नमो नारायण….चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है.इसी के चलते इसको ये नाम मिला है,इस बार ये त्यौहार 25 मार्च,सोमवार को पड़ रहा है,पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन आसमान में रंग उड़ाने से रज और तम के प्रभाव कम हो कर उत्सव का सात्विक स्वरूप निखरता है और देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं,ये भी कहा जाता है कि आसमान से ही रंगों के जरिए भगवान भी अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं,उत्तर भारत में जितनी धूमधाम से होली मनाई जाती है, उतने ही उत्साह से कुछ राज्यों में रंग पंचमी का त्यौहार मनाते हैं…!
रंग पंचमी का चलन भारत के चार क्षेत्रों में सबसे ज्यादा दिखाई देता है,ये इलाके हैं महाराष्ट्र, राजस्थान,मध्यप्रदेश और मालवा का पठार,महाराष्ट्र में दुलहंडी यानि रंग वाली होली के दिन से रंग खेलने की शुरुआत हो जाती है और पंचमी तक चलती है,ये पंचमी ही रंग पंचमी कहलाती है,इस अवसर पर कई पकवान बनते हैं जिसमे मुख्य रूप से पूरनपोली बनती है,इसके साथ ही रंग पंचमी पर सूखे रंगों से होली खेली जाती है,इस दौरान मछुआरों की बस्ती में विशेष तौर पर आयोजन होते हैं,जैसे नाच,गाना आदि कहते हैं कि ये समय शादी विवाह तय करने का सर्वोत्तम होता है क्योंकि मछुआरे इस अवसर पर एक दूसरे के घरों को मिलने जाते हैं और परिवारों के बारे में जानकारी मिलती है,इसी तरह राजस्थान में इस दिन खास तौर पर जैसलमेर के मंदिर महल इलाके में खूब धूमधाम होती है,लोकनृत्यों आदि का आयोजन होता है और हवा में लाल,नारंगी और फ़िरोज़ी रंग उड़ाए जाते हैं,वहीं मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में इस दिन सड़कों पर रंग मिला सुगंधित जल छिड़का जाता है,और लोग जलूस की शक्ल में रंग उड़ाते हुए निकलते हैं,साथ ही होली के बाद एक बार फिर जम कर रंग खेला जाता है,इसी तरह से लगभग पूरे मालवा के पठार में इस दिन जलूस निकालने की परंपरा है इसे गेर कहते हैं…!
इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है,कहा जाता है कि प्राचीन समय में जब होली का उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता था उस समय रंगपंचमी के साथ उसकी समाप्ति होती थी और उसके बाद कोई रंग नहीं खेलता था,वास्तव में रंग पंचमी होली का ही एक रूप है जो चैत्र मास की कृष्ण पंचमी को मनाया जाता है,होली का आरंभ फाल्गुन माह के साथ हो जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के बाद यह उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर रंग पंचमी तक चलता है,देश के कई हिस्सों में इस अवसर पर धार्मिक और सांकृतिक उत्सव आयोजित किये जाते हैं,शास्त्रों के अनुसार रंग पंचमी अनिष्टकारी शक्तियों पर विजय पाने का पर्व कहा जाता है…!I
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