक वर्षा नहीं हुई प्रजा दुख से व्याकुल थी तब महाराज भगवान नारायण की शरण में जाते हैं और उनसे अपनी प्रजा के दुख दूर करने की प्रार्थना करते हैं. राजा भादों के शुक्लपक्ष की ‘एकादशी’ का व्रत करता है.!

इस प्रकार व्रत के प्रभाव स्वरुप राज्य में वर्षा होने लगती है और सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं राज्य में पुन: खुशियों का वातावरण छा जाता है. इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए ‘पदमा एकादशी’ के दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, जलझूलनी एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है, उसे भूमि दान करने और गोदान करने के पश्चात मिलने वाले पुण्यफलों से अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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