Vaidic Jyotish
September 8, 2024 8:42 AM

Shani Pradosh Vrat: शनि प्रदोष

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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Shani Pradosh Vrat ॐ नमः शिवाय……प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है.यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है.सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है.सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है.यह व्रत उपवासक को बंधनों से मुक्त करने वाला होता है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजन किया जाता है.वर्ष 2024 में 17 अगस्त को शनिप्रदोष व्रत किया जायेगा.!

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य है कि इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म- जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है तथा उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है.तथापि सभी प्रदोष व्रत उत्तम माने गए हैं.अपितु श्रावण एवं माघ मास जो भगवाल भोलेनाथ को अति प्रिय हैं.इन दोनों मासों के प्रदोष व्रत का फल कई गुणा अधिक हैं.!

यदि आप व्रत करने में सक्षम नहीं हैं तो शनि प्रदोष व्रत कथा अवश्य पढ़ें और भगवान शिव मंदिर में देसी घी का दीपक और शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित करें.इससे भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव व शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है.।

—:Shani Pradosh Vrat: शनि प्रदोष व्रत कथा:—–

प्राचीन समय की बात है.एक नगर सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न था,वह अत्यन्त दयालु था, उसके यहां से कभी कोई भी ख़ाली हाथ नहीं लौटता था,वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था, लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्‍नी स्वयं काफ़ी दुखी थे,दुःख का कारण था उनके सन्तान का न होना,सन्तानहीनता के कारण दोनों घुटे जा रहे थे.!

एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्‍चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पड़े.अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े.दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए.पति-पत्‍नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे.सुबह से शाम और फिर रात हो गई,लेकिन साधु की समाधि नहीं टूटी मगर पति-पत्‍नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे.!
अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे.सेठ पति-पत्‍नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले, ‘मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स ..! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं’.!

साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई..!
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।
शिव शंकर जगगुरु नमस्कार॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार।
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार।
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार॥

तीर्थ यात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे,कालान्तर में सेठ की पत्‍नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया,शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया,दोनों आनन्दपूर्वक रहने लगे।

-:Shani Pradosh Vrat:शनि प्रदोष व्रत विधि:-

प्रदोष व्रत करने के लिये त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए.नित्यकर्मों से निवृत होकर,भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें.इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है और पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले,स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किये जाते है.!

ईशान कोण की दिशा में किसी एकान्त स्थल को पूजा करने के लिये प्रयोग करना विशेष शुभ रहता है.पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद,मंडप तैयार किया जाता है.!

प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिये कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है.इस प्रकार पूजन क्रिया की तैयारियां कर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए.पूजन में भगवान शिव के मंत्र “ॐ नम: शिवाय” इस मंत्र का जाप करते हुए शिव को जल का अर्ध्य देना चाहिए.!
इस व्रत का उद्धापन करने के लिये त्रयोदशी तिथि का चयन किया जाता है.उद्धापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है.पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है.!

हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है.और शान्ति पाठ किया जाता है. अंत में ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है तथा अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है.I

-:Shani Pradosh Vrat:शनि प्रदोष व्रत फल:-

शनिवार के दिन पडने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए.अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किये जाते है,तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृद्धि होती है.शनि प्रदोष व्रत द्वारा संतान सुख प्राप्त होता है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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