Sanskrit Diwas: संस्कृत दिवस

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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विश्वस्य हितं संस्कृते निहितम्।।

संस्कृतदिवसः एकः विशिष्टदिवसः वर्तते,एषः दिवसः संस्कृतभाषायै समर्पितः केन्द्रितश्चास्ति,संस्कृतदिवसः प्रतिवर्षं श्रावणमासस्य शुक्लपक्षे पूर्णिमातिथौ आयाति,संस्कृतदिवसे संस्कृतच्छात्राः अध्यापकाश्च महता हर्षोल्लासेन विविधसंस्कृतकार्यक्रमान् आयोजयन्ति,विद्यालयेषु महाविद्यालयेषु च नैकाः प्रतियोगिताः भवन्ति.!

जय माता दी…भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है,श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है,वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था,इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है,इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं,इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है,ब्राह्मण यजमानों पर रक्षासूत्र भी बांधते हैं,ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है,राज्य तथा जिला स्तरों पर संस्कृत दिवस आयोजित किए जाते हैं,इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, छात्रों की भाषण तथा श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है, जिसके माध्यम से संस्कृत के विद्यार्थियों, कवियों तथा लेखकों को उचित मंच प्राप्त होता है।.!

सन् 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था,तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है,इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे,पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था.प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, वर्तमान में भी गुरुकुलों में श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाता है,इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है,आजकल देश में ही नहीं, जर्मनी आदि विदेशों में भी इस दिन पर संस्कृत उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है,इसमें केन्द्र तथा राज्य सरकारों का भी योगदान उल्लेखनीय है,जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है, वह सप्ताह कुछ वर्षों से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। देश के समस्त विद्यालयों में इसको बड़े धूमधाम से मनाया जाता है,उत्तराखण्ड में संस्कृत आधिकारिक द्वितीय राजभाषा घोषित होने से संस्कृत सप्ताह में प्रतिदिन संस्कृत भाषा में अलग अलग कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं होती हैं,संस्कृत के छात्र-छात्राओं द्वारा ग्रामों अथवा शहरों में झांकियाँ निकाली जाती हैं, संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना है.!

भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।
तत्रापि मधुरं काव्यं तस्मादपि सुभाषितम्॥

हिंदी- संसार की सभी भाषाओं में गीर्वाणवाणी संस्कृत भाषा सर्वश्रेष्ठ व मधुर है,संस्कृत भाषा का काव्य उससे भी अधिक मधुर है। उसमें भी सुभाषित अधिक मधुर है.!
सरससुबोधा विश्वमनोज्ञा ललिता हृद्या रमणीया।

अमृतवाणी संस्कृतभाषा नैव क्लिष्टा न च कठिना।।
हिंदी- संस्कृत अत्यन्त सरस है। सुबोध है,ललित व हृदय को प्रिय लगने वाली रमणीय है,संस्कृत अमरवाणी है,न क्लिष्ट है और न ही कठिन है.!

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